महा मृत्युंजय
मंत्र के अचूक घातक प्रयोग
आज मैं आपको महा मृत्युंजय मंत्र को शस्त्र के
रूप में उसकी असमिमित शक्ति अर्जित करना बता रहा हूँ जो आप घर पर भी आसानी से कर
सकते है. ये मन्त्र रामबाण दवा है भयंकर रोगों के लिए और धातक हथियार भी है
आपके दुश्मनों और काली शक्तियों के लिए
भी. इसको आप आज से ही घर पर अजमा कर देख सकते है और प्रत्यक्ष को प्रमाण की
आवश्यकता नहीं होती.
जैसा की आप जानते है की महा मृत्युंजय मंत्र के
लिए सवा लाख या ग्यारा लाख जप का विधान होता है और साथ – २ इसकी विधि भी होती है.
लेकिन इस विधि में आपको किसी पंडित की जरूरत नहीं बल्कि आप खुद कर सकते है और केवल
108 जप ही करने है प्रतिदिन. लेकिन कैसे वो ध्यान से देखते रहिये.
आप सम्पुर्ण महा मृत्युंजय मंत्र का जप करेंगे
और उसको आप पहले से ही चाहे तो लिख कर रख लीजिये. मंत्र डिस्क्रिप्शन में भी डाल
दिया है.
विधि:
समय – सुबह सूर्योदय से पहले ये 108 जप पूर्ण
करने है.
१. आप चाहे तो सरसों के तेल या घी का दीपक कोई
एक जरूर लगायें जप करते वक़्त और एक जल का लौटा जरूर रखें अपने पास.
२. कम्बल का आसन हो और वो केवल आपके जप के लिए
प्रयोग हो, किसी और प्रयोग में असन को नहीं लेना है. जप केबाद हाथों से इज्जत के
साथ फोल्ड करके उसको वहीं साइड में रखें. लापरवाही में पैर से आसन को न छुएँ. जप
करते वक़्त एक आसन में बैठना है और कमर बिलकूल सीधी होनी अनिवार्य है.
३. रुदाराक्ष माला 108 मनकों वाली हो गौमुखी
समेत. जप करते वक़्त सुमेरु का उल्लंघन बिलकूल न हो.
४. 108 जप करते वक़्त ज्योति पर त्राटक जरूर
करें और एक सांस में एक जप पूरा कर्रें. जप पूरा होने के बाद 11 बार शुद्ध देसी घी
और मिश्री की गाय के गोबर के कंडे पर आहुति देनी है.
ये विधान होने के बाद लौटा जल को तुलसी में और
सूर्य को अर्घ्य दे दें और तभी तुरंत दोबारा लौटा भर कर अपने पूजा स्थान पर रख
दें. वहां जल का लौटा हमेशा रखा रहेगा.
जीवन में इस नियम का पालन करने से एक महा शक्ति
स्वयम आपमे जागृत होगी. जिससे आप वो सब कर सकेंगे जो दुनिया के लिए चमत्कार से कम
नहीं होंगे.
अब अगर आप ये सब कर लेते है तो एक प्रश्न बचता
है की जरूरत पड़ने पर इसका प्रयोग कैसे करें. तो उसके लिए पहले आप अपने आप को तयार
करें ये नियम अपना कर तब मुझसे कांटेक्ट करें मैं आपको ब्रह्मास्त्र की तरह प्रयोग
करना बताऊंगा. जिससे आप कैंसर, AIDS जैसी भयानक रोगों पर और ताकतवर से ताकतवर
जिन्नात और भूत प्रेत पर कहर बन सकते है.
सम्पूर्ण महा मन्त्र :
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं
यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ
स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
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