राऊटर ( Router )
Router वो Hardware Networking Device है, जो
नेटवर्क डाटा को एक पैकेट के रूप में एक नेटवर्क से दुसरे नेटवर्क तक पहुँचने का
काम करता है. असल में Router पहले Packet Data को Receive करता
है, उसके बाद रिसीव की हुई डाटा यानि इनफार्मेशन को Analyze करता है और फिर उस इनफार्मेशन को डेस्टिनेशन
डिवाइस तक Forward करता है. अगर आप Wifi यूज करते है तो आप Wireless Router यूज कर रहे है जो Internet को एक्सेस करता है.
राऊटर लेयर ( Router Layer ) :
हर Computer Internet Work OSI Model पर ही काम करते है और Router, OSI Model की 7th Layer पर काम करता है. ये हार्डवेयर
और सॉफ्टवेर दोनों को यूज करता है, इसीलिए इसमें Operating System, Memory Storage, CPU और कुछ I/O पोर्ट्स भी होते है लेकिन इसके स्टोरेज में सिर्फ Routing Algorithm और tables ही
सेव होती है. ये दोनों ही बताते है कि राऊटर ने इनफार्मेशन पैकेट रिसीव किया है या
नहीं और उस पैकेट को आगे किस डिवाइस तक भेजना है. CLICK HERE TO KNOW आखिर क्या है Bit Rate और ये कैसे काम करती है ...
क्या है Router और ये कैसे काम करता है |
कैसे काम करता है राऊटर ( How Router Works ) :
राऊटर असल में एक पिज़्ज़ा
डिलीवरी बॉय की तरह है, जिसे
कंपनी पिज़्ज़ा और एड्रेस देती है, जिसे लेकर वो एड्रेस तक
डिलीवर करता है और वो भी टाइम पर. अगर इसे नेटवर्क की भाषा में समझे तो सोचों कि
आपने अपने फ्रेंड के पास एक व्हाट्स एप्प मेसेज भेजा जोकि मुंबई रहता है. ऐसे में
आपका मेसेज एक पैकेट में बदल जाता है और राऊटर तक पहुँचता है. उसके बाद Router, routing protocol से उसकी Routing Table को चेक करता है.
और उस पैकेट को पास वाले
राऊटर तक फॉरवर्ड कर देता है, जिसमें पैकेट रिसीव करने वाले का एड्रेस होता है. उसके बाद फिर से पैकेट
को अगले राऊटर पाथ पर भेजा जाता है और ठीक इसी तरह नेक्स्ट को. बस इस तरह वो पैकेट
रिसीवर के सिस्टम तक पहुँचता है.
एक राऊटर कई नेटवर्क को
जोड़ता है और हमेशा अपनी Routing Table को भी मेन्टेन करके रखता है ताकि वो आसपास के
सभी राऊटर की इनफार्मेशन रख सके और जैसे ही कोई इनफार्मेशन और पैकेट आये तो उसे
रिसीव कर सके.
राऊटर के पुर्जे ( Components of A Router ) :
राऊटर भी एक तरह से Specialize कंप्यूटर
की तरह ही होता है इसीलिए इसमें सॉफ्टवेर और हार्डवेयर दोनों होते है इसीलिए इसके
पार्ट में सबसे पहले नंबर आता है
- CPU का : कंप्यूटर की ही तरह
राऊटर में भी ये ब्रेन का ही काम करता है लेकिन राऊटर में ये एक स्पेशल सॉफ्टवेर
पर काम करता है जिसे OS कहते
है. ये Operating System राऊटर के हर पुर्जे को मैनेज
करता है और उनके काम को बताता है.
- Flash Memory : कोई भी डिवाइस जो इनफार्मेशन
रिसीव और ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है उसे मेमोरी की जरूरत जरुर पड़ती है इसीलिए
राऊटर में भी Flash Memory होती है. राऊटर के लिए ये एक
तरह की हार्ड डिस्क ही होती है जिसमें Routing Algorithm, Protocol and Tables सेव किये जाते है.
- Random Access Memory : कंप्यूटर की ही तरह RAM राऊटर के ऑन होते वक़्त उसके ऑपरेटिंग सिस्टम को
लोड करती है. उसके बाद राऊटर डीसाइड करता है कि इसमें कौन कौन से रॉउटस होंगे. इस
वाली RAM में Routing Tables के साथ साथ ARP tables, Metrics और बाकी डाटा स्टोर होती है और ये पैकेट को आगे
फॉरवर्ड करने और प्रोसेस करने के लिए स्पीड भी देती है.
- Console : जब बात राऊटर को मैनेज करने
और कॉन्फ़िगर करने की होती है तो वो सारा काम Console ही करता है. जी हाँ, कॉन्फ़िगरेशन
की और ट्रबलशूटिंग की सभी कमांड्स भी कंसोल ही करता है.
Kya Hai Router Aur Ye Kaise Kaam Karta Hai |
- Non-Volatile RAM : राऊटर में 2 तरह की RAM होती है और ये वाली RAM परमानेंट होती है. इसमें OS का बैकअप और स्टार्टअप वर्शन सेव है. ऐसे में जब
भी कभी राऊटर को बूट करना पड़ता है तो यही मेमोरी प्रोग्राम को लोड करने में हेल्प
करती है.
- Network Interfaces : हर राऊटर में Network Interface होते है और ऑपरेटिंग सिस्टम होने के साथ ही
इसमें ड्राइवर्स भी होते है. ये ड्राइवर्स ही राऊटर को बताते है कि कौन से पोर्ट
में कौन स नेटवर्क का वायर लगा हुआ है.
राऊटर के प्रकार ( Types of Routers ) :
- Broadband Routers : ब्रॉडबैंड राऊटर एक स्पेशल मॉडेम है क्योकि इनमे Ethernet और
फ़ोन जैकस दोनों होते है. इन्हें ज्यादातर कंप्यूटर्स और इंटरनेट को आपस में जोड़ने
के लिए इस्तेमाल होते है, लेकिन आप इनसे अपने मोबाइल फ़ोन को
भी जोड़ सकते हो पर उसके लिए आपको Voice Over IP Technology यूज करनी पड़ेगी.
- Wireless Routers : कॉलेज, घर और
ऑफिस में इस्तेमाल होने वाले सबसे ज्यादा राऊटर वायरलेस राऊटर ही है. अपने नाम की
ही तरह ये वायरलेस सिग्नल एरिया को बनाते है और उस एरिया में आने वाले है डिवाइस
को इंटरनेट एक्सेस देते है. साथ ही इनमे सिक्यूरिटी को देखते हुए पासवर्ड सिस्टम
भी दिया जाता है, इसीलिए जब भी आप किसी Wifi से कनेक्ट करने की कोशिश करते हो तो आपसे
पासवर्ड माँगा जाता है.
- Edge Router : Edge Routers को
हमेशा Internet Service
Provider के
साथ ही रखा जाता है और इसका काम बाहरी प्रोटोकॉल को किसी दुसरे ISP के प्रोटोकॉल के साथ जोड़ना और कन्फिगर करना होता
है.
- Core Router : कोर राऊटर्स LAN Network के बैकबोन की तरह काम करते है और ये सभी Distributed राऊटर्स को आपस में भी जोड़ते है. कहने का मतलब
है कि मानो एक कंपनी की अलग अलग लोकेशन में कई ब्रांच है तो उन सभी ब्रांच के
राऊटर्स को जोड़ने का काम कोर राऊटर ही करता है और यही वजह है कि इन्हें कोर राऊटर
कहते है.
राऊटर के कार्य ( Functions of Routers ) :
- Protocols को Translate करते है.
- सभी Networks के बीच नेटवर्क रूट बनाते है.
- Default Gateway की तरह भी काम कर सकते है.
- LAN को ब्रॉडकास्ट नहीं होने
देते.
- डाटा और इनफार्मेशन को Receiver से
लेकर उसे डेस्टिनेशन तक Deliver करते
है.
- अगर दो नेटवर्क्स को जोड़ना है तो उसके लिए राऊटर्स
बेस्ट है.
- नेटवर्क के लिए Loop Free पाथ बनाते है और
- डाटा को उसके डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए सबसे
छोटा रास्ता ढूंढते है.
तो दोस्तों, हमने जाना कि डब्बे जैसा दिखने
वाला राऊटर असल में आखिर है क्या और ये कैसे काम करता है. इसलिए अपने राऊटर को
सिर्फ डब्बा समझने की लगती ना करें.
Router Network Kaise Forward Karta Hai |
राऊटर, इसके प्रकार और कार्य करने के तरीके
के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते
हो.
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