भगवान हुए बीमार
हम सभी सुनते है कि भगवान
के दर पर जाने से हर रोग हर परेशानी दूर हो जाती है लेकिन क्या आपने कभी ये सूना
है कि खुद भगवान बीमार हो गए है. शायद नहीं, लेकिन ये सच है. दरअसल एक बार पुरैना तालाब के पास
बने भगवान जगन्नाथ धाम मंदिर को 15 दिनों के लिए बंद कर दिया जिसकी वजह खुद भगवान
का बीमार हो जाना बताया. आप शायद इसे मजाक मान रहे होगे और सोच रहे होगे कि अगर
भगवान ही बीमार होने लगे तो भक्तों का क्या होगा, तो चलिए
जानते है कि आखिर माजरा क्या है. CLICK HERE TO KNOW जगन्नाथ पूरी मंदिर के चौका देने वाले अजूबे चमत्कार ...
भगवान भी हुए बीमार वैद्य जी कर रहे है उनका इलाज |
भगवान भी तो इंसान ही है
:
हमने पुराणों और ग्रंथों
में बहुत पढ़ा है कि भगवान भी इंसानों की तरह खाना खाते है, पानी पीते है, सोते है, जागते है, घूमते
फिरते है और वे मनुष्य रूप में अवतरित भी होते है, साथ ही
उन्होंने इंसानों को अपनी परछाई की तरह बनाया है. तो इसीलिए भगवान भी इंसानों की
तरह बीमार भी तो हो सकते है.
दरअसल जगन्नाथ धाम मंदिर
के पुजारी श्री नर्मदा प्रसाद गर्ग ने बताया कि सवेरे भगवान को तेज बुखार हो गया
है और वे अपने शयन कक्ष में सो रहे है. उन्होंने वैध जी को भी बुलाया है और जब वैध
जी ने भगवान की नब्ज देखी तो पाया कि उन्हें सच में तेज बुखार है. उन्होंने आगे
बताया कि भगवान का इलाज चल रहा है वे औषधि भी ले रहे है और 15 दिनों तक आराम
करेंगे. साथ ही उन्हें 15 दिनों तक हल्का खाना जैसेकि मुंग की दाल, दलिया और खिचड़ी ही खिलाई जायेगी
और उन्हें दवा के रूप में जड़ी बूटी और काढा दिया जाएगा. वैधराज भी रोजाना भगवान के
रोग का जायजा लेने आयेंगे और जल्द ही भगवान ठीक हो जायेंगे.
बिमारी का कारण – आमरस से हुए बीमार :
एक परंपरा के अनुसार
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ जी को 35 स्वर्ण घाटों पर महास्नान कराया
जाता है. स्नान के बाद उन्हें स्वर्ण सिंहासन पर बैठाकर आमरस का सेवन कराया जाता
है और यही आमरस उनकी बिमारी का कारण है. इसलिए जब तक वे पूरी तरह ठीक ना हो जाए
उन्हें सिर्फ औषधि ही दी जायेगी.
Bhagwan Bhi Huye Bimar Vaidya Ji Kar Rahe Hai Unka Ilaaj |
क्या है सच :
सच ये है कि ये हर साल
मनाई जाने वाली एक परंपरा है जो पहले सिर्फ उड़ीसा के पूरी में बने जगन्नाथ मंदिर
में मनाई जाती थी लेकिन इस बार इस परंपरा को उदयपुर में बने जगन्नाथ मंदिर में भी
मनाया गया और इस बार वहाँ के भगवान भी बीमार हो गए.
वैसे माना जाता है कि
पूरी में भगवान मनुष्य रूप में ही रहते है इसीलिए प्राकृतिक नियमों के अनुसार उनका
बीमार होना भी स्वाभाविक है. जैसे ही लोगों को पता चला कि भगवान बीमार हो गये है
तो ये खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी और दूर दूर से श्रद्धालु अपने भगवान के
दर्शन करने के लिए आयें, लेकिन
उन्हें बिना दर्शन के ही वापस लौटना पड़ा क्योकि मंदिर बंद थे.
Bimar Hue God Jagannath Jald Honge Thik |
क्या है रस्म और कब खुलते
है दोबारा मंदिर के द्वार :
15 दिनों के आराम और इलाज
के बाद, मंदिर के
द्वार आषाढ़ शुक्ल एकम को दोबारा खोले जाते है और भक्त फिर से भगवान जगन्नाथ के
दर्शन कर पाते है. उनके ठीक होते ही उन्हें उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ
घुमाया जाता है जिसे जगन्नाथ यात्रा भी कहा जाता है. दरअसल ये पूरी रस्म इसी
यात्रा से संबंधित है और इस रस्म को अंसारा प्रथा कहा जाता है.
एक ख़ास बात ये है कि
पुजारी और वैध के साथ भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा भी उनका
इलाज करती है. अब ये प्रथा सिर्फ पूरी और उदयपुर के जगन्नाथ मंदिरों में ही नहीं
बल्कि पुरे देश के हर जगन्नाथ मंदिर में मनाई जाने लगी है. तो अगली बार जब भी भगवान
बीमार हो तो उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करना बिलकुल ना भूलें, लेकिन प्रार्थना करोगे किससे
क्योकि भगवान तो खुद बीमार है.
जगन्नाथ मंदिर की अन्य रस्म
और रिवाज के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
कर सकते हो.
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