कैंची धाम के नीब करौली बाबा ( Saint Neeb Kairoli of Canchi Hermitage )
उत्तराखंड को देवभूमि यानि के देवों की भूमि भी माना जाता है क्योकि यहाँ अनेक देवी देवताओं के मंदिर और अनेकों धाम मिलेंगे. इन सब
धामों के बीच में एक ऐसा धाम है जिसे कैंची धाम के नाम से जाना जाता है. यह इस प्रकार का तीर्थस्थल है, जहां पुरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहाँ पर की गयी पूजा कभी व्यर्थ नही जाती. कहा जाता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से यहाँ मांगी गयी हर मुराद पूरी
हो जाती है. इसीलिए यहाँ साल
में एक बार बहुत बड़े स्तर पर मेले और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है और यह
भंडारा हर साल 15 जून के दिन रखा जाता है. CLICK HERE TO KNOW स्त्रियों को गर्भवती बनाने वाला मंदिर ...
Bigdi Takdeer Banane Vale Chamatkaari Kainchi Dhaam ke Neeb Kairoli Baba |
कैंची धाम का नामकरण ( Naming of Kainchi Dhaam ) :
कैंची धाम नैनीताल जिले
के भवाली गांव में अल्मोड़ा और रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. कैंची धाम नाम सुने में अजीब सा लगता है लेकिन इस नाम के पड़ने का एक कारण है कि यहाँ की एक ऐसी सड़क है जिसमें दो बहुत ही खतरनाक मोड़ है. ये मोड़ एक कैंची की भांति प्रतीत होता है. पर फिर भी कभी कोई खतरनाक दुर्घटना नहीं घटी. माना
जाता है कि हनुमान जी, सीता- राम और मां दुर्गा के मंदिर इस कैंची धाम में उपस्थित होने के कारण कभी कोई दुर्घटना नही होती.
नीब करौली महाराज जी का कैंची धाम से सम्बन्ध ( Relation of Saint Neeb Kairoli and Kanchi Dhaam ) :
कैंची धाम एक ऐसे व्यक्ति के नाम से भी प्रसिद्ध हैं जिनका नाम है नीब करौली बाबा. कैंची
धाम बाबा नीब करौली की महिमा के लिए जाना जाता है. नीब करौली बाबा का जन्म ब्राह्मण परिवार में उत्तरप्रदेश के एक अकबरपुर नामक गांव में हुआ था. जब
बाबा की आयु 11 वर्ष थी तभी उनका विवाह हो गया था. बाबा ने
गृहस्थ जीवन को तो जिया परंतु कुछ सालों के बाद ही उन्होंने गृहस्थ जीवन को त्याग दिया. 17 वर्ष की आयु तक उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी.
बाबा हमेशा ही कंबल ओढ़े
रहते थे. हनुमान
जी के बहुत बड़े भक्त थे नीब करौली
बाबा. बाबा ने अपने समस्त जीवन काल में अनेकों मंदिरों
का निर्माण करवाया, जिनकी संख्या 108 के करीब है. वृंदावन की पवित्र भूमि को बाबा ने
अपनी समाधी के लिए चुना. बाबा ने अपना शरीर 10 सितंबर 1973 को
त्याग दिया. कैंची धाम की भूमि में नीब करौली महाराज जी ने सन 1962 में कदम रखा था. कथाओं
के अनुसार नीब करौली महाराज
जी में कई दिव्य शक्तियां थीं जिनसे महाराज जी ने अनेकों चमत्कारी लीलाएं रची थी. CLICK HERE TO KNOW राजस्थान का शीतला माता मंदिर रहस्य ...
बिगड़ी तकदीर बनाने वाले चमत्कारी कैंची धाम के नीब कैरोली बाबा |
कैंची धाम की स्थापना ( Foundation of Canchi Dham ) :
कैंची मंदिर शिप्रा नदी
पर स्थित है और इसकी स्थापना के पीछे भी एक अनसुनी कहानी जुडी हुई है. जिसके अनुसार सन 1942 में कैंची के एक निवासी पूर्णानंद तिवारी हुआ
करते थे. उस समय यातायात के
साधनों की कमी हुआ करती थी इसलिय पूर्णानंद तिवारी पैदल ही रानीखेत से गठिया होते
हुए कैंची की और लौट रहे थे. तभी उन्हें एक व्यक्ति कंबल ओढ़े दिखा. पूर्णानंद
तिवारी उस व्यक्ति को जानते नहीं थे इसलिए डर गए. कंबल ओढ़े उस
व्यक्ति ने बिना किसी से जाने पूर्णानंद को नाम से पुकारा और उनके वहां इस समय आने का कारण भी बता दिया. इतना सुनकर पूर्णानंद तिवारी और भी डर गए कि यह व्यक्ति कौन है जो उनके बारे में सब कुछ जानता है. पूछे जाने पर
उन्होंने अपना नाम नीब करौली महाराज बताया. दोनों
के बीच कुछ देर बात हुई, फिर बाबा ने पूर्णानंद को बिना
डर के आगे बढ़ने को कहा. लेकिन जब पूर्णानंद तिवारी ने
दुबारा फेंट होने के बारे में पूछा, तब बाबा ने कहा कि 20 साल के बाद फिर से फेंट
होगी. इतना कहते ही बाबा अदृश्य हो गए.
समय गुजरता रहा और पुरे 20 साल के बाद बाबा नीब करौली
महाराज अपने साथियों के साथ रानीखेत से नैनीताल जा रहे थे, रास्ते में जब कैंची तक पहुंचे, तभी बाबा जी रुक गए और कुछ देर तक उसी स्थान पर बैठे रहे जहाँ पर 20 साल पहले
बैठे थे. बाबा ने वहां पर बैठकर अपनी पुरानी बात बताई
और उस स्थान पर जाने की इच्छा बताई जहाँ साधु प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज ने
वास किया था. जहां वर्तमान में कैंची मंदिर स्थित है. वहां पर बाबा ने अपने पवित्र कदम 24 मई 1962 को रखे. इस तरह से बाबा ने कैंची पहुँच कर
कैंची धाम की स्थापना की. बाबा ने घास और जंगल के बीच में घिरे चबूतरे और हवन कुंड को ढकने का आदेश
दिया जहाँ हवन किया जाता था. सोमवारी बाबा ने इसी
चबूतरे पर वास किया था. आज इस चबूतरे की जगह पर हनुमान
जी का मंदिर है और इस मंदिर में सोमवारी बाबा के अवशेष पाये जाते हैं. इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गयी और तभी से 15 जून 1964 को कैंची धाम की स्थापना हुई.
महाराज नीब कैरोली कथा |
मान्यताएं ( Recognition ) :
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स दोना का मार्गदर्शन करने वाले नीब करौलो बाबा ही थे. जब फेसबुक का
दौर मुश्किल के दिनों में चल रहा था, तब स्टीव जॉब्स की
सलाह पर मार्क जुकरबर्ग कैंची धाम आश्रम के में आए और दो दिन तक यहाँ रुके. यहाँ
उनके रुकने से उनके व्यापार में उन्हें काफी मदद मिली और तब से उन्हें सफलता
प्राप्त होने लगी. इस तरह से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़
कर नही देखा. यही नही हॉलीवुड की एक मशहूर अभिनेत्री जूलिया राबट्र्स भी
अपने मुश्किल दौर में नीब करौली बाबा की शरण में आ चुकी है. ये सब कैंची धाम में अपार
सफलता प्राप्त करने के लिए आये और अपने जीवन में सफलता प्राप्त की भी.
नीब करौली धाम की अनसुनी कहानी ( Untold Story of Neeb Kairoli Dhaam ) :
इस धाम से कई तरह की रोचक
कहानियां जुडी हुई है. यह
धाम शिप्रा नदी के तट पर स्थित है. यह बात उस समय की है
जब 15
जून को एक विशाल भंडारे
का आयोजन किया गया था. अनेकों
तरह के पकवान बनाये जा रहे थे इस दौरान घी की कमी हो गयी, जब यह बात बाबा को पता चली तो उन्होंने प्रसाद बनाने के लिए पास की शिप्रा
नदी के पानी का उपयोग करने को कहा. जैसे ही
पानी प्रसाद में डला, पानी घी में परिवर्तित हो गया. तभी से नीब करौली बाबा अपनी दिव्या शक्ति के लिए प्रसिद्ध हो गए.
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