मंत्र
जप ( Chanting Mantra )
पूजा
पाठ के दौरान हम सभी ही मंत्र जप करते है, लेकिन सवाल ये है कि क्या आप
मन्त्रों का जाप सही विधि और नियम के अनुसार करते हो? क्या
आपको मंत्र जप का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है? क्या आपके मंत्र इतने चैतन्य और
शक्तिशाली हो पाते है कि वे आपकी हर समस्या का समाधन कर सके? इन सभी
सवालों को पूछने के पीछे एक ही आशय है कि मंत्र जप के भी कुछ नियम है जिनका पालन
करने पर ही आपको सम्पूर्ण लाभ मिल पाता है. CLICK HERE TO KNOW माला संस्कार विधि जप ...
Jap ke Dauran Jruri Niyam |
वैसे
आपको बता दें कि जप के भी 3 प्रकार होते है.
1. वाचिक ( Vocal ) : अगर जप धीरे धीरे बोलते हुए
किया जाता है तो वो वाचिक जप कहलाता है.
2. उपांशु ( Inaudibly ) : वहीँ उपांशु जप की विधि के
अनुसार उसे कोई सुन नहीं पाता.
3. मानसिक ( Mental ) : मानिसक जप अपने नाम के
अनुसार ही किया जाता है अर्थात मन में किया जाता है इसमें साधक की ना तो जिव्हा
हिलती है और ना ही होंठ.
इन
तीनों में मानसिक जप को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जबकि वाचिक को सबसे निम्न स्थान
दिया गया है.
जप
के दौरान हाथों की स्थिति ( Position of Hands during
Chanting Mantra ) :
- प्रातःकाल जप : दोनों हाथों को उत्तान करके, शाम को जप : नीचे करके और मध्यान्ह जप : सीधे करके.
- प्रातःकाल : हाथों को नाभि के पास रखें, शाम को : हाथों को मुहँ के समानांतर
रखें और मध्यान्ह को : हाथ दिल के करीब होने
चाहियें. CLICK HERE TO KNOW ईश्वर का आशीर्वाद पाने के उपाय ...
जप के दौरान जरूरी नियम |
कहाँ
करे जप ( Where We Should Chant Mantra ) :
- घर में : मात्रा 1 गुना फल की
प्राप्ति
- गौशाला में : 100 गुना फल की प्राप्ति
- वन, बगीचे या
तीर्थ स्थल पर : 1,000 गुना फल की प्राप्ति
- पर्वत पर : 10,000 गुना फल की प्राप्ति
- नदी के किनारे पर : 1,00,000 गुना फल की प्राप्ति
- देवालय में : 1,00,00,000 गुना फल की प्राप्ति
- शिवलिंग के सामने : अनगिनत गुना फल की प्राप्ति
जब
भी जप करें तो उनकी गणना के लिए कुछ गोलियाँ बना लें, ध्यान रहें
कि गोलियाँ सिंदूर, कुश, लाख या सूखे
गोबर की ही होनी चाहियें.
Important Rules during Chanting Mantra |
माला
पकड़ने और जप करने की सही विधि ( Correct Way to Hold Garland
for Chanting Mantra ) :
अगर
आप माला से जप कर रहे है तो ध्यान रखें कि माला किसी को दिखाई न दें. माला को
पकड़ने का भी सही तरिका होता है जिसके अनुसार माला को अनामिका ऊँगली पर रखना
चाहियें और अंगूठे से छूते हुए मध्यमा ऊँगली की सहायता से फेरना उचित होता है.
माला फेरते वक़्त एक बात और ध्यान में रखनी होती है कि सुमेरु का उल्लंघन ना हो और
ना ही उसपर तर्जनी ऊँगली को छूने दें. एक माला के जाप के बाद सुमेरु के पास से
माला को घुमाना है और दूसरी बार जप आरम्भ करना है. कहने का तात्पर्य ये है कि माला
के सिरे को पार नहीं करना है, जैसे ही एक माला जाप पूर्ण हो तो माला को
विपरीत दिशा में घुमाकर दूसरी माला जाप आरम्भ करनी चाहियें.
अन्य
जरूरी नियम ( Other Important Rules ) :
· मुद्रा ( Posture ) : मुद्रा किसी भी कार्य के लिए
आवश्यक होती है इसी तरह जप में भी मुद्रा का अहम स्थान है, सही आसन व
मुद्रा में बैठने पर आप अच्छी तरह अपना ध्यान केन्द्रित कर पाते हो. इसीलिए जप के
लिए पद्मासन को श्रेष्ठ अवस्था माना जाता है, साथ ही
सिद्धासन, वज्रासन और वीरासन भी प्रभावी होते है.
· माला ( Garland ) : जप के दौरान आप स्फटिक, चन्दन,
रुद्राक्ष या तुलसी की 108 दानों वाली माला का ही प्रयोग करें.
माला मंत्र जप नियम विधि |
· समय ( Time ) : आपने सूना होगा कि हर कार्य
के लिए एक सही समय होता है तो माला मंत्र जाप का भी एक उचित समय है ब्रह्ममुहूर्त, अगर सीधी
भाषा में कहें तो प्रातः 4 से 5 बजे का समय. सूर्योदय से पहले का ये समय सबसे
अच्छा और श्रेष्ठ समय होता है. इसके अलावा दिन के ढलने और रात्री होने के बीच का
एक समय और होता है जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, उस समय में
भी आप माला जप कर सकते हो. अगर कभी आप इन समय पर जप ना कर पाओं तो निराश होने की
जरूरत नहीं है, उसकी क्षतिपूर्ति आप रात को सोने से पहले कर
सके है. वैसे कोशिश यहीं करें कि जप अपने नियत समय पर ही हो.
· स्थान ( Place ) : वैसे तो आप किसी भी स्थान पर
जप कर सकते है किन्तु मंदिर में जप करना बेहतर रहेगा, साथ ही
ध्यान रहें कि एक बार जप आरम्भ करने के बाद स्थान को बार बार ना बदलें और हो सके
तो रोजाना उसी स्थान पर जप करें.
· आसन ( Position ) : जब भी मंत्र जप के लिए आसन
ग्रहण करें तो नीचे सूती, लकड़ी की चौकी और कच्ची जमीन ही बिछाएं, नाकि
प्लास्टिक की चटाई पर विराजमान हो जाए.
· संकल्प ( Oath or Pledge ) : अगर आपने किसी संकल्प के लिए
किसी मंत्र को जप के लिए चुना है तो संकल्प के पूर्ण होने तक मात्रा उसी मंत्र का
जप करें.
Jap ke Dauran Haathon ki Sthiti |
· मुख की दिशा ( Direction of Face ) : प्रातःकाल में मंत्रों के जप
के दौरान मुख पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहियें जबकि शाम के समय मुख उत्तर
में बेहतर माना जाता है.
स्मरण
रखें ( Remember These ) :
- जप के दौरान मन का शांत होना
जरूरी है अगर मन में क्रोध, गलत भाव विचार इत्यादि है तो जप सफल नहीं होता, साथ
ही जप के दौरान ज्यादा हिलना डुलना और बोलना भी निषेध है.
- मंत्र जप पूरी श्रद्धा व
आस्था से ही करें, अगर आप एकाग्र है तो आप मन जप में पूर्ण मन लगा पाते हो, वहीँ
एकाग्रता के भंग होने पर मन्त्रों की शक्ति कम होती है और कामना पूर्ति की संभावना
खत्म होती है.
ध्यान
दें ( Attention ) :
कुछ
ऐसे संकल्प होते है जिनके लिए विशेष माला और मन्त्रों का विधान होता है जैसेकि धन
की चाह रखने वालों को मुंगे की मला का इस्तेमाल करना चाहियें, तो पुत्र की
कामना वालों को पुत्र जीवक मनकों की, वहीँ स्फटिक का माला का
प्रयोग वे करते है जिन्हें अपनी हर कामना की पूर्ति की चाह होती है. साथ ही हर
माला से जप आरम्भ करने से पहले उन्हें संस्कारित अवश्य कर लें ताकि आपको आपके जप
का पूर्ण फल मिल सके.
माला
मंत्र जप नियम विधि के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
Kahan Jap Karne se Milta Hai Adhik Fal |
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