रहस्यमयी
खजाने ( Mysterious Treasure )
शायद
ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे खजाना मिलने के सपने नहीं देखे होंगे. ये एक ऐसा
विषय है जो व्यक्ति के मन में रोमांच भर देता है, किन्तु अधिकतर लोग सिर्फ इसे
सपना समझकर भूल जाते है जबकि कुछ लोग ऐसे भी है जो इन खजानों को तलाशने में अपना
सम्पूर्ण जीवन तक लगाने से पीछे नहीं हटते. उनके इसी संकल्प की वजह से आज हम कुछ
ऐसे खजानों के बारे में जानते है जिनकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी. CLICK HERE TO KNOW भारत के प्राचीनतम रहस्यमयी मंदिर ...
Rahasyamayi Khajanon ka Pataa |
सबका
मानना है कि राजा महाराजों के काल में काफी धन और खजाने होते थे, जो उनके
मरने के बाद यहीं दबे और छुपे हुए है. उनके काल के खत्म होने के बाद कुछ खजानों को
तो जानबुझ कर ही छिपा दिया गया होगा, तो कुछ दुर्घटना के
कारण खो गए होंगे. जबकि कुछ समुद्री लुटेरों ने लुट लिए होंगे. कुछ लोगों का मानना
ये भी है कि राजा महाराजा के ख़ास लोग मदिरों, पूजा स्थलों,
महलों, कुओं और पहाड़ी के आसपास धन खजाना
छुपाने का प्रयास अधिक करते थे और इसीलिए अधिकतर लोग इन्ही जगहों के आसपास खजाने
की खोज करते है.
भारत
को तो सोने की चिड़िया कहा जाता था इसीलिए दूर दूर के राजाओं ने भारत पर आक्रमण
किया और यहाँ का धन सोना ले जाकर अपने मुल्कों को बसाया. आज हम आपको भारत के कुछ
ऐसे छुपे हुए खजानों के बारे में बतायेंगे जिनसे कुछ दिलचस्प कहानियाँ जुडी है और
कुछ अपने रहस्यमयी होने के कारण काफी विख्यात है. लेकिन इनमें से कौन सी कहानी सही
है ये बताना जरा मुश्किल है.
1. चारमीनार की सुरंग का खजाना
: मान्यता है कि सुलतान
मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह ने चारमिनार और गोलकुंडा के बीच 30 फीट लम्बी और करीब 15
फीट चौड़ी सुरंग का निर्माण करवाया था. साथ ही ये भी माना जाता है कि इसी सुरंग में
उनके शाही परिवार के सदस्य अपना खजाना छिपाकर रखते थे. लोगों का मानना है कि वो
खजाना आज भी वहीँ है. CLICK HERE TO KNOW दुनिया का सबसे चौड़ा वृक्ष ...
रहस्यमयी खजानों का पता |
वैसे
सुल्तान का इस सुरंग को बनवाने का उद्देश्य ये था कि मुश्किल वक़्त में इस सुरंग को
सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल किया जा सके. किन्तु बाद में इस सुरंग को एक गुप्त
शाही तहखाने के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा जहाँ खरबों रूपये का खजाना डालकर
दफना दिया गया. निजाम मीर ओसमान अली नाम के खोजकर्ता ने 1936 में एक नक्शा तैयार
किया और उसके आधार पर वे खुदाई करना चाहते थे किन्तु तब उन्हें खुदाई की अनुमति
नहीं दी गयी. इसीलिए अब तक इस खजाने का रहस्य गुप्त ही है.
2. पद्मनाभ मंदिर खजाना : हाल ही में आपने जिस मंदिर
से खजाना निकलने की चर्चा सुनी है ये मंदिर वही है. सूत्रों के अनुसार इस मंदिर
में से अब तक 1 लाख करोड़ रूपये तक का खजाना निकाला जा चुका है जबकि अब भी इसमें
इससे अधिक खजाना छिपा हुआ है. इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी के राजवंशियों ने
कराया था जबकि त्रावणकोर के शासकों ने इस मंदिर को दैवीय स्वीकृति दिलाई. इस मंदिर
में भगवान श्री हरी विष्णु जी की मूर्ति भी मिली है जो शालिग्राम पत्थर से बनी हुई
है.
उस
समय के एक प्रतापी राजा मार्तंड वर्मा ने पुर्तगाली समुद्री बड़ों के खजाने और
यूरोपीय लोगों के व्यवसायों पर कब्जा किया और धन इक्कठा करना आरम्भ किया. जहाँ ये
मंदिर बना हुआ है वहाँ आज तक किसी विदेशी शक्ति ने हमला नहीं किया. एक बार तो खुद
टीपू सुलतान ने मंदिर पर कब्जा करने का निर्णय लिया था किन्तु तब उन्हें कोच्चि के
युद्ध में हार झेलनी पड़ी.
2007
में IPS अधिकारी सुंदरराजन ने कोर्ट
में याचिका दाखिल की और राजा मार्तंड के राज परिवार को चुनौती दी, तब 27 जून
2011 को इस मंदिर के तहखानों को खोला गया और खजाने का ब्यौरा तैयार किया गया. जैस
ही तहखाने खुला सभी की आँखें खुली की खुली रह गयी. मंदिर के 6 तहखानों में से 5 को
खोला गया ओर करीब 1 लाख करोड़ की संपत्ति निकाली गयी. छठे तहखाने को लेकर
अंधविश्वास कुछ अधिक है और इसीलिए उसे नहीं खोला गया. साथ ही ये भी माना जाता है
कि अंतिम तहखाने का खजाना खोले गए 5 तहखानों के खजाने से भी कहीं अधिक है. इस
मंदिर को दुनिया का सबसे अमिर मंदिर और खजाने को विश्व का सबसे बड़ा खजाना माना
जाता है.
Address of Mysterious Treasure |
3. सोनगुफा का खजाना : बिहार राज्य की पहाड़ियों पर
एक गुफा है जिसे सोन गुफा कहा जाता है, ये गुफा बिहार के लिए काफी ख़ास
है क्योकि माना जाता है कि इस गुफा में भी बेशुमार सोना दबा हुआ है. किद्वंतियों
के अनुसार ये गुफा महाभारत काल से है और इस जगह को राजगृह कहा जाता था, साथ ही ये वहीँ जगह है जहाँ भीम ने जरासंध को भी मारा था. जैसे जैसे काल
आगे बढ़ा तो ये जगह मगध साम्राज्य के अधीन हो गयी.
पुरातत्व
विभाग का मानना है कि ये गुफा तीसरी शताब्दी की है, इस गुफा पर और यहाँ के
शिलालेखों पर रथ के पहियें के निशाँ बने हुए है, साथ ही शंख
भाषा में कुछ लिखा भी हुआ है. यहाँ से लौहे से बनी हथकड़ियाँ भी प्राप्त हुई है और
इसी गुफा ने अजातशत्रु ने बिम्बिसार को कैद करके रखा था. बौद्ध और जैन धर्म के लोग
तो इस स्थान को बहुत पवित्र भी मानते है.
रहस्यमयी अनोखे खजाने जो आज भी है रहस्य |
इस
जगह खजाना है या नहीं, है तो कहाँ है? और खजाना किसका है? ये सब अभी भी सिर्फ प्रश्न ही है क्योकि खजाने के यहाँ कोई साक्ष्य नही
मिले है. वैसे कुछ लोग खजाने को महाभारत काल का बताते है तो कुछ बिम्बिसार और
अजातशत्रु का. कुछ का तो ये भी मानना है कि बिम्बिसार ने खजाने को किसी भूलभुलैया
में दफना दिया था ताकि अजातशत्रु खजाने तक ना पहुँच सके.
यहाँ
जो शंख भाषा में लिखे शिलालेख मिले थे उन्ही को खजाने तक पहुँचने का माध्यम माना
जाता है किन्तु उस भाषा का कोई भी जानकार अब जीवित नहीं है. अंग्रेजों ने भी खजाने
के लालच में इस गुफा पर तोपें बरसाई लेकिन वो गुफा को गिराने में असफल रहें. आज के
समय में तो इन गुफाओं को पोलिश किया हुआ है और यहाँ भी भगवान विष्णु की मूर्ति
प्राप्त हुई, जिसे बाद में नालंदा संग्रहालय में रखवा दिया गया.
4. जयगढ़ के किले का खजाना : जब बात खजानों की हो और
राजस्थान का नाम ना आयें ऐसा कभी नहीं हो सकता. मान सिंह के बारे में तो आप सभी
जानते होंगे, वे जलालुद्दीन अकबर के सेनापति थे, उन्होंने सन 1580
में अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त की थी. तब वे मोहम्मद गजनी के खजाने को लेकर भारत
आये लेकिन उन्होंने खजाने की जानकारी अकबर को नहीं दी और सारा खजाना जयगढ़ के इस
कीले में दबवा दिया.
Rajaa Maharajaon Ke Khajanon ki Jankaari |
उन्होंने
खजाना छिपाने के लिए किले के नीचे तहखाने बनवाएं और उन्हें खजाना रखा. देश की
पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 1976 में इस खजाने को खोजने के लिए
अपनी जी जान तक लगा दी थी और 6 महीनों तक कीले में खुदाई चली लेकिन उनकी मेहनत
व्यर्थ गयी. किन्तु लोगों का मानना है कि खुदाई के रोके जाने के बाद खुदाई रोकी
गयी तो किले से ट्रकों के काफिले निकले थे, उस वक़्त दिल्ली जयपुर के सभी
रास्तों को सभी के लिए बंद कर दिया गया था. उसके बाद फौजी ट्रकों में सारा खजाना
प्रधानमन्त्री के आवास तक पहुंचाया गया. इस मामले के बारे में जानने के लिए एक
पत्रकार ने RTI अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई प्रश्न पूछे
किन्तु उसे किसी भी प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया.
एक
अन्य कथा के अनुसार मान सिंह ने जोधा को खाने के बारे में सब बता दिया था, तब जोधा ने
सारा खजाना वहाँ से निकलवाकर फतेहपुर सिकरी के एक मंदिर में रखवा दिया था और समय
के साथ साथ वो सारा खजाना वक़्त की रेत में रहस्य बन गया. फतेहपुर के लोग तो ये
मानते है कि आज भी वो खजाना वहीँ पर है.
Sone Chaandi Jevaron se Bhare Khajaane |
5. हिमाचल प्रदेश की कमरुनाग
झील का खजाना : इस झील के बारे में सबसे बड़ा रहस्य ये है कि
इसका अंत पाताल में होता है. साथ ही इसमें छिपे खजाने की रक्षा स्वयं नाग देव करते
है. इस झील को इतना पवित्र माना जाता है कि लोग इसमें आभूषण अर्पित करते है और
उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. लोग मानते है कि झील
में भेंट किये आभूषण सीधे देवताओं तक पहुँचते है और यही कारण है कि दूर दूर से लोग
यहाँ अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते है और आभूषण भेंट करते है.
इस
मंदिर को भी महाभारत कालीन ही माना जाता है, इसके साथ लड़की का बना एक
पुराना मंदिर भी है जिसमें कमरुनाग की प्रतिमा स्थापित है. लोगों इसे चमत्कारी झील
मानते है और माना जाता है कि रात के समय इसमें गडगडाहट की आवाजें भी आती है,
साथ ही झील का पानी अपने आप ऊपर उठने लगता है और मंदिर तक पहुँचता
है. जैसे ही पानी मंदिर की प्राचीन प्रतिमा के चरणों को स्पर्श करता है वैसे ही
पानी फिर लौट जाता है. किन्तु इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है.
क्योकि
सदियों से ही इस झील में सोने चांदी के जीवर डाले जा रहे है इसीलिए माना जाता है
कि झील की तलहटी में एक बड़ा खजाना इक्कठा हो चुका है. इस खजाने की कीमत कितनी हगी
इसका अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता.
ऐसी
ही अन्य रहस्यमयी रोचक कथाओं और तथ्यों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
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Padamnaabh Mandir Khajana |
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