स्वादिष्ट
खट्टी मीठी इमली ( Delicious Sour and Sweet Tamarind )
इमली
देखते ही हर किसी के मुहँ में पानी आ जाता है क्योकि उसका खट्टा मीठा स्वाद सभी को
पसंद होता है. इसके इस्तेमाल अनेक पकवानों को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी किया जाता
है किन्तु इसकी खासियत यहीं तक ही सिमित नहीं है बल्कि इसका सेवन सेहत के लिए भी
फायदेमंद रहता है. हो सकता है कि आपको ये सुनने में अजीब लगे किन्तु यही सत्य है.
इसके औषधीय गुण अनेक रोगों का उपचार करने की क्षमता रखते है जिनके बारे में आज हम
आपको बताएँगे.
इमली
के औषधीय गुण और उनका रोगों में इस्तेमाल ( Medicine Qualities of
Tamarind and Their use in Diseases ) :
· नपुंसकता ( Impotency ) : नपुंसकता आजकल युवाओं में
होने वाली सबसे घातक बिमारी है क्योकि ये उनके भविष्य को ही खत्म कर देती है.
किन्तु इसका उपचार इमली के पास है जिसके लिए रोगी को इमली के बीजों को दूध में तब
तक उबालना है जब तक उसका छिलका ना उतर जाएँ. छिलका उतरने से इमली की सफ़ेद गिरी बच
जाती है जिसे पीसकर चूर्ण बनायें और देशी घी में भुनें. अब चूर्ण की समान मात्रा
में चीनी या शक्कर मिलाएं और उसे संभालकर रख लें. इस चूर्ण को दिन में 2 बार 10
ग्राम की मात्रा में लें, यकीन मानियें आपकी नपुंसकता की समस्या जल्द ही दूर हो जायेगी. CLICK HERE TO KNOW खट्टा मीठा मौसमी का फल ...
Laajawab Gunon Walli Imli |
· बुखार ( Fever ) : वैसे तो बुखार को सामान्य
रोग माना जाता है किन्तु कुछ लोग इससे लगातार बीमार रहते है और ऐसे होने पर शरीर
की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है और उन्हें अन्य रोग होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
ऐसे में उन्हें इमली के बीजों का रस निकालें और उसमें थोड़ी इलायची व् खजूर मिला
दें. इस मिश्रण की 15 ग्राम की मात्रा रोगी को पिलायें, इस उपाय को
कुछ दिन अपनाने से पीड़ित की बुखार आने की समस्या दूर होती है.
· पीलिया ( Jaundice ) : वहीँ पीलिया होने पर रोगी
पानी में इमली के पत्ते और फुल डालकर काढा तैयार करें और उसे पी जाएँ. 1 सप्ताह तक
रोजाना दिन में 2 बार इस काढ़े का सेवन करने से पीलिया दूर होता है.
· चोट मोच में राहत ( Relief in Sprain Injury ) : ऐसी स्थिति में इमली के
पत्तों को पानी में उबालें और उससे मोच वाली जगह की सिखाएं करें. जल्द ही सुजन और
मोच दूर होती है और दर्द में राहत महसूस होती है.
· भूख बढायें ( Increase Appetite ) : शरीर के विकास के लिए भोजन
का सेवन आवश्यक होता है किन्तु कुछ लोगों को भूख ही नहीं लगती जिस कारण उनका विकास
रुक जाता है और वे कमजोर हो जाते है. ऐसे लोगों को इमली के पके हुए फलों को मसलकर
रस बनाना है और उसमें थोडा सा काला नमक डालकर उसका सेवन करना है. इस रस को सुबह
शाम लेने से भूख बढने लगती है. CLICK HERE TO KNOW संतरे के औषधीय प्रयोग ...
लाजवाब गुणों वाली इमली |
· उल्टी ( Vomiting ) : अगर किसी कारणवश लगातार
उल्टियाँ हो रही है तो पकी हुई इमली लें और उसे पानी में अच्छी तरह घोल लें और
पीड़ित को पिलायें.
· शारीरिक ताकत बढाने के लिए ( Increases Physical Power ) : एक भगोने में पानी लें और
उसमें 4 दिनों के लिए 1 किलो इमली के बीज भीगने के लिए छोड़ दें. पांचवे दिन बीजों
के छिलके उतारें और पीसकर लेप तैयार करें. अब इस लेप में उसका दोगुना पुराना गुड
भी मिला दें और आटे के जैसे गुथें. अब इसकी बेर के आकार की छोटी छोटी गोलियाँ
बनायें और शारीरिक संबंध बनाने से 2 घंटे पहले दूध के साथ लें. इसके प्रयोग के बाद
आप संबंधों का पूर्ण आनंद ले पाते हो.
· नशा समाप्ति ( Ends Addiction or
Intoxication ) : आप कुछ पकी हुई इमलियाँ लें
और उसके गुदे को जल में भिगोकर मथ लें. अब इसे छाने और गुड मिलाकर नशे की लत से
पीड़ित व्यक्ति को पिलायें.
· लू से बचाव ( Protects from Heat Stroke ) : गर्मियों में लू लगने का
खतरा लगातार बना रहता है, इससे बचने के लिए अपने हाथों पैरों के तलवों पर इमली का गुदा मल लें. ये
उपाय लू के प्रभाव को समाप्त करता है, वहीँ अगर किसी को
गर्मी में बेहोश होने का रोग है तो उन्हें इस गुदे को सिर में भी अवश्य लगाना
चाहियें.
· गले की सुजन ( Swelling Throat ) : 1 किलों जल में 10 ग्राम
इमली मिलाकर तब तक जलाएं जब तक पानी आधा ना रह जाएँ, उसके बाद इसमें थोडा गुलाबजल
मिलाएं और पीड़ित व्यक्ति को गरारे व कुल्ला करने के लिए दें.
Matchless Excellent Qualities of Tamarind |
· खांसी में रक्त ( Blood in Cough ) : अगर खांसी में रक्त आने लगे
तो उसे टीबी रोग का नाम दिया जाता है. इस अवस्था में तवे पर इमली के बीज सेंकें और
उनके छिलके निकाल दें. अब इसे पिसें और छान लें, इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा
में शहद के साथ दिन में 3 – 4 बार चाटना है. ये उपाय पीले कफ़,
खांसी में रक्त, तेज खांसी इत्यादि को खत्म
करता है.
· हृदय की जलन ( Burning Heart ) : हृदय जलन को शांत करने के
लिए आपको पकी हुई इमली का रस निकालना है और उसमें मिश्री मिलाकर पीना है.
इनके
अलावा इमली का प्रयोग अन्य रोग जैसे बहुमूत्र रोग, नेत्रों में गुहेरी, चर्मरोग, अंडकोषों में जलन, खुनी
बवासीर, पांडू रोग, सांप और बिच्छु का
विष उतारने इत्यादि रोगों में भी किया जाता है.
इमली
के रोगों में ऐसे ही लाभदायी प्रयोगों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत
नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
इमली के ख़ास नुस्खें |
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