जलजमनी
( Jaljamni )
प्रकृति
के हर कण की कोई न कोई विशेषता होती है इसीलिए हर वृक्ष या पौधा कहीं ना कहीं
हमारे लिए जीवनदायी होता है क्योकि उसी के औषधीय गुणों की मदद से हम अपने रोगों का
निवारण कर पाते है. हाँ इनमें से कुछ वृक्ष जहरीले भी होते है किन्तु उनमें भी कुछ
ऐसी खासियत होती है कि उनका भी इस्तेमाल किया जा सकता है. हर पौधे को मनुष्य ने
अपनी सहूलियत के अनुसार विभाजित किया हुआ है इसलिए कुछ पौधे खरपतवार में शामिल
किये गए है तो कुछ को उच्च श्रेणी प्राप्त है, वहीँ कुछ को तो बेवजह ही उखाड़
भी दिया जाता है. CLICK HERE TO KNOW सत्यानाशी का पौधा भरे हर घाव ...
Jaljamni ke Aushdhiya Prayog |
जलजमनी
की बेल लगती अहि जिसे अक्सर लोग खराब या अनुपयोगी समझ कर उखाड़ फेंकते है. इसकी एक
अजीब सी खासियत है कि ये पानी को गाढा कर उसे जैली जैसा बना देती है. इन्हें अक्सर
खेतों, जंगलों, खेतों की बाड़ों, घर के
आसपास किसी छाया वाले स्थान पर देखा जा सकता है. क्योकि ये पानी को जमाने में सक्षम
है इसीलिए इसका नाम जलजमनी पडा है अर्थात जल को जमा देने वाली. कुछ लोग इसे
पातालगारुडी के नाम से भी जानते है वहीँ विज्ञान की भाषा में इसे कोक्युल्स
हिरसुटस ( Cocculus Hirsutus ) कहा जाता है.
जलजमनी
के पत्ते दिखने में चिकने होते है साथ ही इनकी तासीर ठंडी होती है और अगर इन
पत्तों को पीसकर उसे रात भर के लिए पानी में छोड़ दिया जाए तो ये रातभर में पानी को
जमा देती है. इसके अलावा भी इसके कुछ ख़ास प्रयोग है जिनको रोगों से निजात पाने के
लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. जलजमनी के ऐसे ही कुछ प्रयोग निम्नलिखित है जिन्हें
हम अपने जीवन में सम्मिलित कर सकते है. CLICK HERE TO KNOW सहजन के स्वस्थ्य लाभ ...
जलजमनी के औषधीय प्रयोग |
जलजमनी
के आयुर्वेदिक प्रयोग ( Aayurvedic Uses of Jaljamni ) :
· श्वेत प्रदर ( Blennenteria ) : वे महिलायें जिन्हें श्वेत
प्रदर या रक्त प्रदर की समस्या है उन्हें जलजमनी की 5 से 7 ग्राम पत्तियों को लेना
है और उसे पीसकर उनका रस निकालना है. अब इस रस को 1 कप पानी में डालकर पीसी हुई
मिश्री और काली मिर्च मिलाएं. इस मिश्रण को प्रातःकाल और सांयकाल लें. 2 से 3
दिनों में ही आपको रोग में आराम का असर दिख जाएगा.
· माहवारी का जल्दी आना ( Cures Menstruation Problems ) : महिलाओं को माहवारी से अनेक
समस्याएं होती रही है, कभी ये जल्दी आ जाती है तो कभी देरी से, कभी रक्त
अधिक आता है तो कभी रक्त आता ही नहीं. इनके अलावा भी कुछ रोग है जो माहवारी से
जुड़े होते है इन सबका एक ही उपचार है और वो है जलजमनी, इसको
इस्तेमाल करने के लिए आप इसकी टहनियों को धुप में सुखा लें, फिर
उन्हें पीसकर पाउडर तैयार करें. इस पाउडर को 2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ
पिने से 15 दिनों में माहवारी की सभी समस्याएं दूर होती है. ये उपाय वे लोग भी कर
सकते है जिन्हें धातुक्षीणता, स्वप्नदोष इत्यादि रोग है.
· कमजोरी ( Removes Weakness and Gives
Strength ) : आजकल बच्चों के आसापस के
वातावरण और खानपान की वजह से उनका विकास रुक जाता है और शरीर में कमजोरी पैदा हो
जाती है, ऐसी अवस्था में उन्हें समान मात्रा में जलजमनी, अश्वगंधा,
शतावर और मुसली लेनी है और उनको पीसकर उनका चूर्ण तैयार करना है. इस
चूर्ण को रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में लेने से शरीर बलशाली और हष्ट पुष्ट होता
है.
· सर्पदंश ( Cures Snake Bite ) : अगर कभी किसी को सांप काट
लें तो तुरंत जलजमनी की 10 ग्राम जड़ों और 8 ग्राम काली मिर्च को पिसें और पानी के
साथ रोगी को पिलायें. ये उपाय हर 15 मिनट के बाद करते रहें. ये आदिवासियों के समय
का उपाय है इसके सेवन से पीड़ित व्यक्ति को उल्टियाँ आने लगती है जिससे सांप के जहर
का असर कम होता है.
Medicine Use of Jaljamni |
· फोड़ें फुंसियाँ ( Removes Boils and Pimples ) : वहीँ अगर चेहरे पर अधिक फुंसियाँ
या फोड़ें है तो आपको बस इसकी पत्तियों को घिसकर लेप तैयार करना है और उसे फुंसियों
पर इस्तेमाल करना है, 1 – 2 दिनों में फुंसियों का नामों निशान तक नहीं
बचता.
· दाद खाज ( Good in Ringworms and
Itches ) : आजकल कई रोगों में या किसी
इन्फेक्शन की वजह से लोगों में दाद खाज खुजली की समस्या को भी बहुत देखा जा रहा है
ऐसे में आपको जलजमनी की पत्तियों का लेप प्रभावित जगहों पर लगाना है क्योकि इसमें
एंटीमईक्रोबियल नाम का तत्व पाया जाता है जो खुजली में शीघ्र आराम दिलाता है.
· जोड़ों का दर्द ( Treat Joint Pain ) : जोड़ों में दर्द और आर्थराईटिस की
समस्या से परेशान लोगों को दर्द से निजात पाने के लिए जलजमनी की पत्तियों और इसकी
जड़ को पानी की मदद से पीसकर जोड़ों पर लगाने से राहत मिलती है.
· शुक्राणुओं की कमी ( Increases Strength and
Stamina ) : अगर शरीर में शुक्राणुओं की
कमी है तो रोगी इस्सकी पत्तियों से काढा बनाएं और रोजाना इसका सेवन करें. इसकी
पत्तियों में स्पर्मेटोसिस अर्थात शुक्राणु बनाने की अदभुत शक्ति पायी गयी है.
· मधुमेह ( Cures Diabetes ) : मधुमेह भी आधुनिक युग की ही
दी हुई ऐसी बिमारी है जिसके शिकार हर घर में मिल जाते है. इन रोगियों को दिन में 4
से 5 जलजमनी की पत्तियों का सेवन करना चाहियें. ये टाइप – 2 डायबिटीज
के पेशेंट्स के लिए लाभदायी प्राकृतिक हर्बल उपचार है.
जलजमनी पातालगरुडी के आयुर्वेदिक गुण |
· पौरुषत्व बढाये ( Increases Mainly Power ) : इसकी पत्तियों को रात भर
पानी में डालकर रखें ताकि ये पानी को जमाकर उसे जैली में बदल दें. आदिवासियों की
मान्यता के अनुसार अगर इस पानी को रोजाना मिश्री मिलाकर पिया जाएँ तो ये पौरुषत्व
को बढ़ा देती है. इसीलिए इसे हर्बल पौरुष शक्तिवर्धक के रूप में भी इस्तेमाल किया
जाता है.
· नकसीर ( Treat Hemorrhage ) : नकसीर आने पर या जलन होने पर
इसकी पत्तियों से शरबत बनाकर उसका सेवन करें. अगर शरबत बनाने में कोई आपत्ति हो तो
आप इसकी पातियों का 1 ग्राम पाउडर पानी के साथ लें. क्योकि इसकी तासीर शीतल होती
है इसलिए ये मन और शरीर दोनों को शीतलता देता है.
जलजमनी
के रोगों में अन्य औषधीय प्रयोगों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे
कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Jaljamni ka Rogon mein Istemal |
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क्या इसे सिलहता भी कहते हैं?
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