यमराज
ने खोले मृत्यु के कई राज ( Yamraaj Opened the Secret of Death )
नचिकेता
अपनी पितृभक्ति के फलस्वरूप काफी विख्यात है, वे अपने पिता के वचन को पूरा
करने के लिए यमराज के पास पहुँच गए थे और उनसे 3 वरदान प्राप्त किये, जिनमें पहला था अपने पिता की कृपा उनका स्नेह, दुसरे
वर में उन्होंने अग्नि विद्या को जानने की इच्छा जाहिर की और तीसरा वरदान था
मृत्यु और आत्मा के ज्ञान का रहस्य. यमराज ने पहले 2 वरदान तो निसंकोच दे दिए
किन्तु तीसरे वरदान को उन्होंने टालना चाहा किन्तु उनके अनेक प्रयास के बावजूद भी
नचिकेता नहीं डिगा और यमराज को नचिकेता के सवालों का जवाब देना पडा. तो आओ जानते
है कि नचिकेता ने उनसे क्या प्रश्न किये और यमराज ने उनका क्या जवाब दिया. CLICK HERE TO KNOW यमराज ने बताएं मृत्यु के राज ...
Mrityu ke Ansune Raaj |
· पहला प्रश्न ( First Question ) : शरीर से ब्रह्म ज्ञान व
दर्शन कैसे होता है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : यमराज ने कहा कि हर व्यक्ति
के शरीर में 2 नाक के छिद्र, 1 मुहँ का छिद्र, 2
आँखें, 2 कान, नाभि, गुदा और शिश्न होते है, ये एक तरह से 11 दरवाजे होते
है जिसे ब्रह्म की नगरी भी कहा जाता है. ब्रह्म मनुष्य के हृदय में रहते है. जो भी
व्यक्ति इस रहस्य को समझ लेता है और नित्य ध्यान और चिंतन करता है उनके जीवन से
दुःख निर्वासित हो जाते है और उनका चिंतन उन्हें जन्म मरण के इस खेल से बाहर
निकाल देता है.
· दुसरा प्रश्न ( Second Question ) : क्या आत्मा की भी मृत्यु
होती है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : नहीं कदापि नहीं, आत्मा अमर
है शरीर नश्वर है इसलिए जो व्यक्ति आत्मा को नश्वर मानते है उन्हें ना तो खुद का
ज्ञान है ना आत्मा का, ऐसे लोग भटके हुए होते है. आत्मा ना
कभी मरती है और ना ही कोई उसे मार ही सकता है. CLICK HERE TO KNOW शनि देव जी की स्त्री रूप धारण कथा ...
मृत्यु के अनसुने राज |
· तीसरा प्रश्न ( Third Question ) : परमात्मा का वास हृदय में
कैसे माना जाता है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : इस बात पर यमराज ने कहा की
सिर्फ मनुष्य ही है जो परमात्मा को पाने के अधिकारी होते है इसीलिए मनुष्य का हृदय
ही ब्रह्म को पाने का स्थान है. उन्होंने बताया कि जैसे हृदय का माप अंगूठे के
समान होता है ठीक उसी प्रकार से ब्रह्म को भी अंगूठे के आकार का कहकर पुकारा जाता
है. जिस व्यक्ति को ये बात समझ में आ जाती है कि उसके हृदय में ब्रह्म का वास है, उसका नजरिया
दूसरों के प्रति भी बदल जाता है और वो घरना से मुक्त हो जाता है.
· चौथा प्रश्न ( Fourth Question ) : आत्मा का स्वरूप क्या है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : यमराज ने बताया कि जब शरीर
का नाश होता है तो उस वक़्त जीवात्मा का नाश नहीं होता. ना तो आत्मा भोग करती है और
ना ही विलास, उसका इस शरीर से कोई लेना देना नहीं होता, आत्मा
दोषरहित अनंत अनादी है, इसका ना कभी जन्म हुआ है और ना ही ये
मरती है, ना इसका कोई कारण है और ना ही कार्य.
Unheard Secrets of Death |
· पांचवा प्रश्न ( Fifth Question ) : जिन व्यक्तियों को आत्मा और
परमात्मा का ज्ञान नहीं है वे कैसे फल भोगते है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : इसपर यमराज ने उदहारण देते हुए
समझाया कि जब पहाड़ों पर बारिश आती है तो उनका पानी नीचे की तरफ बहता है और अपने
रास्ते, रंग, रूप और गंध को बदलता रहता है ठीक उसी प्रकार से
हम सभी देव, मनुष्य, असुर इत्यादि
परमात्मा से ही जन्मे है, सभी अलग अलग रूप में उसी की पूजा
करते है किन्तु फल सबको एक ही प्राप्त होता है ठीक इसी तरह हम सब अपने कर्मों के
आधार पर ही चौरासी लाख योनियों में भटकते रहते है.
· छठा प्रश्न ( Sixth Question ) : ब्रह्मा का स्वरूप कैसा है? वे कहाँ है?
और कैसे प्रकट होते है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : यमराज ने कहा कि ब्रहम वसु
है अर्थात वे स्वयं प्रकट होते है, वे हर जगह है. हमारे घरों में
अतिथि बनकर आने वाले भी वहीँ है, यज्ञ में आहुति और अग्नि
अर्पित करने वाले भी वसु है. इसी तरह हर मनुष्य, देवता,
आकाश, पितृ, सत्य,
मछली, शंख, औषधि,
पेड़ पौधे, पृथ्वी, अनाज,
नदी, पर्वत इत्यादि हर कण में वे है और इस तरह
वे हर समय प्रकट ही रहते है जरूरत है तो बस उन्हें पहचानने की.
ब्रह्म दर्शन कैसे होता है |
· सांतवा प्रश्न ( Seventh Question ) : शरीर से आत्मा के चले जाने
के बाद शरीर में क्या रहता है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : जैसे ही शरीर से आत्मा निकल
जाती है वैसे ही शरीर से सभी इन्द्रियां और प्राणवायु भी निकाल जाती है और शरीर को
देखने पर लगता है कि उसमें कुछ नहीं बचा किन्तु तब भी उसमें परमात्मा होते है
क्योकि वो तो हर जड़ चेतन में है. वो वहाँ भी जहाँ सब कुछ है और वो वहाँ भी है जहां
कुछ भी नहीं.
· आँठवा प्रश्न ( Eighth Question ) : मरने के पश्चात आत्मा को कौन
कौन सी योनी मिलती है और क्यों?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : ये सब कर्मों पर निर्भर करता
है कि किसको कौन सी योनी मिले. हर व्यक्ति की संगती, उसके गुरु, उसकी शिक्षा, व्यापार, कर्म,
पाप – पुण्य, स्वभाव
इत्यादि से उसके कर्मों का निर्धारण होता है. उनके आधार पर ही ये निश्चित किया
जाता है कि आत्मा को मनुष्य योनी मिलेगी या कोई पशु योनी. अगर कोई अधिक पापी होगा
को तो उनके कर्मों के अनुसार ही काफी नीची योनी मिलेगी.
Kahan Vaas Karte Hai Parmatma |
· नवा प्रश्न ( Ninth Question ) : आत्मज्ञान और परमात्मा का
स्वरूप क्या है?
यमराज
का उत्तर ( Answer ) : यमराज ने ॐ को परब्रह्म
परमात्मा का प्रतिक स्वरूप बताया. ओमकार ही अविनाशी, सर्वश्रेष्ठ और अंतिम माध्याम
है. अनेक वेदों और छंदों में भी ॐ को ही परमात्मा का स्वरूप बताया है. हर मनुष्य
को परमात्मा के इसी नाम की शरण लेनी चाहियें.
आपने
देखा कि नचिकेता ने मृत्यु के रहस्यों को जानने के लिए अपने प्रश्नों की शुरुआत यम
के धर्म अधर्म से मुक्त होने, प्रकृति, भुत,
तीनों काल और परब्रह्म के रूप को जानने की जिज्ञासा के साथ की और
उन्हें जाना भी. उनकी पितृभक्ति और उनके साहस की वजह से उन्होंने इस अद्वितीय
कार्य को किया और हमे भी मृत्यु के रहस्य को समझने में सहायता की.
मृत्यु
के रहस्यों से जुड़े किसी सवाल या ऐसी ही अन्य मजेदार कहानियों के बारे में जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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- मृत्यु के अनसुने राज
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