कैंसर
से जंग ( Fight with Cancer )
हम
सबने अपने जीवन को इतना अधिक व्यस्त कर लिया है कि हमारे पास खुद के लिए कोई समय
ही नहीं है, ना तो हम अपने खान पान का ध्यान रखते है और ना ही अपने शरीर का, इस तरह हमारी सारी जीवनशैली ही परिवर्तित हो चुकी है. यही कारण है कि
हमारी रोगों से लड़ने वाली शक्ति प्रतिदिन कम होती जा रही है और रोग बढ़ते जजा रहे
है. किन्तु कुछ उपाय ऐसे है जिनको आप अपनी दिनचर्या के मात्र 15 मिनट दें तो,
वे आपके जीवन को रोगमुक्त कर आपको निरोगी काया प्रदान करने में
सक्षम है. CLICK HERE TO KNOW प्याज के गुणकारी स्वास्थ्य लाभ ...
Cancer or Anya Ghaatak Rogon ka Ilaaj |
गेहूँ
के ज्वार ( Wheat Tide ) :
जब
गेहूँ के दानों को बोया जाता है तो उनमे से एक पत्ता उगकर ऊपर आता है उसे ही गेहूँ
का ज्वार कहा जाता है. इन ज्वार को आप नवरात्रों के समय अपने घरों में भी देखते
होगे क्योकि तब हर घर में गेहूँ के ज्वार को उगाया जाता है. इस ज्वार का रस
प्रकृति के गर्भ में छुपी एक ऐसी अनूठी औषधि है जिसे मानव जीवन के लिए भेंट माना
जाता है. इसका रस इतना विख्यात है कि इसे “ हरा खून “ ( Green Blood ) की उपाधि दी गई है, इसका कारण
इसका असाध्य रोगों में प्रयोग है.
एक
शोध के अनुसार ये करीब 350 से भी अधिक रोगों को चमत्कारिक तरीके से ठीक कर देता
है. शरीर को शक्तिवान बनाने वाला ये टोनिक प्राकृतिक रूप से विटामिन, क्षार,
कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन का भण्डार भी है. इसका सेवन करने वाले
असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है जो गेहूँ के ज्वार को
मूल्यवान भी बनाते है.
गेहूँ
के ज्वार उगाने की विधि ( The Method of Preparing Wheat Tide ) :
गेहूँ
के ज्वार को उगाने के लिए आपको मिटटी के एक बर्तन की जरूरत पड़ेगी जिसमें आप मिटटी
और खाद मिलाकर डालें. पहले दिन इतने बीज बोयें कि सारी मिटटी ढेंक जाएँ फिर बर्तन
में पानी डालें और उसे छाया में रख दें, इस बात को सुनिश्चित कर लें कि
बर्तन पर धुप सीधी ना पड़े. दुसरे दिन मिटटी का दूसरा बर्तन बोयें, इसी तरह नौ दिनों तक नौ बर्तनों में गेहूँ बोयें.
अब
दसवें दिन पहले दिन वाले बर्तन के ज्वार को उपयोग में लायें और दुबारा से उसमें
गेहूँ बोने के लिए रख दें. इस तरह रोजाना आपको ज्वार मिलती रहेगी और आप उसका रस
लगातार नियमित रूप से पी सकोगे. ध्यान रहें कि रोजाना हर बर्तन को पर्याप्त पानी
भी देना है और ज्वार के 7 – 8 इंच लंबा होने पर ही उनको प्रयोग में लायें. जैसे ही ज्वार इससे अधिक
लम्बाई हासिल करने लगेंगे वैसे वैसे उनके गुणों में कमी आने लगेगी. इनको प्रयोग
में लाने के लिए आप इन्हें मिटटी की सतह से कंची की मदद से काट सकते हो. CLICK HERE TO KNOW टमाटर की आयुर्वेदिक खूबियाँ ...
कैंसर और अन्य घातक रोगों का इलाज |
ज्वार
का रस निकालें ( How to Make Juice of Wheat Tide ) :
ध्यान
रहें कि आप ताजी ज्वार का ही इस्तेमाल करें अर्थात जब आप जूस निकालकर पीना चाहते
हो तभी ज्वार को काँटे, फिर इन्हें पानी से साफ़ करें. इसका रस निकालने के लिए आप इन्हे कूटें,
इसकी चटनी बन जायेगी जिसे आप किसी कपडे की मदद से दबाकर जूस को अलग
कर सकते हो. जूस निकालने का सबसे आसान तरीका है कि आप मिक्सी का इस्तेमाल करें.
जैसे ही रस निकालें तभी उसे पीना उत्तम होता है वर्ना इसके पौषक तत्व नष्ट होने
लगते है. किन्तु ध्यान रहें कि इसे आराम से धीरे धीरे पीना है.
इसकी
एक खासियत ये भी है कि इसे किसी भी वक़्त पीया जा सकता है और इसके स्वाद को बढाने
के लिए आप इसमें शहद, अदरक, नीम्बू या कोई अन्य चीज भी डाल सकते हो.
किन्तु ध्यान रहे कि जूस पीने के आधा घंटा पहले और आधा घंटा बाद तक ना तो कुछ खाएं
और ना ही कुछ पियें वर्ना आपको उल्टी या सर्दी हो सकती. किन्तु ऐसे होना भी आपके
लिए लाभदायी ही है क्योकि ये दिखाता है कि आपके शरीर में कितना विष बना हुआ है.
ज्वार का रस आपके शरीर के इस विष को भी निकाल देता है. एक और बात ये कि जिन लोगों
को इसका रस अच्छा नहीं लगता वे इसे चबा कर भी खा सकते है इससे दांतों और मसूड़ों को
मजबूती मिलती है और मुहँ की दुर्गन्ध दूर होती है.
Treatment of Cancer and Other Deadly Diseases |
रोगमुक्ति
में गेहूँ के ज्वार ( Wheat Tide to Cure Diseases ) :
जैसाकि
हमने बताया कि ये असंख्य रोगों से निवारण की एक चमत्कारिक औषधि है, उन्ही में
से कुछ रोग कुछ निम्नलिखित है जिनमें ये आराम दिलाता है –
§ कैंसर
§ हृदय रोग
§ अपच
§ मूत्राशय में पथरी
§ डायबिटीज
§ पायरिया
§ अनीमिया
§ पीलिया
§ लकवा
§ दमा
§ जोड़ों में दर्द सुजन
§ गठिया
§ संधिशोथ
§ त्वचा रोग
§ आँखों के रोग
§ सफेद बाल काले करे
§ घाव भरे
§ जली त्वचा को ठीक करे
§ दांतों की मजबूती
§ पेट विकार ( अपच, गैस,
अफारा, कब्ज इत्यादि )
§ वायु विकार
§ पाचन शक्ति को मजबूती
§ ऊर्जा का संचार करे
§ विटामिन की कमी पूरा करें
इत्यादि
गेहूँ के ज्वार का कमाल |
उपयोग
( Use ) :
वैसे
तो दिन में इसकी 2 ग्लास की मात्रा पर्याप्त होती है किन्तु वे लोग जो जीवन और
मृत्यु के बीच जूझ रहे है उन्हें दिन में 4 बड़े ग्लास ज्वार के रस के पीने
चाहियें. इस तरह 1 सप्ताह के भीतर ही उनके अन्दर जीने की चाह जागने लगती है. इसका
उपयोग वे भी कर सकते है जो रोगी है और वे भी कर सकते है जो निरोगी है.
कुछ
लोग मांस और दूध को अधिक गुणकारी मानते है किन्तु आपको बता दें कि ज्वार के रस में
उनसे भी अधिक गुण होते है. साथ ही ये उन दोनों से सस्ता भी आता है, ये खोये हुए
स्वस्थ को पाने के लिए ईश्वर का एक वरदान माना जाता है. घर का हर व्यक्ति चाहे वो
छोटा हो या बड़ा सभी इसका सेवन कर सकते हो, यहाँ तक नवजात
शिशु को भी इसकी 5 बूंदें प्रतिदिन पिलाने से लाभ मिलता है. इसके अनगिनत पौषक तत्व
शरीर की हर कमी को पूरा करते है. किसी भी मौसम और परिवेश में उगने वाले गेहूँ के
ये ज्वार समस्त शरीर के लिए एक आशीर्वाद की तरह है. अध्ययन बताता है कि मात्रा 1
माह में इससे शरीर ताजा, स्फुर्तिशील और तरावट से भरा बन
जाता है, जिससे शरीर हष्ट पुष्ट रहता है.
गेहूँ
के ज्वार के ऐसे ही अन्य लाभ और रोगों में इसके प्रयोग के बारे में अधिक जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Swasthya ke Liye Aashirvad Hai Jvaar |
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- मृत्यु के अनसुने राज
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