दांतों
का स्वास्थ्य ( Health Maintenance of Teeth )
जैसाकि
आप जानते ही है कि दांतों की सतह पर अनेक बैक्टीरिया रहते है जो खाना खाने के बाद
ब्रश व कुल्ला ना करने पर हमारे दांतों को नुकसान पहुंचा देते है. एक अध्ययन में
पता चला है कि बैक्टीरिया खाना खाने के 20 मिनट बाद दांतों पर हमला करते है और
खासतौर से वे उन हिस्सों को अपना निशाना बनाते है जहां मीठा अधिक हो. वे वहाँ
कैविटी या दांतों में सुराख कर देते है. जिसे Eyelet भी कहा जाता है. कुछ दांतों पर चिपके रहते है
और एक एसिड छोड़ते है जो मुंह की लार के साथ मिल जाता है और एक चिपचिपा पदार्थ बनता
है जिसे प्लाक भी कहा जाता है. इसके बाद अगर दांतों को कुछ दिनों तक साफ़ ना करें
तो ये प्लाक ही टारटर में बदलने लगता है जिसका सीधा असर दांतों और मसूड़ों पर पड़ता
है. इससे दाँतों में कीड़ा लगने का ख़तरा भी बढ़ जाता है. इसके अलावा भी कुछ रोग
दांतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, उन्हें नीचे बताया गया है साथ
ही उनसे बचाव के उपाय भी बताये गए है. CLICK HERE TO KNOW दांतों की बेहतरी का रखें ख्याल ...
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§ दांतों में कीड़ा लगने के
बचाव ( Protect Teeth from Worms ) : अभी हमने ऊपर दांतों में
कीड़ा लगने की बात की है तो सबसे पहले हम उसी से बचने का तरीका आपको बताते है. इसका
सबसे सरल उपाय यही है कि आप रात को सोने से पहले एक बार ब्रश अवश्य करें, मीठा खाएं
किन्तु उसके तुरंत बाद अच्छी तरह कुल्ला कर लें. दांतों की सफाई को बनाएं रखें.
§ कीड़ा बढ़ने पर ( If Worm Grows ) : अगर कीड़ा अधिक बढ़ चुका है और
दांतों में गहरा सुराख कर दिया है तो इसका असर दांतों की जड़ों पर भी पड़ता है और
इन्फेक्शन का ख़तरा बना रहता है. इस अवस्था में आप तुरंत रूट कनाल या फिलिंग कराएँ.
इस प्रक्रिया में दांतों में कोई पदार्थ भर दिया जाता है जो दांतों के सामान ही
दीखता है. इसके अलावा इस प्रक्रिया में दाँतों की रक्त वाहिनियों को भी काट दिया
जाता है ताकि उनकी वजह से कोई इन्फेक्शन ना फैले.
§ साँसों में दुर्गन्ध ( If Breath Stinks ) : सडन का मुख्य कारण होता है
दांतों की सफाई ना करना और दांतों में खाने के अवशेषों को पड़े रहने देना. ये सडन
ना सिर्फ मुंह में बदबू फैलाती है बल्कि अनेक रोग भी पैदा करती है. इसके अलावा पेट
में खराबी, प्याज लहसुन का सेवन और मुंह की लार का गाढा होना भी मुहँ में सडन पैदा
करता है. CLICK HERE TO KNOW दांतों में फिलिंग क्यों है जरूरी ...
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इलाज
( Treatment ) : घरेलू उपायों में आप लौंग, इलायची या
मिंट को चबाएं मुंह की दुर्गध तुरंत दूर हो जायेगी. इसके अलावा आजकल बहुत सारी
माउथ फ्रेशनर च्युइंगगम भी आती है जिनका इस्तेमाल आप कर सकते हो.
§ ठंडा गर्म लगना ( Feeling Cold and Hot ) : दांतों में गर्म या ठंडा
लगने के पीछे अनेक कारण हो सकते है जिनमें प्रमुख है दांत टूटना, मसूड़ों की
जड़ निकलना, दांतों में कीड़ा, नींद में
दांत किटकिटाना इत्यादि. वहीँ अगर आप अधिक दबाव डालकर ब्रश करते हो तो वो भी
दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या उत्पन्न कर देता है.
इलाज
( Treatment ) : क्योकि इसके कारण अलग अलग है
तो इसका इलाज भी इसके कारणों पर ही आधारित होता है. लेकिन अधिकतर सभी चिकित्सक इस
अवस्था में टूथपेस्ट को बदलने की सलाह देते है. किन्तु आप बिना चिकित्सक की सलाह
के कोई उपाय ना अपनाएँ.
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§ पायरिया ( Pyorrhea ) : पायरिया मुंह का एक भयंकर
रोग माना जाता है, इसका कारण मसूड़ों की सुजन, उनमें से खून निकलाना
होता है. इसके लक्षण के रूप में आप ध्यान रखें कि जब खाना चबाते वक़्त दांतों में
दर्द होने लगे तो समझ जाएँ आपको जल्द ही पायरिया होने वाला है. इसका एक लक्षण ये
है कि पायरिया में दांतों के पीछे पीली और सफ़ेद रंग की एक लेयर जम जाती है,
कुछ के तो सारे दांत हिलने आरम्भ हो जाते है.
इलाज
( Treatment ) : पायरिया का इलाज आप सर्जरी
के रूप में और दवाओं के रूप में कैसे भी करा सकते हो. किन्तु अगर इसकी शुरुआत ही
है तो आप दवाओं पर ही निर्भर रहें और अपने दांतों को स्वच्छ बनायें रखें.
ब्रश
करने का सही तरीका ( The Correct Way to Brush ) :
आपने
कई बार सूना होगा कि जितनी बार खाना खाया जाये उतनी बार ही ब्रश करना चाहियें
किन्तु ऐसा करना असंभव सा होता है लेकिन दिन में 2 बार तो ब्रश किया जा ही सकता
है. साथ ही आप 4 मिनट तक अवश्य ब्रश करते और वो भी सामान्य गति से. अगर आप तेज गति
से या दांतों को बर्तन समझकर उनकी सफाई कर रहें है तो इससे आपके दांत घीस सकते है, मसूड़ों को
हानि पहुँच सकती है और उनमें किसी तरह का रोग उत्पन्न होने की संभावना बन जाती है.
ब्रश करने का सही तरीका |
दांतों
की सफाई के लिए एक सॉफ्ट और स्मूथ ब्रश ही चुनें और पहले एक तरह की सफाई अच्छे से
करें तभी दूसरी तरफ जाएँ. ध्यान रहे कि आपको हर दांत की सफाई करनी होती है इसलिए
आपको ऊपर नीचे दाए बाएं हर तरफ ब्रश को घुमाना है और सफाई के लिए पूरा समय देना
है. आप दांतों और मसूड़ों के जोड़ को भी साफ़ करें. ब्रश का कार्य खत्म हो जाने के
बाद आप दांतों के बीच फंसे खाने को निकालने के लिए फ्लॉस का इस्तेमाल कर सकते हो.
फ्लॉस एक धागा है जिस आप दांतों के बीच में डालें और आगे पीछे हिलाएं. इसके बाद
बारी आती है जीभ की सफाई की, जिसके लिए आप टंग क्लीनर ( Tongue Cleaner ) का इस्तेमाल करें. इस तरह
दांतों की सफाई में 7 से 8 मिनट तो लग ही जाते है.
ब्रश
और टूथपेस्ट की भूमिका ( Role of Brush and Toothpaste for Teeth ) :
अगर
आपका ब्रश नर्म और आगे से पतला हो तो वो दांतों में फंसे गंद को आसानी से बाहर निकाल
देता है, जबकि हार्ड या सख्त ब्रश आपके दांतों के साथ साथ मसूड़ों को भी हानि
पहुंचाता है और उनमें घाव बनाता है. एक बात ये भी ध्यान रखें कि हर 3 – 4 महीनों के बाद आप ब्रश को बदल लें.
वहीँ
बात टूथपेस्ट की करें तो ये तो सिर्फ एक माध्यम है जो दांतों में सफाई बनाएं रखें
और एक सुरक्षा परत बनाने का कार्य करती है. मुख्य कार्य तो सारा ब्रश का ही होता
है. अगर आपके टूथपेस्ट में फ्लॉराइड ( Fluoride ) हो
तो इससे आपके दांतों को कीड़ा लगने का खतरा भी नहीं रहता, साथ
ही पिपरमिंट वाला टूथपेस्ट मुंह से दुर्गन्ध दूर करता है. जहाँ तक टूथपेस्ट की
मात्रा की बात है तो आप सिर्फ इतना टूथपेस्ट इस्तेमाल करें जितना की एक मटर का
दाना.
Daanton ka Swasthya |
सफाई के अन्य माध्यम ( Other
Methods of Cleaning Teeth )
:
· मंजन ( Toothpowder / Dentifrice ) : कुछ लोग होते है जो मंजन या
टूथ पाउडर के इस्तेमाल से दांतों को साफ़ रखने की कोशिश करते है किन्तु बता दें कि
पाउडर में घर्षण अधिक होता है जो इनेमल को घिसते है. इसलिए मंजन का कम इस्तेमाल
करें, किन्तु अगर आप करना ही चाहते है तो उसके लिए भी ब्रश का ही प्रयोग करें
नाकि अपनी उंगली का.
· दातुन ( Datun ) : गाँव में अधिकतर लोग नीम की
दातुन से दांतों की सफाई करते है. नीम की दातुन में ऐसे अनेक औषधीय गुण होते है जो
दांतों को रोगों से बचाएं रखते है और दांतों को मजबूती देते है. किन्तु ये दांतों
की सफाई के लिहाज से सही नहीं है. लेकिन आप सुबह घुमने जाते वक़्त दातुन को
इस्तेमाल करें और बाद में आप टूथपेस्ट करें. इस तरह आपके दांतों को सम्पूर्ण
सुरक्षा मिलती है.
Daanton ki Safai ke Maadhyam |
· स्केलिंग पोलिशिंग और
ब्लीचिंग ( Scaling, Polishing and Bleaching of Teeth ) : अधिक चाय व कॉफ़ी पीने, तम्बाकू और
पान खाने इत्यादि से दांतों पर गन्दगी की एक मोटी परत जम जाती है जिसको उतारने के
लिए स्केलिंग, पोलिशिंग और ब्लीचिंग जैसी तकनीकों का
इस्तेमाल किया जाता है. किन्तु ये कोई स्थायी इलाज नहीं है क्योकि ये सिर्फ 2 साल
तक ही कार्य कर पाती है. उसके बाद आपको दोबारा इन प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ता
है.
दांतों
को साफ़ स्वस्थ रोगमुक्त रखने और ब्रश करने के सही तरीके के बारे में अधिक जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Maintain the Health of Teeth |
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- लड़कियों को भी होता है स्वप्न दोष
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