बौद्धिक
स्तर ( Intellectual Level )
अगर
पुराने समय में शिक्षा की बात करें तो समाज विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए उनके
शिक्षक को ही छोड़ देता था और जब तब वो शिक्षा ग्रहण करता था तब तक विद्यार्थी का
अपने परिवार के साथ कोई संबंध नहीं रहता है. अपनी शिक्षा के दौरान उसे समाज के
रीति रिवाजों और रहन सहन से परिचित कराया जाता था, साथ ही बच्चे के अहंकार को
खत्म करने और समाज के कष्ट दिखाने के लिए घर घर भिक्षा मांगने के लिए भी भेजा जाता
था. जो भोजन वो मांगकर लाता था उसी से विद्यार्थी और शिक्षक का पालन पोषण भी होता
था. उसके बाद वो सेवा में आता था तब उसे उन सभी कष्टों को सहन करना होता था जो
उसने महसूस किये और देखे थे. इसका लाभ ये होता था कि उसे वास्तविकता का ज्ञान हो
जाता था साथ ही उसकी बुद्धि का विकास होता था. CLICK HERE TO KNOW क्या है गुरु का महत्व ...
Aaj ka Bouddhik Str |
· सत्यता से अनभिज्ञ लोग ( People Ignorant of the
Truth ) : किन्तु आज सबकुछ बदल चुका है
– लोग सत्यता
और वास्तविकता से अनभिज्ञ होते है. समझदार लोग आज भी है किन्तु उनकी संख्या बहुत
कम है, इन समझदार लोगों की पहचान इनके स्वभाव से हो जाती है
क्योकि ये इस कपटी संसार में भी खुद को विनम्र और सरल रखते है, उनके विचार उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाती है. जबकि बाकी सब अहंकार, पाखण्ड, बेईमानी और चालाकी का शिकार हो चुके है,
लोग एक दुसरे का शोषण करने और मुर्ख बनाने के बारे में सोचते है या
यूँ कहें कि इस कला में निपूर्ण हो चुके है. CLICK HERE TO KNOW ध्यान कैसे करें और इसकी प्रक्रिया ...
आज का बौद्धिक स्तर |
· बुद्धि स्तर के 2 वर्ग ( 2 Types of Intellectual
Level ) : अगर बौद्धिक स्तर के अनुसार
तुलना की जाए तो प्राणियों को आसानी से दो भागों में बांटा जा सकता है. जिसमें एक
प्रकार के प्राणियों को बुद्धिमान तो दुसरों को मुर्ख के वर्ग में डाला जा सकता
है. लेकिन बुद्धिमान भी तो 2 प्रकार के ही होते है एक बुद्धिमान तो दूसरा
सद्बुद्धिमान. सद्बुद्धिमान से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो अपनी बुद्धि को
अच्छे कार्यों में प्रयोग करते है लेकिन अगर बुद्धि ही स्वार्थ से भर जाए तो वो
बुद्धि नहीं रहती बल्कि चालाकी में बदल जाती है.
· बदलती सोच समाज का विनाश ( Change in Thoughts Bring
Social Destruction ) : आजकल या तो लोग बुद्धिमान ही
नहीं है और बुद्धिमान है तो उन्हें अच्छे कार्यों में लगाने की जगह चालाकी दिखाने
लगते है और यही वजह है कि आज की दुनिया में पाप और अनाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा
रहा है. ऐसा लग रहा है कि मनुष्य खुद अपने हाथों से ही प्रकृति का दोहन कर रहा है.
हर व्यक्ति अपना लाभ करने के लिए दूसरों का नुकसान करने और उन्हें क्षति पहुंचाने
के लिए तत्पर रहता है. सोच इस तरह परिवर्तित हो रही है कि खुद का 1 रुपया का फायदा
करने के लिए दुसरे व्यक्ति के 1000 रूपये का नुकसान करने से भी कोई पीछे नहीं
हटता. अब खुद अंदाजा लगा लें कि ये सोच किस तरह समाज का विनाश कर रही है.
Today’s Intellectual Level |
· सात्विकता का ध्यान ( Beware of Pious ) : जहाँ तक बात भोजन की है तो
शास्त्रों में सात्विक भोजन करने को सर्वोत्तम बताया गया है, साथ ही
कार्यों और खाद्य पदार्थों को सत, तम और रज में बांटा गया
है. लोगों को खाने से पहले या कार्य करने से पहले सचेत किया जाता था ताकि वे कुछ
विशुद्ध आहार ना खाएं किन्तु आज तो लोग बिना कुछ सोचे समझे कुछ भी खा लेते है और
जिसका परिणाम उन्हें रोगग्रस्त होने से चुकाना पड़ता है.
· सतोगुणी बुद्धि ( Satoguni Intelligence ) : अगर किसी व्यक्ति की बुद्धि
सतोगुणी होती है तो उनको सांसारिक व्यवहार में कुशलता और सफलता तो अवश्य मिलती है
किन्तु ऐसे लोगों को दिखावा, तनाव, छल कपट,
तिकड़मबाजी भी साथ में मिल जाते है. लेकिन इनकी सद्बुद्धि इनको मन की
शक्ति, तत्व ज्ञान, आध्यात्मिक शक्ति,
ईमानदारी और शान्ति भी अवश्य देती है.
आज
के बदलते बौद्धिक स्तर के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
बदलती सोच समाज का विनाश |
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- एक मौत धीमे धीमे
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