श्वेतार्क का पौधा ( Shvetark Plant )
श्वेतार्क दो शब्दों से मिलकर बना है – श्वेत + आक, जिससे श्वेतार्क पौधे से तात्पर्य उस वनस्पति पौधे से है जिसमें श्वेत अर्थात
सफ़ेद आक / मदार / आंकड़ा हो. अब ये बात तो आपको कुछ खास लग नही रही होगी, तो आपको बता दें कि
ऐसा माना जाता है कि श्वेतार्क के पौधे को 25 वर्ष होते होते उसकी जड़ पूर्ण रूप से
गणेश जी की आकृति धारण कर लेती है. किन्तु ये पौधा आपको बहुत कम देखने को मिलता है
और जो आक का पौधा आप अधिक देखते है उसके फूलों का रंग साफ़ेद होता है. इसके अलावा
श्वेतार्क के पौधे के पास आपको सांप देखने को भी मिलते है और इसी वजह से ये माना
जा है कि इस पौधे में खुद श्वेतार्क गणपति जी वास करते है. CLICK HERE TO KNOW पूजा के लिए विशेष मंत्र और देवी देवताओं के प्रिय पुष्प ...
Shvetark Ganpati Ji ka Mahtv |
शास्त्रों में श्वेतार्क ( Shvetark Plant in Scriptures ) :
इस पौधे की खासियत यहीं खत्म नहीं होती बल्कि शास्त्रों में भी इसका बखान किया
गया है और कहा गया है कि “ जिस भी जगह
श्वेतार्क का पौधा होता है उस पौधे के आसपास कोई ना कोई पुराना खजाना व धन अवश्य
गडा हुआ होता है और जो व्यक्ति अपने घर में श्वेतार्क के पौधे की जड़ को स्थापित
करेंगे उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी. इसीलिए शास्त्र इसे मानव जाति के
लिए देवों के एक आशीर्वाद उनकी कृपा के रूप में देखते है, जो मानव की रक्षा करते है और उनको समृद्धि प्रदान करते है.
अगर आपको भी कभी श्वेतार्क की ऐसी जड़ प्राप्त हो जाएँ जिसने गणेश जी की आकृति
ले रखी है तो आप उसकी तुरंत गणेश जी की प्रतिमा बनवा लें, उसपर लाल रंग का सिंदूर लगाएं और उसको स्थापित करने के लिए किसी लाल कपडे का
इस्तेमाल करें. लेकिन अगर आपको श्वेतार्क की जड़ गणेश जी की आकृति में नहीं मिलती
तो निराश ना हो, किसी कारीगर से कहें
कि वो उस जड़ को गणेश जी की आकृति दें और उसको ऊपर बताये गये तरीके से घर में
स्थापित करें. जब आप इसे स्थापित कर चुके हो तो रोजाना इसकी पूजा करें और निम्न
मंत्र पढ़ें.
चतुर्भुज रक्ततनुंत्रिनेत्रं पाशाकुशौ मोदरक पात्र दन्तो।
करैर्दधयानं सरसीरूहस्थं गणाधिनाभंराशि चूùडमीडे।।
श्वेतार्क गणपति जी का महत्व |
श्वेतार्क गणेश उपासना विधि ( The Process of Worshiping Shvetark ) :
इसकी स्थापना के बाद जब भी साधक इसकी उपासना के लिए बैठे तो साधक को लाल पुष्प, लाल चन्दन, लाल आसन, लाल वस्त्र, रुद्राक्ष की माला और मूंगा का प्रयोग करना
चाहियें. प्रसाद में आप गुड व मुंग के लड्डुओं को गणेश जी को अर्पित करें. इसके
बाद आप “ ॐ वक्रतुण्डाय हुम् ” मंत्र को जपते हुए गणेश जी को स्मरण करें. अगर आप इस तरह रोजाना पूरी श्रद्धा
भावना से गणेश जी की पूजा करते हो तो आपको प्रत्यक्ष रूप से लाभ दिखाई देने लगेगा.
इस जड़ से बनी मूर्ति को बहुत अधिक प्रभावी माना जाता है क्योकि ये सारी
मनोकामनाओं को बिना रुकावट के तुरंत ही पूरा करती है, यहाँ तक की तांत्रिक भी इस जड़ की खोज में रहते है. अब हम आपको भिन्न भिन्न
उद्देश्यों में श्वेतार्क की मूर्ति के इस्तेमाल विधि के बारे में बतायेंगे.
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सर्व मनोकामना पूर्ति ( Fulfillment of All Desires ) : अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आपको बुधवार के दिन को चुनना है और उस
दिन पीले कपडे, पीला आसन और पीली ही धोती पहनकर पूजा करनी है. पूजा की
व्यवस्था आप इस तरह करें कि पूजा के दौरान आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ हो. आपको ये
पूजा 21 दिनों तक करनी है और रोजाना 1000 बार निम्न मंत्र का जाप करना है.
मन्त्रों की गणना के लिए आप चैतन्य मुंगे की माला का प्रयोग करें और पूजा में आपको
कनेर के फुल, लाल चंदन, गुड, अगरबत्ती, केसर, गुड और शुद्ध घी से प्रज्वलित किये दीपक को ही इस्तेमाल
करना है.
The Importance of Shvetarik Ganesha |
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विवाह कार्य और सुख शान्ति ( Marriage Acts, Peace and Happiness ) : अगर किसी घर में विवाह है और कार्यों में कोई उलझने आ रही है तो आप पूजा के
लिए लाल आसन और वस्त्रों को प्रयोग में लायें. ये पूजा 51 दिन चलेगी और इसमें भी
आपको रोजाना 1000 बार मन्त्रों का जाप करना होगा. साथ ही इस पूजा में भी आपका मुख
पूर्व दिशा की तरफ हो और आप मुंगे की माला का ही प्रयोग करें. 51 दिन बाद जब आपकी
पूजा खत्म हो जाएँ तो आप कुछ कुँवारी कन्याओं को घर में बुलाएं और उन्हें भोजन
इत्यादि कराएं, आप उन्हें वस्त्र इत्यादि कोई वास्तु भेंट भी कर सकते हो.
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आकर्षण के लिए ( for Attraction ) : अगर आप किसी को अपने प्रति आकर्षित करना चाहते है तो आपको शनिवार के दिन
रात्री का समय चुनना है और इस बार आपका मुख पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहियें. आप
वस्त्र और आसन लाल ही इस्तेमाल करें, जबकि अब आप माला हकिक की प्रयोग में लायें. ये
वाली साधना मात्र 5 दिन की है तो इस तरह आपको सिर्फ 5000 बार मंत्रों का जाप करना
है. पूजा की बाकी सामग्री के लिए आपको लाल फुल, गुड, तेल का दीपक प्रयोग करने है.
श्वेतार्क गणपति मंत्र साधना |
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स्त्री आकर्षण ( To Attract a Beautiful Girl ) : अगर आप किसी लड़की को अपने प्यार में फांसना चाहते है या उसको अपनी तरफ
आकर्षित करना चाहते है तो आपको बुधवार के दिन इस साधना को आरम्भ करना होगा. आप
पूजा में पीले वस्त्र और आसन का इस्तेमाल करें, मुख पूर्व दिशा और मुंगे की माला से मंत्र सिद्ध
करें, बाकी सामग्री में नाप लाल चन्दन, कनेर के फुल, शुद्द घी का दीपक, अगरबत्ती इत्यादि प्रयोग करें. ये साधना भी 51
दिन चलती है अर्थात आपको 51000 बार मंत्र उच्चारण करना है.
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विदेश में स्थापित होने के लिए ( To Settle in Foreign Country ) : अगर कोई व्यक्ति विदेश जाने की इच्छा रखता है, किन्तु उसके विदेश जाने में रुकावटें आ रही है
तो उन्हें किसी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार तक इंतज़ार करना होगा क्योकि इसी दिन इस साधना का
आरम्भ करना है. आप इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में नहा धोकर इस पूजा को आरम्भ करें. आप
अपने नीचे लाल ऊनी कंबल बिछाएं, पीली धोती पहले, चैतन्य मुंगे की माला का इस्तेमाल करें, मुख पूर्व दिशा में रखे और पूजा में बेसन के लड्डू, केसर, अगरबत्ती, घी का दीपक, कनेर के फुल, लड़की की चौकी, लाल वस्त्र प्रयोग करें. ये साधना 21 दिन चलेगी
किन्तु इन दिनों में आपको 1,25,000 मन्त्रों का जाप करना होगा. 22वें दिन आपको एक हवन करना
होगा जिसकी समाप्ति पर आप 5 कुँवारी कन्याओं को भोजन कराओगे और उन्हें वस्त्र और
दक्षिणा दान में देकर उन्हें विदा करोगे. ध्यान रहे कि जब आप ये सब कर रहे हो तो
आपके गले में चैतन्य मुंगे की माला अवश्य हो.
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कर्ज मुक्ति ( To Remove Debt ) : कर्ज लोगों को दबा दबाकर मार देता है व्यक्ति कर्जे से इतना अधिक परेशान रहता
है कि वो गलत कार्यों को करने लगता है. किन्तु अगर उनके पास श्वेतार्क गणपति है तो
उनकी समस्या का आसानी से समाधान निकल जाता है. उन्हें बुधवार के दिन लाल रंग के
कपड़ों आसन फूलों इत्यादि से पूजन आरम्भ करना है और 21 दिनों तक पूजा करनी है, इन्हें भी इस अवधि
में 1,25,000 मंत्रों को जपना है. मन्त्रों के जाप के लिए आप स्फटिक
की मंत्र सिद्ध की हुई चैतन्य माला, रुद्राक्ष की माला या फिर मुंगे की माला का इस्तेमाल
कर सकते हो. जब तक आपकी साधना चलती है तब तक माला आपके गले में होनी अनिवार्य है.
सफ़ेद आक की जड़ |
जब आप श्वेतार्क गणपति की इस तरह पूजा साधना करते है तो मूर्ति चैतन्य हो जाती
है इसीलिए साधना के बाद भी आपको हर रोज हर हाल में उसकी पूजा करनी पड़ती है. अगर आप
ऐसा करते है तो आपके घर में चारों तरफ से सुख समृद्धि और खुशियाँ ही खुशियाँ वास
करने लगेगी किन्तु घर के किसी भी सदस्य द्वारा ऐसा ना करने पर आपको इसके
दुष्परिणामों को भी भुगतना पड़ सकता है. इसलिए सबसे अच्छा रहेगा कि आप साधना के बाद
मूर्ति का विसर्जन कर दें.
नोट : - ऊपर बताये हर उद्देश्य में एक अलग मंत्र इस्तेमाल होता है किन्तु यहाँ आपको
कोई मंत्र नहीं दिया गया. इसका कारण मंत्रों का दुरूपयोग है, ये सभी मंत्र तंत्र क्रिया में प्रयोग होते है इसीलिए इन्हें ऐसे ही नही बताया
जा सकता. साथ ही अगर आपको इन मन्त्रों के बारे में पता भी चल जाएँ तो उनका प्रयोग
बहुत सावधानी से करना पड़ता है. इन मन्त्रों का असर पूर्ण रूप से अचूक होता है और
आज के दौर में व्यक्ति अपनी गलत भावना के कारण लोगों के अहित के लिए इनका प्रयोग
कर सकता है.
श्वेतार्क गणपति के महत्व और उनकी मूर्ति के प्रयोग के बारे
में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Shwetark ke Saraltam Tantra |
Shvetark
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- ओपरा पराया उतारने की विधि
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