कलश
स्थापना ( Kalash Establishment )
नवरात्रों
के आरम्भ होने से पहले ही बाजारों में पूजा के लिए तरह तरह के सामान बिकने आरम्भ
हो जाते है, लोग भी रोमांचित होकर उनकी खरीददारी करते है और नवरात्रों में पूजा की
तैयारी करते है. सभी का तरिका अलग होता है सभी की सोच अलग होती है किन्तु एक चीज
ऐसी है जो सबमे सामान होती है और वो है घट स्थापना. नवरात्रों में घट या कलश
स्थापना को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके कुछ नियम और शुभ मुहूर्त भी होता
है. कुछ लोग तो बड़े बड़े पंडालों में कलश स्थापना करते है और माता का जागरण और पाठ
रखते है. ताकि उन्हें अधिक से अधिक पुण्य फल प्राप्त हो सके. वहीं कुछ लोग ऐसे भी
है जो घट स्थापना के नियमों से अनजान होते है. लेकिन अब उन्हें घबराने की कोई
आवश्यकता नहीं है क्योकि आज हम आपको घट स्थापना के कुछ जरूरी नियमों से अवगत करा
रहे है. CLICK HERE TO KNOW माँ दुर्गा के पावन नवरात्रे ...
Ghat Sthapnaa Niyam or Shubh Muhurat |
· घट स्थापना का स्थल ( Place for the Establishment
of Kalash ) : नवरात्रों के समय में जिस स्थान पर आप घट स्थापित
करना चाहते है उसे आप शुद्ध जल या फिर गंगाजल की मदद से पुर्णतः शुद्ध व साफ़ कर
लें. उसके बाद आपको अष्टदल बनाना है. इस अष्टदल पर आप लकड़ी की चौकी / पाटा रखें, चौकी पर आप
एक वस्त्र बिछाएं जिसका रंग लाल होना चाहियें. अब आपको थोड़े चावल लेने है और
उन्हें लाल वस्त्र पर 5 जगह डालें. इन चावलों के ऊपर ही आपको गणेश जी, मातृका, लोकपाल, नवग्रह और
वरुण देव जी की मूर्ति स्थापित करनी है. हर मूर्ति को स्थापित करते वक़्त आपको उन
देव को स्मरण करना है और उनसे उनके स्थान को ग्रहण करने के लिए आग्रह करना है. उदाहरण के लिए सबसे पहले आप प्रथम पूज्य गणेश जी की मूर्ति को चावलों के ऊपर रखते
हुए गणेश जी को याद करें, उन्हें प्रणाम करें और प्रार्थना
करें कि वे अपना आसन लें. CLICK HERE TO KNOW नवरात्रों में रात्री का महत्व ...
घट स्थापना नियम और शुभ मुहूर्त |
· आह्वान ( Invocation ) : जब सब अपने स्थान पर स्थापित
हो जाएँ तो आप उनपर थोडा गंगाजल छिड़ककर उन्हें नहलाएं और उनको 3 बार कलावा लपेटें.
ये कलावा हर देव को वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है. इसके बाद आपको पूरी
श्रद्धा से सभी देवों का आह्वान करना है और उसके बाद आपको कलश के अनुसार मिटटी
लेनी है और उसमें जौ मिलाकर उसे बिछाना है. आप अपने घट या कलश में थोडा पानी भर
लें और थोडा गंगाजल मिलाएं. जब आप गंगाजल डाल रहें हो तो आपको “ ॐ वरुणाय नमः ” का जाप करना है. इस तरह आप
अपने कलश को पूर्ण रूप से भर दें.
· नारियल स्थापित करें ( Establish the Coconut ) : कलश में पानी भरने के बाद
आपको उसके ऊपर नारियल रखना होता है किन्तु उसके लिए पहले आप कलश पर कुछ आम की
पत्तियाँ रखें, फिर एक कटोरे में थोड़े से चावल या जौ डालें और उस कटोरे को कलश के मुख पर
रखें. उसके बाद ही आप नारियल को लाल चुन्नी ( माता की ) में लपेटकर नारियल के ऊपर
रखें. अब आप कलश को चौकी के समीप रेत पर स्थापित कर दें. अब आप लाल रोली लें और
उससे कलश पर ॐ व स्वास्तिक बनायें. देवी का ध्यान करते हुए आपको उनकी मूर्ति को
चौकी पर स्थापित करना है और उनकी षोडशोपचार विधि के अनुसार पूजा अर्चना करनी है.
इसके बाद आप उनके सामने शुद्ध देशी घी का दीपक प्रज्जवलित करें.
Pitcher Urn Establishment Rules and Auspicious Time Moment |
· अखंड दीपक ( Monolithic Lamp ) : कुछ लोग पुरे नवरात्रों के
दौरान अखंड दीपक प्रजवलित करते है, अगर आप भी ऐसा ही करना चाहते
है तो पहले आपको सूर्य देव का ध्यान करना है और उनसे आवेदन करना है कि वो अखंड
ज्योति के गवाह बने और ज्योत को प्रज्जवलित रहने की शक्ति प्रदान करें. ज्योत के
जलने के बाद आप अपने हाथों में फूलों को लें और अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए
संकल्प लें कि आप सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से इन नौ दिनों को देवी की अराधना
करेंगे, साथ ही आप उनसे अपने कार्यों की सिद्धि के लिए
प्रार्थना भी अवश्य करें.
· पूजा का मंत्र ( Mantra for Prayer ) : वैसे तो नवरात्रों के हर दिन
के लिए एक अलग मंत्र होता है क्योकि हर दिन माता के अलग रूप की पूजा होती है
किन्तु अगर आपको कोई मंत्र नहीं आता तो आप पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप कर सकते
हो “ ॐ ऐं ह्रीं
क्लीं चामुंडायै विच्चे ”. ये मंत्र देवी काली का है और
इसे एक अमोघ मंत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस मंत्र की एक ख़ास बात ये
भी है कि इस मंत्र के उच्चारण के दौरान आपको तरह तरह की सामग्री की जरूरत नहीं है
बस आपके मन में आस्था होनी चाहियें फिर आपके पास जो संभव हो आप उस सामग्री को चढ़ा
सकते है.
नवरात्रों में कलश स्थापना |
· पाठ आहुति ( Recital and Offering ) : ऐसे अनेक लोग भी होते है जो
नवरात्रों के दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ कराने के इच्छुक होते है. उन्हें इस पाठ को
आरम्भ करने से पहले संकल्प ले लेना चाहियें और नौ के नौ दिन व्रत रखना चाहियें. हर
रोज उन्हें माता के नौ रूपों का ध्यान करके कवच और स्त्रोत दोनों का पाठ करना पड़ता
है, पाठ के बाद
आरती होती है. ध्यान रहें कि आप दुर्गा सप्तशती का पाठ एक ही दिन में पूरा करने का
विचार ना करें और ना ही ऐसी कोशिश करें. इस तरह आपको नवरात्रों का पूर्ण फल मिलता
है और देवी का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहता है.
नवरात्रों
में कलश स्थापना और पूजा अर्चना की सम्पूर्ण विधि नियम के बारे में अधिक जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Kaise Karen Navratron mein Pooja Path |
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Pooja Path, Kalash Sthapit Karne ke Niyam
- आदतों से मजबूर होने के परिणाम
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