गर्भ धारण के बाद इन सब बातों को स्मरण रखें ( Remember These Things during Pregnancy
)
गर्भावस्था दो शब्दों गर्भ + आस्था में मिलकर बना है. ये वो स्तिथि होती है जब
किसी स्त्री के गर्भ में शिशु होता है. ये अवस्था ज्यादातर 9 माह तक चलती है. इस
अवस्था में एक स्त्री को अपने शरीर का बहुत ध्यान रखना पड़ता है ताकि उसके शिशु पर
कोई संकट ना आयें और वो सुरक्षित व स्वस्थ इस संसार में जन्म ले सके. आज हम आपको
कुछ ऐसी बातें स्मरण करा रहे है जिन्हें आप अपनी गर्भावस्था में अवश्य याद रखें. CLICK HERE TO KNOW गर्भावस्था में क्या खाएं क्या नहीं ...
Garbhavastha mein Barten Savdhaniyan |
गर्भधारण की पहचान ( Symptoms that Identifies Pregnancy ) :
§ माहवारी ( Menstruation ) : हर युवती को एक उम्र
के बाद प्रत्येक माह में कुछ दिनों के लिये मासिक स्त्राव होता है. किन्तु जैसे ही
स्त्री को गर्भ ठहर जाता है उसको मासिक स्त्राव होना बंद हो जाता है. इसे ही
गर्भधारण की पहली पहचान माना जाता है.
§ शरीरिक बदलाव ( Physical Changes ) : माहवारी के ना आने
के बाद उनको उल्टियाँ होने लगती है, उन्हें दिन में कई
बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है, उनके स्तनों में
हल्का हल्का दर्द आरंभ हो जाता है और दिल भी कच्चा या कमजोर होने लगता है.
§ बच्चेदानी ( Uterus ) : जब युवती
गर्भावस्था में होती है तो उनकी बच्चेदानी की ऊँचाई बढ़ जाती है. ऐसा होते ही
स्त्री को तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाकर जांच करनी चाहियें.
§ बच्चेदानी का बाहरी
भाग ( Outer Part of
Uterus ) : साथ ही ये अवस्था बच्चेदानी के बाहरी भाग को भी मुलायम बना देती है. स्त्री
के शरीर में आये इन सभी बदलावों को देखकर ही एक चिकित्सक इस निष्कर्ष पर आता है कि
वो स्त्री माँ बनने वाली है. इसके बाद वो स्त्री को मूत्र व रक्त जांच की सलाह
देता है ताकि वो अपनी बात को प्रमाणित कर सके. CLICK HERE TO KNOW मासानुसार गर्भिणी परिचर्या ...
गर्भावस्था में बरतें सावधानियाँ |
चिकित्सा जांच में गर्भवती होने का प्रमाण ( Proof of Pregnancy after Medical Test ) :
अब ये जानते है कि विज्ञान रक्त व मूत्र जांच में किन चीजों को देखकर स्त्री
के गर्भवती होने को प्रमाणित करता है. दरअसल महिलाओं की बच्चेदानी की दीवार और
नाभि से औवल का एक भाग जुदा होता है. ये औवल कौरिओन से बनता है. साथ ही कौरिओन एच.
सी. जी. भी बनाती है और महिला के गर्भवती होते ही उसके खून और मूत्र में ये एच.
सी. जी. मिश्रित हो जाता है. इसका परिणाम ये होता है कि महिला की माहवारी बंद हो
जाती है. रक्त और मूत्र की जांच में इसी एच. सी. जी. को देखा जाता है. महिलायें घर
बैठे जिस गर्भ जांचने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करती है उसपर भी वे मूत्र के जरिये
इसी को देखती है. उन यंत्रों को इस तरह बनाया जाता है कि अगर मूत्र में एच. सी.
जी. हो तो वे हरा रंग दिखाने लगते है.
गर्भावस्था में बरतें ये सावधानियाँ ( Take These Precaution in Pregnancy ) :
· दवाइयों से बचें ( Avoid Medicines ) : कुछ महिलायें
जिन्हें इन बातों को जानकारी नहीं होती, वे माहवारी के रुकते
ही दवाओं का सेवन शुरू कर देती है और खुद को नुकसान पहुंचा बैठती है. तो आप ऐसा ना
करें और जैसे ही आपको लगे कि आप गर्भवती है आप अपने खानपान और रहने के ढंग पर
ध्यान दें व जरूरत के अनुसार उसमें बदलाव भी अवश्य करें.
Be Careful of These in Pregnancy |
· शुगर व टीबी रोगी ( Sugar and TB Patients ) : अगर महिला को शुगर, टीबी, सांस की समस्या, उच्च रक्तचाप, थायराइड या मिर्गी जैसी समस्या है तो उसे गर्भधारण से पहले ही किसी अच्छे
चिकित्सक की सलाह ले लेनी चाहियें और यदि आपसे देरी हो गयी है तो आप उनकी सलाह
अनुसार ही अगला कदम उठायें क्योकि आपका कोई भी गलत कदम आपकी और आपके शिशु की जान
के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.
· जांच ( Tests ) : जब इस बात की
पुष्टि की जा चुकी हो की आप गर्भवती है तो आपको पुरे 9 महीने तक किसी एक ही
चिकित्सक की देखरेख व निगरानी में रहना चाहियें और बीच बीच में उनकी सलाह
लेते रहनी चाहियें. यही आपके लिए उत्तम
रहता है. साथ ही आप अपने रक्त वर्ग ( Blood Group ), आर. एच. फैक्टर और खून में हीमोग्लोबिन की जांच भी करा लें ताकि जरूरत
पड़ने पर आपको रक्त उपलब्ध कराया जा सके.
जच्चा बच्चा का ध्यान कैसे रखें |
· गर्भावस्था के
प्रारंभिक दिन ( Starting Day
of Pregnancy ) : गर्भधारण के शुरूआती दिनों
में अचानक से शरीर में बदलाव होते है जिसके परिणाम उल्टी, जी घबराना, रक्त चाप में वृद्धि, पेट में दर्द, गुप्तांगों में रक्त
स्त्राव इत्यादि के रूप में दीखते है. किन्तु अगर आपको इनमें से कोई भी चीज अधिक
मात्रा में हो रही है तो तुरंत बिना समय गवाएं किसी चिकित्सक के पास जाएँ.
· टिके ( Injections ) : बच्चे के उचित
स्वास्थ्य के लिए आपको कुछ जरूरी दवाएं व टिके लगवाने होते है, साथ ही अपने शरीर की कमजोरी को दूर रखने के लिए आपके शरीर को लौह तत्व की
जरूरत होती है. तो आप जरूरी टीकों को लगवाएं और अपने आहार में ऐसे भोजन पदार्थों
को शामिल करें जिसमें लौह तत्व प्रचुर मात्रा में हो.
Garbhvati Hone ki Pahchaan |
· इन्हें अनदेखा ना
करें ( Do not Ignore
Them ) : अगर आपको गर्भधारण के बाद मलेरिया हो जाता है, हाथों व पैरों में
सुजन हो जाती है, सिर में दर्द होने
लगता है, आँखों के आगे अँधेरा चा
जाता है या फिर मूत्र त्याग में परेशानी होने लगती है तो आपको बता दें कि ये सब
खतरे के लक्षण है, आप इन्हें बिलकुल भी
अनदेखा ना करे और तुरंत इनका उपचार करायें.
· शिशु की हलचल ( Feel the Movements of Child ) : शिशु हर माह के
दौरान बढ़ता जाता है, उसका विकास होता
रहता है और वो कुछ ना कुछ हलचल करता रहता है. आप भी उसकी हर हलचल को महसूस करें और
यदि आपको लगता है कि बच्चे की हलचल कम हो गयी है या वो कोई हलचल कर ही नहीं रहा तो
आप तुरंत अल्ट्रासाउंड कराएं.
· कपडे ( Wear Lose Cloths ) : ये बात तो निश्चित
है कि इस अवस्था में आप वजन करीब 10 किलो बढ़ जाता है तो आप इस बात से बिलकुल भी ना
घबराएँ बल्कि आप खुद को आरामदेह महसूस कराने के लिए हवादार और ढीले वस्त्र पहने, साथ ही आप ऐसी चप्पलें पहले जिसमे आपको गिरने का ख़तरा ना हो.
Garbhdharan ke Baad Smran Rakhen ye Baaten |
· सफ़र ( Don’t Travel ) : वैसे तो आपको इन 9
महीनों में घर पर ही रहना चाहियें और हल्के कार्य करने चाहियें किन्तु फिर भी अगर
आपको बाहर जाना पड़ जाएँ तो आप बस में बिलकुल ना जाएँ, उसके स्थान पर आप महिला ट्रेन या फिर अपनी कार को ही प्राथमिकता दें. आप सुबह
के समय में कुछ देर टहल कर जरुर आयें. कोशिश करें कि आप 8वें और 9वें महीने में तो
घर से बाहर बिलकुल ना निकलें.
· आसपास का माहौल ( The Surrounding Environment ) : जैसा आपके आसपास का
माहौल होगा वैसा ही आपके शिशु पर असर पड़ेगा. इसलिए आप इस बात को भी ध्यान रखें कि
आपके आसपास अच्छे लोग हो, जो खुद भी खुश रहते
हो और आपको भी खुश रखे. आप अपने मन को शांत रखें, अच्छी किताबें पढ़ें, अच्छी फ़िल्में देखें, बड़ों से अच्छे
संस्कार लें और अपने मन में सभी के लिए आदर भाव रखें. इससे आपका बच्चा भी संस्कारी
ही पैदा होता है.
तो आपको गर्भावस्था के दौरान उपरलिखित सभी बातों को जरुर ध्यान में रखना
चाहियें, ताकि आपको सुरक्षित
प्रसव हो सके. साथ ही गर्भवती महिला के लिए उचित आहार के बारे में जानने के लिए आप तुरंत
नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Kaise Hota hai Garbhdhaaran |
Garbhavastha
mein Barten Savdhaniyan, गर्भावस्था में बरतें सावधानियाँ, Be Careful of These in Pregnancy,
Garbhvati Hone ki Pahchaan, Garbhdharan ke Baad Smran Rakhen ye Baaten, Kaise
Hota hai Garbhdhaaran, जच्चा बच्चा का ध्यान कैसे रखें
- गर्भावस्था में क्या खायें क्या नहीं
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