विवाहित जीवन की पवित्रता ( Purity of Married Life )
विवाहित जीवन को एक ऐसा बंधन माना जाता है जिसका आधार विश्वास और वफादारी
हो. इसमें दम्पति अपने तन मन को दुसरे के प्रति, बिना किसी स्वार्थ
के समर्पित कर देता है और यही इसीलिए इस रिश्ते को पवित्रता का नाम भी दिया जाता
है. वफादारी ही भरोसे को जन्म देती है और दाम्पत्य जीवन को स्थिरता प्रदान करती
है. अगर दोनों के बीच में विश्वास बना रहता है तो जीवन भी मधुरता से चलता रहता है
किन्तु जैसे ही विश्वास का स्थान अविश्वास लेता है तो जीवन दुखों, क्लेशों से भर जाता है और उन्हें खुद का रिश्ता ही नर्क के जैसा महसूस होने
लगता है. CLICK HERE TO KNOW दांपत्य जीवन में मधुरता ...
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· कृतज्ञता ( Thankfulness / Gratitude ) : विश्वास के साथ साथ
कृतज्ञता का होना भी अधिक जरूरी होता है. क्योकि ये प्रेम की उत्पत्ति करता है और
जहाँ प्रेम वास करता है वहाँ तो ईश्वर भी स्वयं वास करने लग जाते है. किन्तु अगर
इसके विपरीत कृतध्न ने जगह ले ली तो समझें कि वहाँ से प्रेम का नामों निशान तक मिट
जाता है.
· सम्मान ( Respect ) : इसके बाद बारी आती
है सम्मान की. सम्मान शांति और सकारात्मकता को जन्म देती है. इसलिए हर पति को अपनी
पत्नी के प्रति और हर पत्नी को अपने पति के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहियें.
उनके विचारों को सुनकर समझकर ही कोई फैसला लेना चाहिए. अगर आप उन्हें अपने जीवन
में स्थान देते है तभी तो वो भी आपको अपने जीवन में स्थान देगे. इस तरह घर का
वातावरण भी गौरवपूर्ण हो जाता है.
· घनिष्टता ( Being Close ) : अगर ध्यान से देखा
जाएँ तो ये संबंध दम्पति में ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच घनिष्टता बनाता है.
ये कुछ ऐसे संबंध बना देता है जिन्हें व्यक्ति जीवन भर और जीवन के बाद भी नहीं तोड़
पाता. किन्तु जितने अधिक लोग उतना अधिक प्रेम और उतने ही अधिक तनाव, लेकिन यहीं घनिष्टता की परीक्षा होती है कि क्या आप अपने रिश्तों को सँभालने
के लिए समझ का इस्तेमाल करते हो या फिर कटु वचनों के साथ अपने रिश्तों और घनिष्टता
को तोड़ देते हो. कहने का तात्पर्य है कि व्यक्ति को धैर्यहीन नहीं होना चाहिए और
ना ही कभी किसी पति को अपनी पत्नी या पत्नी को अपने पति पर हाथ उठाना चाहियें. CLICK HERE TO KNOW जानें वैवाहिक जीवन पर उम्र के अंतर का प्रभाव ...
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· संतान सुख ( Child Pleasure ) : विवाह का एक मकसद
संतान सुख पाना भी होता है जिसे कुछ लोग वंश को आगे बढाने का नाम दे देते है.
किन्तु किसी भी परिजन के लिए संतान सुख से बढ़कर कोई सुख नहीं होता. माताओं के बारे
में तो ये भी कहा जाता है कि संतान को जन्म देंने के साथ साथ उनका भी दुसरा जन्म
होता है. संतान जब पैदा होता है तो ये परिवार के बीच के सभी मतभेदों को मिटा देता
है. सभी को एक दुसरे के करीब ला देता है. घर में चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ
होती है और घर का जैसे सारा वातावरण सा बदल जाता है.
विवाहित जीवन के उद्देश्य ( The Purpose of Marriage ) :
· वासना ( Physical Relationship ) : इस बात से लगभग सभी
मुकरेंगे. किन्तु जब एक अनजान लड़का और अनजान लड़की आपस में मिलते है तो वे मात्र एक
साधारण व्यक्ति ही होते है किन्तु विपरीत लिंग एक दुसरे की तरफ आकर्षित होते है और
उनके विचारों में सबसे पहले एक ही चीज आती है और वो है वासना. वो शादी होने से
पहले सिर्फ इसी चीज के सपने देखना है या इन्ही विचारों में डूबा रहता या रहती है
कि वो अपने साथी को कैसे तृप्त कर सकते है. तो देखा जाएँ तो इसे विवाहित जीवन की
पृष्ठभूमि भी कहा जा सकता है. ये सब सामान्य होता है, किन्तु विवाह के बाद जैसे जैसे समय गुजरता है उनकी यही वासना आत्मिक बंधन भी
बन जाती है और वे एक दुसरे के ही बनकर रह जाते है.
Maintain a Happy and Meaningful Married Life |
· स्थिरता और शान्ति ( Stability and Peace ) : ये सामाजिक विख्यात
है कि जब एक दम्पति विवाहित जीवन में बंधते है तो उनके जीवन को स्थिरता मिलती है
और परिवार भी पहले से अधिक मजबूत महसूस करता है. घर में शान्ति सुख समृद्धि वास
करने लग जाती है. व्यक्ति को कुछ ऐसे स्थानों पर उठने बैठने की आजादी मिल जाती है
जहाँ वो पहले नहीं बैठ सकता है. चाहे स्त्री हो या पुरुष उसे अपने नैतिक मूल्यों
का पता चल जाता है और वो उन्हें पूरा करने का प्रयत्न भी करना आरम्भ कर देते है.
· कर्तव्यों का बोध ( Realization of Duties ) : आपने अनेक घरों में
देखा होगा कि लड़के की शादी इसलिए कराई जाती है ताकि वो अपने जीवन में आवारागर्दी
को छोड़कर कर्तव्यों का महत्व जाने. शादी करने के बाद उस लड़के पर अनेक जिम्मेदारी
और कर्तव्यों का बोझ आ जाता है. अगर लड़का समझदार है तो वो इन्हें पूरा करने के लिए
सभी गलत मार्गों को छोड़कर सही मार्ग पर आ जाता है. वहीँ कुछ ऐसे भी होते है जो
इनके नीचे दबा हुआ महसूस करते है. किन्तु शादी कर्तव्य बोध जरुर करती है.
· संतान प्राप्ति ( Progeny ) : हर व्यक्ति चाहता
है कि उसके जीवन में भी संतान सुख हो. उसके नाम को आगे ले जाने वाला कोई हो. उसके
घर में भी किलकारियाँ गुन्जें. यही सोच दो अनजान लड़के लड़की को शादी के बंधन में
बांधती है और उनके इस उद्देश्य को पूरा करने की नींव पड़ती है. स्त्रियाँ संतान सुख
पाकर खुद को बेहद ख़ास महसूस करती है. उनके लिए तो उनकी दुनिया ही बदल जाती है और
वो अपने सारे प्रेम को अपने शिशु पर उड़ेल देती है.
दांपत्य जीवन का आधार |
· घर को स्वर्ग बनाना
( Makes Home a
Heaven ) : देखा जाएँ तो विवाह के बाद एक दम्पति अपने सेवा भाव, बलिदान, प्रेम, विश्वास इत्यादि से अपने घर को ही स्वर्ग में परिवर्तित कर देते है. उन्हें
समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है. सभी लोग उनको समान दृष्टि से देखने लगते है.
उन्हें सफलता के अलग अलग अवसर मिलते है जिससे उनका घर स्वर्ग में बदल जाता है और
उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहता.
तो इन सब बातों को जान आप भी अपने विवाहित जीवन को सुखी और सार्थकता से पूर्ण
बना सकते हो. साथ ही अपने विवाहित जीवन में और भी अधिक खुशियाँ भरने के अन्य उपायों को
जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Vivaahik Jivan ki Pavitrata |
Banayen
Vivaahit Jivan ko Sukhi or Sarthak, बनायें विवाहित जीवन को सुखी और सार्थक, Maintain a Happy and Meaningful
Married Life, Daampatya Jivan mein Madhurta Gholen, Vivaahik Jivan ki
Pavitrata, Shaadi ka Uddeshya, दांपत्य जीवन का आधार, Pati Patni ke Beech Khushiyon ka Beejaropan
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