चिरचिटा से भगाएं हर बिमारी ( Chaff Tree Removes Every Disease )
बरसात के मौसम में उगने वाला चिरचिटा का पौधा भले ही दिखने में छोटा क्यों ना
हो लेकिन इसके फायदे बड़े बड़े है और ये अनेक रोगों से शरीर की रक्षा करता है. वैसे आकार
में ये करीब 70 से 120 सेंटीमीटर तक ही होता है और ये दो रंगों लाल और सफ़ेद में ही
पाया जाता है. इसका हर तना काँटों से घिरा होता है जोकि उल्टे होते है और इसीलिए
साधारण भाषा में ये उल्टे कांटे के नाम से बहुत विख्यात है. इसके यही कांटे इसके
फल भी होते है. वैसे तो दोनों रंग के अपामार्ग / चिरचिटा सामान रूप से गुणकारी
होते है किन्तु फिर भी सफ़ेद चिरचिटा को औषधि के रूप में अधिक इस्तेमाल किया जाता
है. तो आइये अब ये जानते है कि अपामार्ग का ये पौधा हमारी किन किन रोगों से बचने
में सहायता करता है. CLICK HERE TO KNOW अपामार्ग घटायेगा आपका फैट ...
Chirchita ke Rogon mein Anubhut Prayog |
हैजा ( Cholera ) : हैजा होने पर
चिरचिटा की जड़ को सुखाकर उसका चूर्ण बना लेना चाहियें और उस चूर्ण को रोगी को
रोजाना 3 बार 4 से 6 ग्राम की मात्रा में खिलाना चाहियें. इससे उन्हें तुरंत आराम
मिलता है.
बवासीर ( Piles ) : बावासीर का नाम
सुनते ही लोगों में डर सा फ़ैल जाता है इसका कारण इस रोग की भयंकर अवस्था है. इस
बिमारी के बारे में पता होते हुए भी लोग खुद को स्वस्थ नहीं रखते जिस कारण से
बवासीर के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है. लेकिन चिरचिटा इस रोग
से निजात दिलाने में भी सहायक होता है. उसके लिये आपको 250 ग्राम चिरचिटा का रस
लेना है और उसमें 50 – 50 ग्राम लहसुन और
प्याज का रस मिलाना है. तैयार मिश्रण को आप 120 ग्राम सरसों के तेल में अच्छी तरह
से पका लें और उसके बाद उसमे 6 ग्राम मैनसिल और 20 ग्राम मोम पीसकर डालें. आप इसे
अच्छी तरह मिलाएं इस तरह एक पेस्ट तैयार हो जाता है और आपकी दवाई भी. इसका
इस्तेमाल करने के लिए अब आप इसे बवासीर के मस्सों पर लगाएं और उसके ऊपर धतूरे का
पत्ता चिपका दें. धीरे धीरे बवासीर के मस्से सूखने लगेंगे और जल्द ही आपको बावासीर
से राहत भी मिलेगी. CLICK HERE TO KNOW तगर का प्रयोग कर पायें रोगों से मुक्ति ...
चिरचिटा के रोगों में अनुभूत प्रयोग |
एक अन्य उपाय के अनुसार अगर आप रोजाना चिरचिटा की पत्तियों के रस में 5 से 6
ग्राम काली मिर्च मिलाकर पानी के साथ सेवन करते हो तो उससे भी आपको बवासीर से
छुटकारा मिलता है.
खुनी बवासीर ( Bloody Piles ) : वहीँ अगर रोगी खुनी
बवासीर से पीड़ित है तो उस अवस्था में रोगी चिरचिटा की 25 ग्राम जड़ लें और उसे चावल
के पानी की मदद से पिसे. तैयार लेप को रोगी बकरी के दूध के साथ ग्रहण करें. ध्यान
रहें कि रोगी को ये उपाय दिन में 3 बार अपनाना है.
शरीर में दर्द ( Physical Pain ) : अक्सर अधिक थकान के
कारण शरीर में दर्द रहना आरम्भ हो जाता है लेकिन अगर चिरचिटा के 3 ग्राम पंचांग को
शहद और निम्बू के साथ दिन में 3 बार नियमित रूप से लिया जाएँ तो ना सिर्फ दर्द कम
होगा बल्कि शरीर को काम करने की शक्ति भी प्राप्त होगी और व्यक्ति खुद को अधिक
उर्जावान महसूस भी करने लगेगा.
खांसी ( Cough ) : सर्दी खांसी जुखाम
कुछ आम बिमारी होती है किन्तु कुछ लोगों को बेमौसम भी ये रोग घेर लेते है. अगर
आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है तो आप चिरचिटा के तने को जलाएं और उसकी राख बना लें.
अब आप उसमें राख की सामान मात्रा में चीनी मिलाएं और दूध के साथ इसका सेवन करें.
जल्द ही आपकी खांसी जुखाम बंद हो जायेगी और आप बेहतर महसूस करोगे.
Miraculous Use of Chirchita in Disease |
गुर्दे के रोग ( Kidney Diseases ) : किडनी में किसी भी
तरह की समस्या या फिर पत्थरी होने पर रोगी को चिरचिटा की जड़ से काढा निर्मित करना
है. काढा करीब 10 ग्राम हो. उस काढ़े को रोगी थोड़ी सी मुलेठी, गोखरू और पाठे के साथ ग्रहण करें. कुछ दिनों के नियमित सेवन से रोगी की किडनी
मजबूत होती है और अगर किडनी में पत्थरी होगी तो वो मूत्र मार्ग के जरिये बाहर निकल
जायेगी. इस तरह रोगी के गुर्दे भी निरोगी रहते है.
कुष्ठ रोग ( Leprosy ) : कुष्ठ रोग को कोढ़
के नाम से भी जाना जाता है. इस रोग में रोगी का शरीर गलने लगता है जिस कारण से हर
कोई रोगियों के पास जाने से भी डरने लगता है. लेकिन अगर रोगी को दिन में 3 से 4
बार 25 मिलीलीटर चिरचिटा के पंचाग का काढा दिया जाएँ तो उसका कुष्ठ रोग भी दूर
किया जा सकता है.
दस्त ( Diarrhea ) : दस्त होने या शरीर
में कमजोरी महसूस होने पर आप चिरचिटा की कुछ पत्तियाँ और थोड़ी सी मिश्री लेकर
उन्हें पिस लें, अब आप इसमें थोडा
मक्खन मिलायें और उसे हल्की आंच पर पकायें. इस तरह ये थोडा गाढा हो जाता है. अब आप
इसका सेवन करें. आपको दस्त से जल्द ही आराम मिलेगा.
रोगमुक्ति के लिए अपनाएँ लटजीरा |
जहर उतारे ( Remove Poison ) : कई बार खेलते खेलते
कोई जीव जैसे सांप या बिच्छु काट लेता है और उसका जहर सारे शरीर में फैलने लगता
है. इससे जान जाने तक का खतरा बना रहता है किन्तु अगर वहाँ चिरचिटा का पौधा हो तो
पीड़ित की रक्षा की जा सकती है. उसके लिए चिरचिटा की जड़ निकाले और जहाँ बिच्छु ने
काँटा है वहाँ स्पर्श कराएं और पीड़ित को जड़ 2 बार दिखाएँ. इससे जहर तुरंत उतर जाता
है. उसके बाद आप पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जा सकते है जहाँ उसका अच्छी तरह उपचार
किया जाना चाहियें.
जलोदर ( Treat Dropsy ) : जलोदर ( अर्थात पेट
में पानी का भरना ) रोग होने पर रोगी को चिरचिटा चिरचिटा का चूर्ण निर्मित करना
चाहियें और उसे दिन में 2 बार जीभ के साथ 1 ग्राम से भी कम की मात्रा में चाटना
चाहियें. इस तरह उनके पेट की सुजन भी कम होती है और उन्हें जलोदर के रोग से भी
छुटकारा मिलता है.
तो इस तरह चिरचिटा व्यक्ति
की हर रोग से रक्षा करता है, आप भी इसे अपनाकर अपने आप को स्वस्थ रख सकते हो. साथ ही चिरचिटा के अन्य रोगों में लाभ के
बारे में अधिक के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Apamarg ke Adbhut Upyog |
Chirchita ke
Rogon mein Anubhut Prayog, चिरचिटा के रोगों में अनुभूत प्रयोग, Miraculous Use of Chirchita in
Disease, Apamarg ke Adbhut Upyog, Chichdi se Bhagyen Har Bimaari, Latjeera se
Khuni Bavasir Ilaaj, Chaff Tree, रोगमुक्ति के लिए अपनाएँ लटजीरा, Har Rog ki Davaa Apamarg
- मकान की नकारात्मकता दूर करें
YOU MAY ALSO LIKE
Sir hame cistaitise ,UTI ki problem kafi dino se kafi ilaj karwaya koi labh nahi latjeera ka paryog Kaise kare
ReplyDeleteSpasticity me bhi chirchita kaam aata hai kya
ReplyDeleteIs there any use of chirchita in gallbladder stones
ReplyDeleteKya yah tuti Hui bones ko bhi jodta h or kitne Dino me jodega
ReplyDeleteVitamin D ki kami ko pura karne ki jadibuti ka naam kya hai konshi jadibuti vitamin D ke kami ko pura karti hai
ReplyDelete