बच्चों के कमरे का
वास्तु (
Architectural Tips for Child’s Room )
जब भी कभी घर बनाने
की बात होती है या घर लेने की बात होती है तो घर के बच्चे सबसे पहले अपने कमरे को
चुनना शुरू कर देते है, उसकी प्लानिनिंग बनाने लगते है और अनेक तरह के सपने देखने
लगते है. जब बच्चे अपने कमरे के लिए इतने उत्सुक हो सकते है तो बड़ों अर्थात माँ
बाप की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने बच्चों के लिए सही वास्तु से बना कमरा
तैयार करवाएं. ताकि उसके भविष्य को एक सही राह मिल सके और उसके मार्ग में व्यर्थ
में कोई अड़चन ना आयें. CLICK HERE TO KNOW वास्तु की नज़र में पूजाघर ...
Ye Vaastu Banayenge Bacchon ko Buddhimaan |
ऐसा माना जाता है कि
अगर बच्चे का कमरा सही वास्तु के अनुसार बना हो तो इससे बच्चे की योग्यता बढती है,
वो उच्च शिक्षा को प्राप्त करता है और अपने वंश का नाम रोशन करता है. इसके साथ ही
सही वास्तु से बना कमरा बच्चे के मन, मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर सकरात्मक प्रभाव डालता
है. जिससे उसकी इच्छाशक्ति बढती है और वो पढाई के साथ साथ खेलकूद में भी उत्कर्ष
प्रदर्शन करता है. इन्ही बातों की वजह से बच्चे के कमरे के लिए वास्तु का महत्व बढ़
जाता है. तो आज हम आपको ऐसे ही कुछ वास्तु उपाय बताने जा रहे है जो आपको इस कम में
बहुत ही सहायक सिद्ध होंगे.
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कमरे की
दिशा ( Direction
of Room ) : बच्चों के कमरे को बनवाने के लिए पूर्व, वायव्य
और पश्चिम दिशा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. कमरे के साथ साथ अगर कमरे का द्वार
भी उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ हो तो इससे बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
बच्चे के कमरे में ताज़ी हवा के लिए रोशनदान या फिर खिड़की भी अवश्य बनवायें. CLICK HERE TO KNOW वास्तुशास्त्र और शयनकक्ष ...
ये वास्तु बनायेंगे बच्चों को बुद्धिमान |
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पलंग की
दिशा ( Direction
for Bed ) : कमरे में बच्चो का पलंग हमेशा दक्षिण पश्चिम दिशा
की तरफ ही बनवाएं, साथ ही पलंग की व्यवस्था ऐसी हो कि सोते वक़्त उनका सिर पूर्व
दिशा की तरफ हो क्योकि ऐसा माना जाता है कि पूर्व दिशा में बुद्धि का अधिक प्रवाह
होता है जिससे बच्चे में ज्ञान बढ़ता है.
·
पढाई की
व्यवस्था ( Study
Table ) : बच्चो के कमरे में पढने के लिए कुर्सी और एक मेज
की व्यवस्था भी जरुर करें. मेज को किसी कोने से दूर रखें क्योकि कोनों में
नकारात्मकता वास करती है. साथ ही मेज को ऐसे लगायें कि बच्चे का मुंह पूर्व दिशा
की तरफ हो. आप बच्चे को हिदायत दें कि वो मेज पर अपनी किताबों को फैलाकर ना रखें.
·
पढाई का
समय ( Study Time ) : वैसे तो बच्चा किसी भी समय पढ़ सकता है किन्तु ब्रह्म मुहूर्त में पढने
वाले बच्चे अधिक मेधावी होते है. ब्रह्म मुहूर्त के बारे में माना जाता है कि इस
समय में पढने वाले बच्चों को खुद ब्रह्मा जी और देवी सरस्वती विद्या और ज्ञान का
आशीर्वाद देती है. प्रातः 4 से 5 बजे के समय को ब्रहम मुहूर्त कहा जाता है.
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दीवारों
का रंग ( Wall
Paint for Room ) : बच्चे कल्पनाशील होते है, उनके विचारों में
ताजापन होता है और वे हमेशा पानी एकाग्रता बनाने की कोशिश करते है. इस लिहाज से
बच्चो के लिए हल्के हरे रंग को आदर्श माना गया है.
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कंप्यूटर
( Place for
Computer ) : कुछ बाचे अपने कमरे में कंप्यूटर का भी इस्तेमाल
करते है, कंप्यूटर को रखने के लिए आग्नेय कोण या दक्षिण दिशा का चुनाव लाभदायी
होता है.
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किताबों
की अलमारी ( Book
Shelf ) : बच्चों के कमरे में किताबों का होना लाजमी है और
इन किताबों को सही तरह से व्यवस्थित रखने के लिए एक स्थान पर अलमारी का होना बहुत
आवश्यक होता है. तो आप अलमारी के लिएय नैत्रत्य कोण का चुनाव करें. बच्चे अपने
खेलने के सामान और जूतों को भी इसी दिशा में रखें.
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कमरे
में चित्र (
Pictures on Wall ) : आपने ये बात अनेक बार सुनी होगी की जो जैस देखता
है वैसा सीखता व सोचता है. इसलिए आप बच्चों के कमरे में ऐसे व्यक्तियों की फोटो
लगायें जिनके जैसा आपका बच्चा बनना चाहता हो, साथ ही आप चित्रों के रूप में कुछ
शैक्षिक पोस्टर या पढाई से सम्बंधित चित्र लगा सकते हो. इनका सीधा असर बच्चे की
मानसिकता पर पड़ता है.
बच्चों के कमरे के लिए वास्तुशास्त्र सिद्धांत |
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कमरे की
सजावट ( Decorate
Room ) : बच्चों को सजावट बहुत पसंद होती है इसलिए बच्चों
के कमरे में जितनी अधिक हो सके डेकोरेशन ( Decoration ) करें.
हर चीज को व्यवस्थित और अलग रंग के साथ रंगें. इस तरह बच्चे का मन प्रसन्न
रहता है, ताजगी के लिए आप अलग अलग रंग के फूलों का भी इस्तेमाल कर सकते हो.
·
ये ना
करें ( Don’t Do
This ) : बच्चे अपनी स्टडी टेबल के ठीक सामने कंप्यूटर,
टेलीविज़न या गेम रखते है, जो बिलकुल गलत है क्योकि इस तरह उनका ध्यान पढाई पर कम
और ऐसी चीजों पर अधिक होता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसा करने से बच्चे की
मानसिकता और स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है और वो अपने से बड़ों का आधार करना भूल
जाता है या यूँ कहें कि वो बिगडैल बन जाता है.
ऊपर दिए गए वास्तु
सिद्धांतों को अपनाकर ही आप अपने बच्चों के लिए कमरे का निर्माण करवायें, ताकि
बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़े. साथ ही वास्तु से जुडी किसी भी अन्य जानकारी या
सहायता के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Bacchon ke Kamre ka Vaastu |
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