वास्तु और रोग (Vastu And
Disease)
यदि आपके घर में कोई न कोई व्यक्ति बिमार रहता हैं. तो इसका कारण वास्तु शास्त्र के अनुरूप घर
की संरचना न होना हो सकता हैं. यदि आप निरोग और स्वस्थ रहना चाहते हैं
तो अपने घर का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुरूप करवाएं. क्योंकि ज्योतिषशास्त्र की
ही भांति वास्तुशास्त्र में भी घर के वास्तु से जुड़े हुए कुछ दोषों के बारे
बताया गया हैं. जिससे व्यक्ति की तबियत खराब हो सकती हैं. लेकिन वास्तु शास्त्र
में दोषों के साथ इनके निवारण हेतु वास्तु टिप्स भी दिए गये हैं. जिनका
ध्यान रखकर आप निरोगपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं.
रोग उत्पन्न होने के कारण –
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पूर्व दिशा (East)
1.यदि आपके घर की पूर्व दिशा का स्थान अन्य
दिशाओं से ऊंचा हैं. इस दिशा का स्थान ऊंचा होने से आर्थिक परेशानियाँ
उत्पन्न होती हैं, बच्चे अधिक समय अस्वस्थ रहते हैं, उनका पढाई में मन नहीं
लगता, उनकी स्मरण शक्ति क्षीण होने लगती हैं, उन्हें पेट से
सम्बन्धित रोग हो सकते हैं.
2.यदि आपके घर की पूर्व दिशा में खाली तथा
खुला स्थान नहीं हैं और आपके आपके घर के बरामदे का ढलान पश्चिम दिशा की ओर
हैं तो इससे आपके घर के मुखिया को आँख से सम्बंधित रोग, स्नायु या
हृदय रोग होने की सम्भावना रहती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT उन्नति और धन अर्जित करने हेतु वास्तु टिप्स ...
Rogon ke Nidaan Hetu Vastu |
3.
अगर आपके घर के पूर्व कोण की ओर गंदगी, कूड़ा
– करकट, गंदगी एवं पत्थरों का ढेर पड़ा हुआ हैं तो आपके घर की मुख्य महिला
को गर्भहानी हो सकती हैं.
4.
अगर आपके घर की पूर्व दिशा की दीवार की ऊंचाई पश्चिम
दिशा की ऊंचाई से अधिक हो तो आपके संतान की सेहत अधिकतर समय ख़राब
रहती हैं.
5.यदि आपने घर की इस दिशा में शौचालय बना
रखा हैं तो इससे आपके घर की बेटियां अस्वस्थ रहती हैं.
उपाय (Remedy) – इस दिशा के
दोषों को दोषमुक्त करने के लिए इस दिशा में आप नल, हैंडपंप तथा पानी की टंकी की
व्यवस्था कर सकते हैं. इसके अलावा यदि आप इस दिशा को हमेशा साफ रखें और
इस दिशा के भूक्षेत्र को थोडा नीचे करवा दें. तो ये सभी दोष ख़त्म हो
जायेंगे और आपको इस दिशा के शुभ प्रभाव प्राप्त होंगें.
·
पश्चिम दिशा (West) –
1.
पश्चिम दिशा का प्रतिनिधि ग्रह शनि हैं.
इस दिशा को कालपुरुष का पेट, गुप्तांग तथा प्रजनन अंग माना जाता हैं.
2.घर की पश्चिम दिशा के नीचे यदि खाली स्थान
हैं तो इस दिशा का प्रभाव गृहस्वामी की सेहत पर पड़ता हैं. उसे गले,
गाल ब्लैडर के रोग हो सकते हैं तथा इसी दिशा के कारण उसकी कम आयु में
मृत्यु होने की ही सम्भावना बनती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT दिशाओं से प्राप्त होती हैं सकारात्मक प्रगति ...
रोगों के निदान हेतु वास्तु |
3.
यदि आपने अपने घर में चबूतरा बना रखा हैं
और वह चबूतरा पश्चिम दिशा की ओर से नीचे हैं तो आपको फेफड़े, मुंह, छाती
तथा त्वचा से जुड़े रोग हो सकते हैं.
4.
पश्चिम दिशा का स्थान हमेशा ऊंचा होना चाहिए.
यदि इस दिशा का स्थान नीचे की ओर हैं तो इससे घर के बच्चों को गंभीर
बीमारियां हो जाती हैं और इस बीमारी पर धन का व्यय भी अधिक होता हैं.
5.
यदि आपके घर में जल निकासी की व्यवस्था
पश्चिम दिशा की ओर से हैं तो आपके घर के मुखिया गम्भीर बीमारी से लम्बे समय
तक पीड़ित रहते हैं.
6.अगर आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवारों में
सीलन या दरार आ गई हैं. इसका प्रभाव भी गृह मुखिया पर पड़ता हैं और उसे गुप्तांग
से जुडी हुई बीमारियां हो जाती हैं.
7.यदि आपने अपने घर में रसोईघर का निर्माण पश्चिम
दिशा में करवाया हैं. तो इससे आपके घर के किसी भी सदस्य को गर्मी, पित्त,
फोड़े – फुंसी तथा मस्सों से जुडी हुई परेशानियाँ हो सकती हैं.
उपाय (Remedy) – इस दिशा के बुरे
प्रभावों से बचने के लिए इस दिशा की दीवार को थोडा ऊंचा करवा दें या घर
के बाहर इसी दिशा में अशोक के पेड़ लगायें.
Vaastu Tips to Cure Diseases |
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उत्तर दिशा (North) – उत्तर दिशा का कारक
ग्रह बुध हैं. इस दिशा को कालपुरुष का हृदय माना जाता हैं.
1.यदि इस दिशा में बनी हुई दीवारें अधिक ऊंची
हैं और इस स्थान में चबूतरा बना हुआ हैं. तो आपके घर के लोगों को गुर्दे,
कान, रक्त की बिमारियां हो सकती हैं. इसके साथ ही आपको घर में आलस, थकावट
तथा घुटन महसूस होती हैं.
2.अगर आपके घर की यह दिशा सही वास्तु से नहीं बनी
हैं तो इससे आपके घर की स्त्रियों की तबियत खराब रहती हैं.
उपाय (Remedy) – उत्तर दिशा के
हानिकारक वास्तु दोष के प्रभावों से बचने एक लिए बरामदे की ओर अपने घर के
चबूतरे की ढाल रखें. इससे आपके घर की महिलाएं स्वस्थ और निरोग रहेंगी.
इसके साथ ही आपको धन के अधिक व्यय का सामना नहीं करना पडेगा और आपके घर पर
से अकाल मृत्यु होने का खतरा भी टल जायेगा.
Vastu Dosh v Rog Utpann Karne Vali Dishayen |
इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त रखने के लिए आप अपने घर
के मुख्य द्वार का रंग हरा करवा सकते हैं.
·
दक्षिण दिशा (South) - दक्षिण दिशा पर मंगल
ग्रह का ही अधिक प्रभाव रहता हैं. क्योंकि इस दिशा का प्रमुख ग्रह मंगल हैं.
यह स्थान कालपुरुष का बायीं और के सीने, फेफडे, गुर्दे का माना जाता हैं.
1.इस दिशा में यदि कूड़ा, टुटा – फुट हुआ
सामान, कोई पुरानी चीज रखी हुई हैं. तो घर की महिला को हृदय रोग, घुटने का
दर्द, खून की कमी, पीलिया तथा नेत्रों से जुडी हुई बीमारियां हो सकती हैं.
2.
अगर भवन की दक्षिण दिशा का स्थान नीचा हैं,
उत्तर दिशा की तुलना में यह स्थान अधिक खुला और खाली हैं. तो इससे आपके घर
के वृद्ध व्यक्तियों की सेहत खराब हो सकती हैं तथा उन्हें उच्च रक्तचाप,
पाचनक्रिया की खराबी, खून की कमी, चंक मृत्यु या दुर्घटना का शिकार होने आदि की
समस्याओं का सामना करना पड सकता हैं.
3.वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण दिशा
में भूत – प्रेत निवास करते हैं. इसीलिए इस दिशा का कुछ स्थान थोडा खाली
जरूर छोड़ना चाहिए. वरना इन बुरी शक्तियों का प्रभाव भी घर पर तथा सदस्यों पर
पड सकता हैं.
4.अगर आपके घर का मुख दक्षिण दिशा की ओर हैं.
लेकिन आपने अपने घर का मुख्य द्वार नैऋत्य कोण की ओर बनवा रखा हैं. तो इससे
आपके घर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी होती हैं. जिनसे आपके घर के
सदस्य बीमार रहते हैं और आपको धन से जुडी हुई हानि का सामना करना पड़ता
हैं.
उपाय (Remedy) – इस दिशा के
कुप्रभावों को दूर करने के लिए आप घर की दक्षिण दिशा की दीवार को ऊंचा कर सकते
हैं और अपने घर के प्रवेश द्वार के अंदर और बाहर दक्षिणावर्ती सुंड वाले
गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित कर सकते हैं. इस दोनों ही उपायों से घर पर से
इस दिशा के बुरे प्रभाव समाप्त हो जायेंगे.
निरोग रहने के अन्य वास्तु उपायों को जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
Vastu Tips Aajmayen aur Svasthy Bnayen |
Rogon ke Nidaan Hetu Vastu, रोगों के निदान
हेतु वास्तु, Vaastu Tips to Cure Diseases
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Mera ghar dakshinmukhee hai aur main get aagney me hai is ka kya prabhav pad sakya
ReplyDeletehai sir..
My mom left legs is not working from sometimes. Dr .Told nerve problem. Is this a related on Vastu .
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