भवन में जल स्थान वास्तु के अनुसार (Water Location According to Architectural)
वास्तु शास्त्र का हर एक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान हैं. आज से
कुछ वर्षों पहले व्यक्ति वास्तुशास्त्र से तथा उसके प्रभाव से व्यक्ति अनभिज्ञ थे.
लेकिन आज के समय में हर व्यक्ति वास्तु शास्त्र के महत्व को जानता हैं और
इसीलिए जब भी अपने घर का निर्माण करवाने की योजना बनाता हैं. तो उसमें अधिक से
अधिक कार्य वास्तुशास्त्र के अनुरूप ही करने की कोशिश करता हैं. CLICK HER TO READ MORE ABOUT ऊर्जा स्त्रोत ईशान कोण का जीवन में महत्व और प्रभाव ...
Bhavan Mein Jal Vyavastha Vastu ke Anusar |
यदि आप भी एक नए मकान का निर्माण करवाना चाहते हैं. तो उसमें
वास्तुशास्त्र का ध्यान अवश्य रखें. क्योंकि अगर वास्तु के अनुसार भवन का निर्माण
न करवाया जाये. तो आपके घर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
यदि आप वास्तुशास्त्र के नियमों से अनजान हैं तो इसके लिए आप एक ऐसे विद्वान से
जरूर परामर्श ले, जिसे वास्तुशास्त्र का पूर्ण ज्ञान हो.
विभिन्न दिशाओं का प्रभाव (Effects of Various Directions)
1.दक्षिण दिशा (South) – यदि किसी व्यक्ति के घर में
पानी का प्रवेश दक्षिण दिशा से हो रहा हैं तो वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे घर
में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होना शुरू हो जाती हैं.
2.नैऋत्य कोण (South and West) – यदि मकान में पानी का
प्रवेश नैऋत्य दिशा की ओर से हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में घर में जो पानी सप्लाई
हो रहा हैं उसमें कीटाणु या रासायनिक पदार्थों के मिलने की समस्या हो सकती हैं.
या फिर उस पानी में निरंतर गंदगी आने की समस्या भी हो सकती हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT नव ग्रह शांति के टोटके ...
भवन में जल व्यवस्था वास्तु के अनुसार |
3.अग्नि कोण (South And East) – यदि आपके घर में पानी का
उद्गम अग्नि कोण से हो रहा हैं तो वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे घरों की
महिलाओं की तबियत अधिकतर ख़राब रहती हैं या पानी से जुडी हुई अन्य दिक्कते
उस घर में हमेशा आती रहती हैं.
4.नैऋत्य कोण से ऊंचाई वाला घर (The Elevation
House From South And West Side ) – अगर कोई भवन नैऋत्य कोण से ऊंचा हैं और
उस घर में भले ही पानी की प्रवेश दिशा ईशान कोण हो. लेकिन ऐसे घर में भी पानी
से जुडी उन्ही समस्याओं का लोगों को सामना करना पड़ता हैं जिनका प्रभाव नैऋत्य
कोण वाले घरों पर होता हैं.
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सर्वश्रेष्ठ दिशा (Best Direction) - आज हम चर्चा करेंगें की नए
या पुराने मकान में पानी की व्यवस्था किस प्रकार होनी चाहिए, वास्तुशास्त्र
के अनुसार पानी को प्राप्त करने की दिशा हमेशा ईशान कोण में होनी चाहिए तथा
जल निकासी उत्तर दिशा की ओर से होनी चाहिए. इसके अलावा वास्तुशास्त्र के
अनुसार पानी को ईशान कोण से प्रवेश कराते समय एक पानी की टंकी को जमीन के अंदर
स्थित करवाना चाहिए तथा इसके बाद ही पानी का प्रयोग घर के कार्यों को करने
के लिए किया जाना चाहिए.
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पश्चिम दिशा वाले घरों के लिए (For West Faced
Home) – अगर आपके घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर हैं तो ऐसे घरों में
पानी के प्रवेश का मुख्य स्थान वायव्य कोण से या दक्षिण पश्चिम से
होता हैं. यदि आपके घर में पानी के उद्गम की ऐसी स्थिति हैं तो इसके कुप्रभावों
से बचने के लिए वायव्य और दक्षिण पश्चिम कोण से पानी का पाइप अंदर ले आयें
लेकिन पाइप का नल ईशान कोण की ओर लगवाएं. ऐसा करने से पानी की प्रवेश क्रिया
तो वहीँ रहेगी. लेकिन पानी के दोषयुक्त प्रभावों का असर घर पर कम पड़ेगा.
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उत्तर दिशा वाले मकान में पानी का प्रवेश (Entrance of Water
in North Faced House) – यदि आपके घर का मुख उत्तर दिशा की ओर हैं तो आप अपने
घर में पानी को वायव्य कोण से या ईशान कोण से प्रवेश करा सकते हैं.
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बरसात के पानी की निकलने की दिशा (Exit Direction
of Rain Water) – बरसात के पानी को निकालने की सही दिशा उत्तर दिशा हैं इस दिशा से वर्ष
के पानी को बाहर निकालने से आपके घर में धन की वृद्धि होगी. लेकिन इस कोण
से पानी के बहाव को बाहर करने का एक अतिरिक्त प्रभाव यह माना जाता हैं कि आपकी सामने
वाले या आपके साथ वाले पड़ोसियों से आपके सम्बन्ध बिगड़ सकते हैं. इसीलिए इस कोण
से बारिश के पानी को बाहर जरूर निकालें. लेकिन अपने पड़ोसियों के साथ नम्रता से पेश
आयें.
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जल का बहाव (Water Flow) – घर से जल की निकासी हमेशा पश्चिम
से पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए या दक्षिण से उत्तर की दिशा की ओर होनी
चाहिए.
Jal Nikasi ki Sahi Disha |
इसके साथ ही अपने घर का निर्माण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि
आपके घर के आस – पास नदी, नाला या कोई नहर आपके घर के समांतर न हो.
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जल का भण्डारण (Water Storage) – वास्तु शास्त्र के अनुसार
जल की उत्तम दिशा पूर्व, उत्तर तथा वायव्य कोण हैं.
इसके अलावा यदि आप अन्य दिशा में जल का भण्डारण करते हैं तो आपको निम्नलिखित
परेशानियों का सामना करना पड सकता हैं.
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आग्नेय कोण (South and East) – यदि जल का स्थान आग्नेय
कोण में हो इससे आपके पुत्र के कार्यों में बाधा आती हैं, हमेशा आपको शत्रुओं
का भय सताता हैं तथा आपको विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता हैं.
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दक्षिण पश्चिम दिशा (South and West) – घर में पानी का भण्डारण
यदि दक्षिण और पश्चिम दिशा में होता हैं तो इससे पुत्र के धन की हानि होने
की सम्भावना रहती हैं, दक्षिण दिशा में पति व पत्नी को नुकसान हो सकता हैं.
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वायव्य कोण (North and West) – मकान में पानी का स्थान
यदि वायव्य कोण में हो व्यक्ति को शत्रुओं के द्वारा पीड़ा पहुंचती हैं तथा घर
के बीच के स्थान की वजह से धन का नाश होता हैं.
भवन में जल की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए. इस बारे में
अधिक जानने के लिए आप नीचे तुरंत कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
Grah Nirman Mein Jal Parvah ka Vishesh Sthan |
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Agar pani ka srot dashing disa me hai,lekin ghar se bahar hai.ise thik karne ka upay batayen.please.
ReplyDeleteAgar Pani ka srot south-east Disa me hai, Lekin ghar se bahar hai aur mazburi bhi hai Kahi aur nahi le ja sakte koi upay bataye , please
ReplyDeleteAgar jal ki nikasi south ke alava aur koi alternate nahi hai toh kya karna chahiye
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