वास्तु अनुसार बनाएं
पश्चिममुखी भवन (
Construct Your West Faced Home according to Architectural Tips )
पश्चिम दिशा को
शनिदेव की दिशा माना जाता है साथ ही इस दिशा के मुख्य देवता वरुण देव जी होते है.
क्योकि इस दिशा के स्वामी शनिदेव जी है तो आपको बता दें कि शनिदेव जी बड़े
न्यायप्रिय देवता है, वे अच्छे लोगों के साथ बहुत अच्छे है तो बुरे लोगों पर अपने
साढे साती लगाने में बिलकुल भी देर नहीं करते है. इसलिए इस दिशा को वास्तु
सिद्धांतों के अनुसार बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक है, किसी भी तरह का वास्तु दोष रह
जाने पर ये आपके लिए अधिक कष्टकारी हो सकता है. CLICK HERE TO KNOW जानियें कैसा हो ईशानमुखी घर का वास्तु ...
Aisa Hona Chahiye Paschim Disha ka Vaastu |
पश्चिम मुखी भवन उस
घर को कहते है जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ हो साथ ही गेट के सामने कोई
रोड या सड़क भी हो. इस दिशा को पूर्व दिशा की विरोधी दिशा भी माना जाता है अर्थात
पूर्व दिशा को प्रकाश की दिशा माना जाता है तो पश्चिम दिशा अंधकार का नेतृत्व करती
है. वैसे तो पश्चिम मुखी घरों को अच्छा माना जाता है किन्तु घर निर्माण में किसी भी
तरह की त्रुटी आपको अल्प आयु, रोगी, त्वचा रोग, डिप्रेशन, मानसिक रोगी भी बना सकती
है. तो आप अपने पश्चिम मुखी घर का निर्माण नीचे दिए वास्तु विज्ञान और सिद्धांतों
को पढ़कर ही शुरू करें.
· मुख्य द्वार ( Main Gate ) : जैसाकि नाम से ही पता चल रहा है कि इन घरों का मुख्य द्वार पश्चिम
दिशा की तरफ ही होना चाहियें, लेकिन किसी कारणवश आपको मुख्य द्वार की जगह को
परिवर्तित करना पड़े तो आप उसके लिए पूर्व दिशा का चुनाव कर सकते हो. किन्तु ध्यान
रहे कि आप नैत्रत्य कोण या फिर दक्षिण पश्चिम दिशा को बिलकुल न चुनें. इन दिशाओं
में मुख्य द्वार का निर्माण करने से घर के सदस्यों को धन की हानि, अकाल मृत्यु या
फिर कोई भयंकर रोग अपना शिकार बना लेता है. CLICK HERE TO KNOW पुर्वोंन्मुखी भवन निर्माण के वास्तु सिद्धांत ...
ऐसा होना चाहिये पश्चिम दिशा का वास्तु |
· खाली स्थान ( Empty Place ) : अगर आप घर के मुख्य दरवाजे के सामने कोई खाली स्थान रखवा रहे है तो
आपको घर के पीछे वाली जगह में भी थोड़ा खाली स्थान जरुर रखवाएं, इससे घर में वास्तु
दोष के लगने की संभावना कम होती है. किन्तु अगर आप ऐसा नहीं करते है तो इससे आपकी
संतान को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
· चारदीवारी ( Walls Around the House ) : घर में सुरक्षा के लिए चारदीवारी करवाते वक़्त आप इस बात का ध्यान रखें
कि घर के सामने वाली दीवार बाकी सभी दीवार से ऊँची हो, ये आपके घर में शुभता को
बनाएं रखने के लिए बहुत जरूरी है.
· निर्माण प्रारंभ की दिशा ( Direction to Start Construction ) : क्योकि ये पश्चिम मुखी भवन है तो इस घर में निर्माण की शुरुआत भी
पश्चिम दिशा से ही होनी चाहियें. साथ ही आप घर में आगे की तरफ थोडा सा बरामदा भी
जरुर छुडवायें. इससे घर में सफलता और घर के मुखिया के लिए यश प्राप्ति की संभावनायें
भी बढती है.
पश्चिम मुखी घर |
· घर के कक्ष ( Number of Rooms ) : अगर आप घर में अनेक कक्ष बनवा रहें है तो ध्यान रखें कि पश्चिम दिशा
में बनाएं गएँ कक्षों की संख्या पूर्व दिशा में बनाएं गएँ कक्षों से अधिक होनी
चाहियें. घर में शुभता को बनाएं रखने के लिए आप घर के सामने वृक्ष लगवा सकते हो.
· रसोईघर ( Kitchen ) : पश्चिम मुखी घर में
पश्चिम दिशा में ही रसोई के बनाने से रसोईघर में कभी बरकत नहीं होती जिसका प्रभाव
पुरे घर पर पड़ता है और घर के सदस्यों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरने लगता है.
ऐसा पश्चिम दिशा में विराजमान नकारात्मक ऊर्जा के कारण होता है तो आप इस स्थिति से
भी बच कर रहें.
·
बच्चों
का कमरा (
Children Room ) : इस दिशा में बच्चों का कमरा बनाया जा सकता है.
साथ ही आप इस दिशा में उनके लिए पढने, खेलने और सोने की व्यवस्था भी कर सकते हो,
बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि बच्चे का बिस्तर दक्षिण पश्चिम दिशा में हो.
· जल निकासी ( Drainage ) : पश्चिममुखी भवन में
जल निकासी के लिए ईशान, पूर्व या फिर उत्तर दिशा को सर्वाधिक उचित माना जाता है.
वहीँ अगर आप जल निकासी के लिए पश्चिम दिशा को ही चुनते हो तो इससे घर में गंभीर
रोगों का जन्म होने लगता है.
पश्चिममुखी भवन का वास्तु |
· वास्तु दोष निवारण मंत्र ( Mantra to Remove Vaastu Dosh ) : वास्तु दोष से मुक्ति पाने के लिए आप शनिदेव के इस मंत्र का जाप
रोजाना करें. 'ओम शं शनैश्चराय नमः'. इस मंत्र के नियमित जप से सभी तरह के कुप्रभाव
दूर होते है और घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है.
ऊपर दिए सभी उपाय आपके पश्चिम मुखी भवन के
निर्माण और घर में सुख शान्ति के लिए अति आवश्यक है इसलिए जब भी आप अपना घर बनवाएं
तो इन उपायों को जरुर स्मरण रखें. इसके साथ ही किसी अन्य वास्तु निर्माण सिद्धांत
नियम के बारे में जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते
हो.
वास्तु अनुसार बनाएं पश्चिममुखी भवन |
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30*30 me west ki or mukh ho ka map send kre
ReplyDeletehamara ghar paschim mukhi hai or age T bana hua (matlab thin taraf road hai) upay bataye
ReplyDeletePaschimmukhi ghar ka naksha less bnaye
ReplyDeletePaschim mukhi ghar ka naksha kesse banaye kahan par kya Gina chahiye
ReplyDeleteMera makan paschim mukhi hai or paschim uttar k kone par badam ka ped laga hai main door se thoda sa dur hai kya kare please reply me
ReplyDeletepashchim mukhi plot aur pashchim aur dakshin main road hain , to ghar ka naksha kaisa ho
ReplyDeletepashchim mukhi plot aur pashchim aur dakshin main road hain , to ghar ka naksha kaisa ho
Deletemera ghar pachisn mukhi hai, to nali ka nikashi kkaun si disha se de.. pachim disha chor ke baki kisi disha me nali ka nikashi sambhav nahi hai.. kripya jaldi upay bataiye...
ReplyDeletePaschim mukhi plot h , plot no. 440 h sector-5 h numerology K hisaab se Kaisa rahega
ReplyDeletePaschim mukhi plot h , plot no. 440 h sector-5 main h according to numerology Kaisa rahega ye batao orsend me the map according to vaastu
ReplyDeleteपश्चिम मुखी घर के सामने तीन रास्ते मिलते हो
ReplyDeleteनक्सा कैसा होगा
ReplyDeleteपश्चमी मुखी घर में सोने के लिए उपयुक्त दिशा कौन सी होनी चाहिए .
ReplyDeletemera commercial plot west facing hai mujhe agnikon me siddiya banana hai kya yeh thik rahega
ReplyDeleteaur toilet vavyakon me banana hai kya yeh sahi hai agar nahi to kya upay karna chahiye
Paschim Disha me kuch rkhne k liye fengshui Gadgets batye
ReplyDeletemain gate uttar me rakhne ke bad kya pachhim disha me ek pichhla darwaza rkha ja sakta hai
ReplyDeleteuttar disha me main gate rakh kar pachhim me ek pichhla darwaza rkha ja sakta hai
ReplyDelete36*15.7 main rasta pachim ke or and 2nd rasta dakshin ke or hai kripya vastu ke pdf or map
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