पीलिया
(
Jaundice )
गर्मी या बरसात के
मौसम अचानक रोगों का आक्रमण बढ़ जाता है. इन रोगों में से पीलिया भी एक प्रमुख रोग
है. पीलिया को एक विशेष वायरस भी माना जाता जिसमे रोगी का शरीर पीला पड़ने लगता है
और उसके पित्त में वृद्धि होने लगती है. रोगी का शरीर ही नही बल्कि रोगी के नाख़ून,
त्वचा, आँखों के बीच का सफ़ेद भाग और उसका मूत्र भी पीले रंग का हो जाता है. इस रोग
को इंग्लिश में Jaundice कहा जाता है. ऐसे रोगियों की खाने में बिलकुल
रूचि नही रहती और यदि इस रोग का समय पर उपचार नही कराया जाता तो इससे रोगी की
मृत्यु तक हो सकती है. इसलिए इसे समय पर पहचानना और इसकी रोकथाम अनिवार्य है. तो
आओ जानते है पीलिया होने के कुछ कारण और लक्षण. CLICK HERE TO KNOW पीलिया के घरेलू आयुर्वेदिक इलाज ...
Piliya ke Kaaran or Lakshan |
पीलिया
के प्रकार ( Type of Jaundice ) :
पीलिया के वायरस के
आधार पर ये रोग मुख्यतः 3 प्रकार का होता है.
-
हेपेटाइटिस
ए (
Hepatitis A )
-
हेपेटाइटिस
बी (
Hepatitis B )
- हेपेटाइटिस नॉन ए और नॉन बी ( Hepatitis Non A and Non B )
पीलिया
के कारण (
Causes of Jaundice ) :
·
हेपेटाइटिस
ए (
Hepatitis A ) : पीलिया का मुख्य कारण और वायरस हेपेटाइटिस ए होता
है. हेपेटाइटिस ए दूषित खानपान और दूषित पानी से होता है. जिससे लीवर पर काफी असर
पड़ता है जिससे ये अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है.
·
मलेरिया
(
Malaria ) : अगर कोई व्यक्ति मलेरिया से ग्रसित
है तो उसे भी पीलिया होने की पूरी संभावना बनी रहती है क्योकि मलेरिया में रोगी की
प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसके कारण अन्य बीमारियाँ आसानी से रोगी को अपना
शिकार बना पाती है. CLICK HERE TO KNOW माइग्रेन के कारण, लक्षण और उपचार ...
पीलिया के कारण और लक्षण |
·
पित्त
में पथरी ( Gall Stones ) : इसका अगला कारण है पित्त की थैली या पित्त की
नाली में पथरी का अटकना या होना. इससे पित्त में सुजन आ जाती है और उसका आकार बढ़ना
शुरू हो जाता है जो पीलिया को बुलावा देता है.
·
पौषक
तत्वों की कमी ( Deficiency of Nutrients ) : भोजन ही
जीवन है, अगर आप अच्छा आहार ग्रहण करते हो तो आपका शरीर स्वस्थ रहता है और कोई भी
रोग आपको छू भी नही पाता किन्तु अगर आप विशुद्ध भोजन करते हो तो हर बिमारी आपको
नुकसान पहुँचाने के लिए तैयार रहती है. इसलिए साफ़ स्वच्छ और संतुलित आहार लें.
जिसमे सभी पौषक तत्व मौजूद हो.
·
आसपास
गंदगी (
Garbage or Mess All Around ) : जिस
स्थान पर आप रहते है अगर वहाँ किसी प्रकार की गंदगी है या कूड़ा कचरा बिखर रहता है
तो उस स्थान पर अनेक तरह के रोग स्वतः ही उत्पन्न हो जाते है जो पीलिया का कारण
बनते है. ऐसे ही माहौल में हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का भी जन्म होता है जो
पीलिया का वायरस माना जाता है. तो अपने आसपास सफाई बनाएं रखें.
·
अधिक
मात्रा में शराब ( Heavy Alcohol ) : अकसर वे
लोग जो अधिक शराब का सेवन करते है उन्हें पीलिया होता रहता है. इसका कारण शराब में
मिलाया जाने वाला एसिड होता है. शराब शरीर के अंदर के हिस्से को गला देती है और
शरीर में घाव पैदा कर देती है. इससे पित्त को भी बहुत नुकसान पहुँचता है जो पीलिया
का कारण बनता है.
·
रक्तकणों
की कमी (
Lack of Blood Cells ) : खून में हीमोग्लोबिन की कमी या रक्त कणों की कमी
से भी पीलिया हो जाता है क्योकि अगर खून में हीमोग्लोबिन ही नही होगा तो रक्त का
रंग लाल नही रह पाता और ना ही शरीर के हर हिस्स्ते तक पौषक तत्व पहुँचते है. इस
तरह पीलिया शरीर पर आसानी से आक्रमण कर देता है.
Causes and Symptoms of Jaundice |
·
दिन में
सोना (
Day Sleeping ) : कुछ लोगो को दिन में सोने की आदत होती है. इससे
उनमे आलस तो बढता ही है साथ ही उन्हें पीलिया जैसी बिमारी भी अपना शिकार बना लेती
है.
पीलिया
के लक्षण ( Symptoms of Jaundice ) :
·
पीलापन
( Pallor
) : पीलिया का सबसे पहला और मुख्य लक्षण शरीर के अनेक
हिस्सों का पीला पड़ना है. जिसमे आँखें, नाख़ून त्वचा और मूत्र भी शामिल है. इसका
मुख्य कारण ये होता है कि इस रोग में लाल रक्त कोशिकायें / RBC ( Red Blood Cell ) बाईल या बिलीरुबिन पिगमेंट में बदल जाती है.
जिससे मूत्र का रंग गहरा शुरू होना आरंभ हो जाता है. अगर इसपर समय पर ध्यान नही
दिया जाता तो इससे मूत्र में इन्फेक्शन भी हो सकता है जिससे किडनी भी खराब हो सकती
है. किडनी के साथ साथ पीलिया का रोग लीवर को भी अपना शिकार बनता है.
·
पेट
दर्द (
Stomach Pain ) : क्योकि पीलिया में किडनी, लीवर और पाचन तंत्र
प्रभावित होते है तो इससे पेट में दर्द और अन्य विकार उत्पन्न होने आरंभ हो जाते
है. इस स्थिति में लोगो को ज्यादातर पेट के दाहिने हिस्से में दर्द होना आरंभ होता
है और ये धीरे धीरे बढ़ने लगता है.
·
तेज
बुखार (
High Fever ) : पीलिया एक वायरस का रोग है जिससे शरीर में विष
का संचार होता है. ये विष शरीर का तापमान 100 से 103 डिग्री तक पहुंचा देता है.
जिससे रोगी को लगातार बुखार रहता है. इससे उनकी आँखों पर गहरा प्रभाव पड़ता है
क्योकि उनकी आँखे बुरी तरह से जलने लगती है.
·
उल्टियाँ
(
Vomiting ) : पीलिया के रोगी का खाने से मन उठ जाता है किन्तु
फिर भी उसको उल्टी और मतली आती रहती है. जिससे उसके शरीर में कमजोरी आ जाती है और
उसे चक्कर आने लगते है. अगर इन लक्षणों पर शीघ्र ही ध्यान नही दिया जाता तो ये बड़े
रोग को बुलावा दे देती है.
Piliya ke Prakar |
·
अधिक
थकान (
Fatigue ) : कमजोरी, उल्टी के कारण रोगी को अपना शरीर टुटा
हुआ महूसस होता है. वे हमेशा बिस्तर पर पड़े रहते है और सोते रहते है. इनका स्वभाव
चिडचिडा हो जाता है, इनका ना किसी से बोलने का मन करता है और ना ही कुछ करने का.
·
खुजली ( Itch ) : जिन रोगियों को पीलिया का कारण कोलेस्टासिस है उन रोगियों के शरीर
में खुजली की समस्या उत्पन्न हो जाती है. खुजली की शुरुआत उनके हाथ से होती है
किन्तु धीरे धीरे ये खुजली पैरों से पुरे शरीर में होने लगती है जिसकी वजह से रोगी
रात भर अपने शरीर को खुजाता रहता है.
·
नींद
पूरी ना होना ( Lack of Sleep ) : क्योकि
रोगी को बैचनी, खुजली और आँखों में जलन होती रहती है तो उन्हें नींद नही आ पाती.
जिस कारण उन्हें नींद की बीमारियाँ भी अपना शिकार बनाना आरंभ कर देती है. ये एक
ऐसी स्थित उत्पन्न हो जाती है जो रोगी के परिवार जन को भावनात्मक रूप से कष्ट देना
आरंभ कर देती है.
पीलिया
के अन्य लक्षण, कारण और इसके उपचार को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
Shrir ke Pila Padne ka Kaaran |
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Meri wife pregnant thi 7th month me hi pilia ho gaya tha 5 point tak pet me pani banane laga tha isliye opration karna pada aur abhi uske pet me dard rahta hai piliya kabhi bad jata hai kabhi kam ho jata hai mujhe kya karna chahiye medicine abhi chal rahi hai
ReplyDeleteसर पीलिया होने के बाद पेशाब रुक गया है और पैर तथा पेट मे पानी हो गया है
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