मूली छार से साँस की बीमारी
तथा खांसी का अनोखा उपचार है
मूली छार एक प्रकार की दवाई
होती है जो साँस से सम्बंधित सभी प्रकार की बिमारियों तथा खांसी में बहुत ही
लाभदायक होता है, मूली की दवाई घर में ही बनाई जाती है किन्तु अधिकतर लोगों को
नहीं पता है कि मूली की दवाई कैसे बनाई जाती है लेकिन आज हम आपको मूली की दवाई
बनाने का बहुत ही आसान तरीका बताते हैं - मूली की दवाई बनाने के लिए कुछ मूली लें,
उसे छोटे – छोटे काट लें, उन्हें धूप में नहीं बल्कि छाया में सुखा लें, सूखने के
बाद इन्हें जलाकर भस्म बना लें, इस भस्म में भस्म का 7 – 8 गुना जल मिला लें, इसे
7 – 8 घंटे तक रख दें और समय – समय पर हिलाते रहें, फिर इसे छान लें, छानने पर
नीचे जो गंदा अवशिष्ट बचता है उसे ही मूली छार कहा जाता है. इसे सुखाया जाता है.
यदि किसी बड़े व्यक्तियों को साँस से सम्बंधित किसी प्रकार की बीमारी है या खांसी
है उसे इस मूली छार का 1\2 ग्राम चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर चाटना चाहिए. यदि किसी
बच्चे को साँस की समस्या है तो उसे मूली छार के 90 – 100 मि. ग्राम चूर्ण में थोड़ा
शहद मिलाकर चाटना चाहिए. ऐसा करने से साँस से सम्बंधित सभी प्रकार की बीमारी तथा
खांसी में बहुत आराम मिलता है.
1.
कान में दर्द होना ( Pain in Ear ) : कई बार कान में तीव्र पीड़ा
होती है जिसके कारण कान से आवाजें आने लगती हैं. कान में गंदगी जमा होने से पोषक
तत्व कम हो जाते हैं जिसके कारण कान में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं और कान
में दर्द होना शुरु हो जाता है. CLICK HERE TO KNOW मुली के कुछ महत्वपूर्ण प्राकृतिक गुण ...
Muli se Saans Khansi or Gambhir Rogon ka Anokha Upchar |
उपचार ( Treatment ) : यदि आपको भी यही समस्या है तो 150 – 200 ग्राम
मूली के ताजे पत्ते लें, 45 – 50 ग्राम सरसों का तेल लें, तेल को मूली के पत्तों
में डालकर मिला लें, अब इसे एक बर्तन में हल्की आंच पर पकाएं, बर्तन में केवल तेल
रह जाने तक इसे पकाते रहें, पकने के बाद इसे ठंडा कर लें और एक बोतल में भरकर
रखें, इस तेल को रोजाना कान में डालें, इससे आपके कान में हो रहे दर्द में बहुत
आराम मिलेगा.
2.
नेत्रों में जाला होना ( Web in Eyes ) : कभी – कभी नेत्रों में जाला
हो जाता है या नेत्रों को रगड़ने से नेत्र लाला हो जाते हैं.
उपचार ( Treatment ) : ऐसी स्थिति में मूली का रस लें, उसमें थोड़ा पानी मिला लें, अब इससे अपने नेत्रों को
धोएं आपके नेत्र का जाला साफ हो जाएगा.
3.
पथरी ( Calculus ) : पथरी बहुत ही खतरनाक रोग
होता है. पेशाब गाढ़ा होने के कारण पथरी बनने लगती है और धीरे – धीरे यह बढ़ती रहती
है. इस रोग में पेट के नीचे वाले भाग में सहसा ही बहुत तीव्र पीड़ा होने लगती है.
उपचार ( Treatment ) : इस रोग में रोजाना सुबह खाना खाने से पहले मूली
के रस का सेवन किया जाता है. इसके सेवन से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है और दोबारा
पथरी होने का डर भी नहीं रहता.
4.
पीलिया ( Jaundice ) : रोग में मूली छार का सेवन बहुत ही फायदेमंद
माना जाता है. यह रोग मुख्य रूप से अस्वस्थ वातावरण में तथा ज्यादा भीड़ वाले
क्षेत्रों में होने की अधिक सम्भावना होती है. इस बीमारी में व्यक्ति की आंख,
नाखून तथा शरीर कुछ हल्के पीले रंग के दिखाई देते हैं. जिस व्यक्ति को पीलिया रोग
है उसके अधिक संपर्क में नहीं रहना चाहिए अन्यथा अन्य व्यक्ति को भी पीलिया रोग हो
सकता है. इस रोग के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे – व्यक्ति का अस्वस्थ रहना, भूख कम
लगना, सिर में तेज पीड़ा होना, पीले रंग का पेशाब आना तथा ज्यादा थकान महसूस करना
इत्यादि. CLICK HERE TO KNOW खीर एक ठंडा व फायदेमंद फल है ...
मुली से सांस खांसी और गंभीर रोगों का अनोखा उपचार |
उपचार ( Treatment ) : पीलिया रोग में मूली छार का सेवन बहुत ही
फायदेमंद माना जाता है. पीलिया से बचने के लिए प्रतिदिन एक गिलास मूली का रस पीना
चाहिए तथा दिन में मूली की सब्जी बनाकर सेवन करना चाहिए इससे पीलिया रोग ठीक हो
जाता है.
5.
एसिडिटी ( Acidity ) : एसिडिटी में सीने तथा पेट में बहुत जलन और दर्द
होता है, श्वास में कठिनाई होती है, घबराहट होती है, मन उल्टी जैसा लगता है, पेट
फूला हुआ तथा भारी – भारी लगता है.
उपचार ( Treatment ) : एसिसिटी होने पर मूली के पत्ते खाएं या मूली का
रस पियें इससे आपकी एसिडिटी की परेशानी दूर हो जाएगी.
6.
जिगर (लीवर) बढ़ना या जिगर में
सूजन ( Increase and Swelling
in Liver ) : जब जिगर में जलन होती है तब जिगर में खून की गति बहुत तेज
हो जाती है जिसके कारण जिगर बड़ा हो जाता है, लीवर का रोग ज्यादातर छोटे बच्चों में
पाई जाती है, यह बीमारी मां का दूध ठीक ना होने के कारण, गाय तथा भैंस के दूध में
भारीपन होने के कारण, नवजात शिशु को असमय ही ज्यादा मात्रा में दूध पिलाने से, कम
आयु के बच्चों को भारी पदार्थ जैसे – रोटी, दाल तथा चावल आदि खिलाने के कारण, मीठी
चीजें ज्यादा खाने से, ठंडी चोजों को ज्यादा खाने से जैसे – आइसक्रीम तथा बर्फ
ज्यादा खाने से होती है. इस रोग में खाना जल्दी नहीं पचता जिसके कारण जिगर का आकार
धीरे – धीरे बढ़ता चला जाता है. जिस व्यक्ति को यह बीमारी है अपना पेट कुछ बढ़ा हुआ
लगता है. बच्चों को यह रोग होने पर बच्चे अस्वस्थ रहने लगते हैं. उनके शरीर में
रक्त कम होने लगता है. उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है.
उपचार ( Treatment ) : लीवर बढ़ने पर, पेट में पीड़ा होने पर मूली का
सेवन किया जाता है. इसका सेवन करने के लिए एक मूली लें, इसे काटकर चार टुकड़े कर
दें, फिर इसके ऊपर थोड़ा नौशादर डाल दें, अब इसे पूरी रात रख दें, सुबह उसमें पानी
दिखाई देता है, इस पानी को खाना खाने से पहले पियें, पीने के बाद उस मूली को भी खा
लें, ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करें इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा.
उपचार मूली क्षार श्वास के रोगों व खांसी की अचूक दवा है |
7.
शरीर में कमजोरी ( Physical Weakness ) : वैसे तो कई लोगों का शरीर दिखने में तो स्वस्थ
लगता है परन्तु उनके अंदर बल नहीं होता.
उपचार ( Treatment ) : मूली के कुछ बीज लें, उन्हें सुखा लें, जब मूली
के बीज पूरी तरह सूख जाए तो उन्हें महीन पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें चीनी मिला लें,
फिर एक गिलास दूध में एक चम्मच मूली के बीज का चूर्ण मिलाकर रोज सुबह पियें इससे
आपके शरीर को बल मिलेगा.
8.
बवासीर या अफारा रोग ( Pile and Chaotic Disease ) : बवासीर या अफारा रोग होने
पर मूली का सेवन किया जाता है. बवासीर रोग दो प्रकार के होते हैं पहला खुनी बवासीर
और दूसरा बादी बवासीर. खूनी बवासीर रोग में वैसे तो कोई परेशानी नही होती परन्तु
खून का स्राव होता है और बादी बवासीर रोग में दस्त होता है और दस्त के साथ खून का
स्राव होता है, जलन, पीड़ा तथा खुजली होती है, घबराहट होती है तथा किसी काम को करने
का मन नहीं करता. यह रोग अधिक समय तक खड़े रहने के कारण हो सकता है तथा जिन लोगों
को बवासीर होता है उनकी आने वाली सन्तान को भी बवासीर रोग हो सकता है. अफारा रोग
अनेक कारणों से उत्पन्न हो सकता है जैसे – रूखी चीजों को खाने के कारण, अधिक चिंता
करने के कारण, अधिक ठंडी चीजों को खाने से, शयन करने से शुक्राणुओं के कम होने के
कारण, पेशाब के बहाव को बंद करने के कारण, ज्यादा उलटी तथा दस्त होने से आदि. यह
रोग होने पर पेट में गैस जमा हो जाती है जिसके कारण पेट पीड़ा होने लगती है तथा जी
मिचलाता है, साँस लेने में कठिनाई होती है, सीने में जलन महसूस होती है, व्यक्ति
का सिर चकराने लगता है.
Pathri Piliya Acidity Payriya Kabj |
उपचार ( Treatment ) : यदि आप बवासीर तथा अफारा से बचना चाहते हैं तो
मूली के कुछ पत्तों को सुखा लें, इसे पीसकर चूर्ण बना लें, अब रोजाना सुबह इस
चूर्ण का सेवन करें.
9.
पायरिया ( Pyorrhea ) पायरिया रोग होने पर लोगों के दांत तथा मसूड़े
कमजोर हो जाते हैं जिसके कारण वे कई कठोर चीजों को नहीं खा पाते जैसे – अखरोट,
गन्ना, अमरुद इत्यादि.
उपचार ( Treatment ) : यदि आपको पायरिया रोग है तो आज से ही पानी से
कुल्ला करना बंद कर दें और मूली के रस से कुल्ला करना शुरू कर दें और प्रतिदिन
मूली का रस पियें या मूली को मसूड़ों तथा दांतों पर रगड़ें. इसके अलावा आप मूली को
चबाकर भी खा सकते हैं इससे आपके दांत मजबूत होंगे और मसूड़े भी स्वस्थ रहेंगे.
10.
पेट से सम्बंधित रोग ( Stomach Diseases ) : यदि आपको पेट से सम्बंधित किसी भी प्रकार की
समस्या है तो चिंता ना करें मूली पर काली मिर्च का चूर्ण तथा काला नमक लगाकर सेवन
करें इससे आपकी पेट से सम्बन्धित सभी प्रकार की समस्या दूर हो जाएगी.
11.
मुंह, पेट, आंत तथा किडनी
का कैंसर ( Mouth, Stomach,
Intestine and Kidney Ulcer ) : यदि आप मुंह, पेट, आंत तथा किडनी के कैंसर से ग्रस्त हैं
तो हर रोज मूली का सेवन करें क्योंकि मूली में कुछ ऐसे तत्वों की मात्रा पाई जाती
है जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचने में मदद करती है जैसे - फॉलिक एसिड,
विटामिन ‘c’ तथा एंथोकाइनिन आदि.
Aankh mein Jaala |
12.
मसूड़े तथा हड्डियों का
कमजोर होना ( Gum and Bone
Weakness ) : क्या आपके मसूड़े और शरीर की हड्डियाँ कमजोर हैं? यदि हाँ
तो अपने मसूड़े तथा शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए रोजाना मूली खाएं इससे
आपके मसूड़े तो मजबूत होंगे ही साथ ही आपके शरीर की हड्डियाँ भी मजबूत हो जाएंगी.
13.
मोटापा ( Fat ) : यदि आप अपने शरीर का मोटापा कम करना चाहते हैं तो दवाइयों
पर अधिक पैसे खर्च ना करें बल्कि घर में ही थोड़ा मूली का रस लें, उसमें एक नींबू
का रस तथा थोड़ा नमक मिला लें, इसे प्रतिदिन सुबह – शाम पियें इससे आपका मोटापा
अवश्य ही कम हो जाएगा.
14.
मुंहासे ( Acne ) : यदि आपके चेहरे पर मुंहासे हैं तो एक मूली लें,
उसमें से एक गोल टुकड़ा काट लें, अब इस टुकड़े को अपने मुंहासों पर लगाएं, इसे रूखा
हो जाने तक अपने मुंहासों पर लगाए रखें. कुछ समय बाद अपने चेहरे को शीतल जल से धो
लें. ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करें इससे आपके चेहरे के मुंहासे दूर हो जाएँगे.
15.
कब्ज ( Constipation ) : यदि आपको कब्ज रोग है जिसके कारण आप बहुत
परेशान हैं तो अब आपको परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है. कब्ज रोग को दूर करने
के लिए हर रोज मूली पर नींबू तथा नमक डालकर सेवन करना शुरू कर दें या खाना खाने के
साथ मूली का सलाद बनाकर खाएं कुछ दिनों में आपका कब्ज रोग ठीक हो जाएगा. यदि आपका
कब्ज रोग बहुत पुराना हो गया है तो सुबह – शाम मूली का रस पियें, इससे आपको कब्ज
रोग में बहुत आराम मिलेगा. कब्ज रोग होने पर इस बात का ध्यान जरुर रखें कि तेलीय
पदार्थ का सेवन बिल्कुल ना करें खिचड़ी तथा दलिया का सेवन करें.
मुली से अन्य रोगों को दूर
करने के उपचार और प्रयोग को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
कर सकते हो.
Kaan mein Dard |
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