नवरात्रे (Navratre)
नवरात्रे हिन्दू समुदाय के लोगों का एक धार्मिक त्यौहार हैं. नवरात्री शब्द
दो शब्दों के योग से बना हैं नव और रात्रि. नव का अर्थ नौ होता हैं तथा रात्रि का
अर्थ रात होता हैं. नवरात्रे दुर्गा माँ के नौ रूपों की पूजा – अराधना करने
के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माने जाता हैं. नवरात्रे वर्ष में दो बार आते हैं. चैत्र
मास में जिसे वार्षिक नवरात्रे के नाम से भी जाना जाता हैं. दुसरी बार
नवरात्रे अश्विन मास में आते हैं. जिसे शारदीय नवरात्री भी कहा जाता
हैं. इन दोनों महीने में नवरात्रों की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा से होती हैं तथा
समाप्ति नवमी के दिन होती हैं.
नवरात्रों का विशेष महत्व (Special Significance of Navratre)
नवरात्रे के दिनों में सभी व्यक्ति अपने घरों में कलश स्थापित करके दुर्गा माँ
की प्रतिमा को स्थापित करके पूरे नौ दिनों तक उनकी अर्चना करते हैं. इन दिनों
अधिकतर व्यक्ति पूरे नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं. हिन्दू समुदाय के लोगों के
अनुसार नवरात्री के दिन बहुत ही महतवपूर्ण और पवित्र होते हैं. इन दिनों में व्रत
रखने से दुर्गा माँ प्रसन्न होती हैं तथा दुर्गा माता ही अपने भक्तों को पूरे नौ
दिनों तक भूखे रहकर उनकी आराधना करने की शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करती हैं.
जिससे उनके भक्त नौ दिनों तक उपवास रख पाने में सक्षम होते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT तुलसी विवाह कथा पूजन विधि और महत्व ...
Maa Durga ke Paavan Navratre |
नवरात्रे की रात्रि का महत्व (Importance of navratrI ‘ s night )
नवरात्रे के दिन के साथ – साथ रात्रि का महत्व भी अत्यधिक होता हैं. नवरात्री
की रात्रि को किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं.
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रे की रात्रि का प्रयोग व्यक्ति किसी विशेष कार्य की
सिद्धि हेतु माता के मनन एवं चिंतन के लिए कर सकता हैं. क्योंकि नवरात्रों
में देवी शक्ति अपने प्रचण्ड रूप में उपस्थित होती हैं.
नवरात्रे का धार्मिक दृष्टिकोण से तो महत्व हैं ही इसके साथ – साथ वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से भी नवरात्रे की रात्रि का समय नौ देवियों की अराधना करने के लिए
बहुत ही उत्तम होता हैं. इसका सबसे पहला कारण तो यह माना जाता हैं कि रात्रि के
समय किसी प्रकार का शोर नहीं होता. जिससे आप अपना ध्यान माता की अराधना करने
में केन्द्रित कर सकते हैं. दिन में प्रकृति के बहुत से अवरोध होते हैं जिनके
कारण आप ठीक ढंग से माता की पूजा करने में असक्षम होते हैं. रात्रि के समय ये
सभी अवरोध समाप्त हो जाते हैं. इसलिए नवरात्रे की रात्रि के समय का प्रयोग आप आत्म
शक्ति, मानसिक शक्ति तथा आध्यात्मिक शक्ति तथा यौगिक शक्तियों को
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माँ दुर्गा के पावन नवरात्रे |
ग्रहों की शांति के लिए नवरात्रों का महत्व
नवरात्रे तंत्र और मन्त्र के कार्यों की सिद्धि के लिए भी विशेष होते हैं.
क्योंकि नवरात्रों के नौ दिनों में अत्यधिक शक्ति होती हैं. तांत्रिक विद्या के
अनुसार किसी भी कार्य की सिद्धि बिना तंत्र और मन्त्र के नहीं हो सकती. यदि किसी
व्यक्ति पर किसी ग्रह की ख़राब दशा चलने के कारण उस ग्रह के बुरे प्रभाव पड
रहें हैं. तो उस व्यक्ति को नवरात्रे के दिनों में यंत्र, तंत्र और मन्त्रों के
द्वारा इन दिनों में ग्रह शांति के लिए उपाय करने चाहिए. नवरात्रे में कराये गए
ग्रह शांति के कार्य अवश्य पूरे होते हैं. जिससे भविष्य में कभी व्यक्ति पर ख़राब
ग्रहों का प्रभाव नहीं पड़ता.
माँ दुर्गा के नौ रूप तथा नवरात्री के उत्सव (Navratre
Festival)
नवरात्रि धार्मिक त्यौहार हैं. इन दिनों में पश्चिम बंगाल के लोग
दुर्गा माँ की विशेष पूजा करते हैं तथा नौ दिनों तक सांकृतिक कार्यक्रम
किये जाते हैं. नवरात्री के पूरे नौ दिनों तक पश्चिम बंगाम में माँ दुर्गा की शक्ति
के रूप में पूजा की जाती हैं तथा नवरात्री के समाप्ति पर दुर्गा माता की
मूर्ति का विसर्जन किया जाता हैं.
गुजरात में नवरात्रे के आरम्भ होने पर सभी अपने घरों में माँ की मूर्ती को स्थापित
कर प्रतिदिन पूजा करते हैं तथा रात्रि को गरबा खेलते हैं. जिसे डांडिया भी
कहा जाता हैं. यह एक बहुत ही विशेष उत्सव होता हैं. जिसमें सभी अपने परिवार के साथ
गरबा के उत्सव में विशेष वस्त्र पहनकर शामिल होते हैं और अपने परिवार के सदस्यों
के साथ तथा अपने मित्रों के साथ गरबा खेलकर इस उत्सव को बहुत ही धूमधाम से मानते
हैं. नवरात्री में दुर्गा माँ के नौ रूपों को पूजा जाता हैं. दुर्गा माता के इन नौ
रूपों को आलग – अलग नाम से जाना जाता हैं. जिनकी जानकारी नीचे दी गई हैं –
1. शैलपुत्री
2. ब्रह्मचारिणी
3. चंद्रघंटा
4. कूष्मांडा
5. स्कंदमाता
6. कात्यायनी
7. कालरात्रि
8. महागौरी
9. सिद्धिधात्री
Navratre ke Utsav |
नवरात्रे की पूजन विधि (Navratre Poojan Vidhi)
1. नवरात्रे के दिन जल्दी
उठाकर घर की तथा पूजा स्थल की अच्छी तरह से साफ सफाई कर लें और उसके बाद स्नान
करें.
2. अब नवरात्रे की पूजा आरम्भ
करने के लिए दुर्गा माँ की प्रतिमा लें और उन्हें एक चौकी पर स्थापित कर दें. अब
दुर्गा माँ के समक्ष एक कलश रखे, उसमें जल भरे, अब इस जल में लौंग, सुपारी तथा शहद
डालकर इस पर कलश को ढक दें.
3. इसके बाद कलश के ढक्कन पर
चावल रखे और एक नारियल को माता की चुन्नी से लपेटकर रख दें. इसके बाद मिटटी की
बेदी बनाकर जौ बोयें.
4. इसके बाद दुर्गा माता की
प्रतिमा पर तिलक लगायें और एक अखंड ज्योत प्रज्वलित कर ले. ध्यान रखें की पूरे
नवरात्रे ये अखंड ज्योत न बुझे.
5. अब माता की मूर्ति पर फूल,
अक्षत अर्पित करें. अब एक सुगन्धित अगरबत्ती या धूप जलाकर माता की पूजा करें.
6. ध्यान रहें की पूजा करते
हुए नवरात्रे के पहले दिन का पाठ और दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें. ऐसे ही नौ
दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा करें.
7. पूजा सम्पन्न करने के बाद
पूरे विधि – विधान से माँ के नाम पर उपवास रखें.
8. नवरात्रे के नौवें दिन
स्नान करने के बाद चना, हलवा तथा पूरी का प्रसाद तैयार करें. नौ कन्याओं को तथा एक
लड़के को तिलक लगाकर, मोली बांधकर तथा उनके पैरों को गंगाजल से धोकर भोजन कराएँ.
9. भोजन कराने के बाद कन्याओं
को नारियल, फल तथा दक्षिणा दे कर माता के नाम के जयकारे लगवाएं.
नवरात्रे तथा नवरात्रे की पूजन विधि के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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