Janmkundali Mein Pitridosh ka Prabhav | जन्मकुंडली में पितृदोष का प्रभाव


जन्मकुंडली में पितृदोष (Pitra dosh in Birth Chart)
पितृदोष क्या हैं ? (What is Pitru dosh)
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और सूर्य ग्रह की युति एक साथ हो. तब व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता हैं. पितृ दोष का निर्माण किसी भी व्यक्ति की कुंडली में तब होता हैं. जब उसके मृत  पूर्वजों की आत्मा अतृप्त रहती हैं. जिसके कारण पूर्वजों के वंशजों को अपने जीवन में अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT शनि दोष और उसके ज्योतिषी उपाय ...
Janmkundali Mein Pitridosh ka Prabhav
Janmkundali Mein Pitridosh ka Prabhav

पितृदोष का निर्धारण कैसे करें (How to Determine Pitridosh)

जन्मकुंडली में पितृदोष के सूचक (The Indicator of Pitridosh ) जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और राहु ग्रह एक हो जाते हैं. तो उस व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण योग का निर्माण होता हैं. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण के निर्माण का अर्थ होता हैं. सूर्य का ग्रहण तथा सूर्य ग्रहण का अर्थ हैं आत्मा और पिता का ग्रहण. यदि आपकी कुंडली में पिता और आत्मा के ग्रहण का योग बना रहा हैं. तो भी आप पितृ दोष से ग्रस्त हैं.

पितृदोष के लक्षण (Pitridosh’s Symptoms)
1.    जो व्यक्ति पितृ दोष से ग्रस्त होता हैं. उसे जीवन में काफी कष्ट उठाने पड़ते हैं

2.    उसके जीवन का कोई भी कार्य आसानी से पूर्ण नहीं होता. अर्थात उसके कार्य में विघ्न – बाधाएं जरूर उत्पन्न होती हैं.

3.    उसे आधी, व्याधि तथा उपाधि इन तीनों प्रकार की पीडाओं को, कष्टों को पूरे जीवन भर सहन करना पड़ता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT घर के वास्तु दोष के निदान हेतु अचूक वास्तु टिप्स  ...
जन्मकुंडली में पितृदोष का प्रभाव
जन्मकुंडली में पितृदोष का प्रभाव

4.    पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति बाहरी रूप से बेशक साधनों से सम्पन्न हो. लेकिन आंतरिक रूप से वह हमेशा दुखी रहता हैं.

विभिन्न प्रकार के पितृदोष (Different Types of Pitridosh)
पितृदोष भी भिन्न – भिन्न प्रकार के होते हैं तथा अलग – अलग पितृदोष के द्वारा ही व्यक्ति को अपने जीवन के अलग – अलग क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं. आपकी कुंडली में कौन सा पितृ दोष हैं. इसका निर्धारण आपकी कुंडली में स्थित विभिन्न ग्रहों की युति के अनुसार होता हैं. जिसकी जानकारी निम्नलिखित हैं -

1.    श्रापित पितृदोष (Shrapit Pitridosh)– यदि आपकी कुंडली के चौथे भाव में, नवमें भाव में तथा दशमें भाव में सूर्य और राहु की युति बन रही हैं. तो आप श्रापित पितृ दोष से पीड़ित हैं.

2.    गुरु – चांडाल योग (Guru – Chandaal Yog) -  जब किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम भाव में राहु और गुरु ग्रह की युति बनी हुई हैं. तो वह व्यक्ति गुरु – चंडाल योग से पीड़ित हैं. गुरु चांडाल योग भी एक प्रकार का पितृ दोष ही हैं. इस दोष के कारण भी व्यक्ति को संतान सुख से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. जिनके बारे में जानकारी नीचे दी गई हैं.
Pitra Dosh ke Lakshan Karan
Pitra Dosh ke Lakshan Karan


·       गुरु चांडाल योग के बनने पर व्यक्ति को संतान की प्राप्ति नहीं होती या उसके बच्चे की जन्म से पहले ही मृत्यु हो जाती हैं.

·       यदि इस दोष से ग्रस्त किसी व्यक्ति को संतान की प्राप्ति  हो भी जाती हैं. तो उस व्यक्ति की संतान नालायक निकल जाती हैं अर्थात उसे संतान से जो सुख प्राप्त होना चाहिए वो सुख उसे नहीं मिल पाता.

3.    यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अष्टमेश राहु के नक्षत्र में हो या राहु अष्टमेश के नक्षत्र में हो तथा लग्नेश कमजोर हो तथा पीड़ित हो तो उस व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में भूत – प्रेत बाधा को भोगना पड़ता हैं.

4.    अगर किसी व्यक्ति का जन्म सूर्य ग्रहण के समय हो तथा सूर्य ग्रहण का प्रभाव उसकी कुंडली के लग्न भाव पर, अष्टम भाव पर या छठे भाव पर हो. तो उस व्यक्ति पर पितृदोष के साथ – साथ अन्य अतृप्त आत्माओं का प्रभाव भी रहता हैं. जिसके कारण उसे निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं.

·       इस योग के बनने पर पीड़ित व्यक्ति के सिर में हमेशा दर्द रहता हैं.

·       वह मिर्गी की बिमारी से भी पीड़ित हो सकता हैं.

·       उसे हिस्टीरिया जैसा गंभीर रोग भी हो सकता हैं.

5.    यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अष्टमेश पंचम भाव में तथा पंचमेश अष्टम भाव में हो, चतुर्थेश षष्ठ भाव में स्थित हो. तो वह व्यक्ति  मातृश्राप से पीड़ित रहता हैं.

6.    अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और राहु के कारण नक्षत्रिय परिवर्तन की युति बन रही हैं तथा यदि उसकी कुंडली में चन्द्रमा अन्य क्रूर ग्रहों के प्रभाव के साथ हो. तो उस व्यक्ति को अपने कुल की अतृप्त आत्माओं के कारण कष्ट भोगने पड़ते हैं.
Pitra dosha ke Vibhinn Prakar
Pitra dosha ke Vibhinn Prakar


7.    शनि ग्रह की सूर्य पर दृष्टि (Saturn’s Vision on the Sun)  - शनि ग्रह को अंधकार का सूचक माना जाता हैं. तो वहीँ सूर्य ग्रह को प्रकाश व ज्ञान के ग्रह के रूप में पहचाना जाता हैं. इन दोनों ग्रहों में से जब किसी व्यक्ति की कुंडली में स्थित शनि ग्रह की सूर्य ग्रह पर दृष्टि पड़ती हैं अर्थात शनि का सूर्य पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता हैं. तो उस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष का योग बनता हैं.  

पितृदोष एक कारण लक्षण और उपाय के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.


Shrapit Pitru dosh
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