शंकराचार्य के द्वारा प्रतिपादित लक्ष्योत्त्मा साधना (Lakshyottma
Sadhna Propounded By Shankracharya)
शंकराचार्य अद्वैत दर्शन के
संस्थापक तथा भारत के महान पुरुष हैं. इन्हें इनके शिष्य आदि गुरु शंकराचार्य
के नाम से सम्बोधित करते हैं. आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन से जुडी हुई अनेक कथाएँ
हैं. जिनकी रचना इनके शिष्यों ने अपने अनुभवों के आधार पर की थी. शंकराचार्य के
जीवन से हुई इन कथाओं में भिन्नता भले ही हैं. लेकिन सभी कथाओं में मूल रूप से यह
स्पष्ट किया गया हैं कि आदि गुरु शंकराचार्य ने समग्र ज्ञान योगियों,
सन्यासियों से तथा यतियों से प्राप्त किया था. ऐसा माना जाता हैं कि जब गुरु
जी ओंकारेश्वर में पहुंचे थे तो उन्हें इस स्थान पर अपने गुरु
गोविन्दपादाचार्य से दीक्षा ग्रहण की थी तथा जब इन्होने सम्पूर्ण दीक्षा प्राप्त
कर ली थी. उसके तुरंत बाद ये अपने जीवन की आगे की यात्रा करने के लिए धन के नाम
पर भिक्षा के लिए एक खाली झोला लेकर निकल पड़े थे. इनका झोला बेशक खाली था.
लेकिन इनके मस्तिष्क में सिद्ध मन्त्रों तथा तंत्रों का ज्ञान भरा हुआ था. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT धन सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए चमत्कारी उपाय ...
Shankracharya Pratipadit Lakshyottma Sadhna |
लक्ष्योत्त्मा साधना की उत्पत्ति (Origin of Lakshyottma Sadhna)
कहा जाता हैं कि जब आदि गुरु
शंकराचार्य अपने जीवन की यात्रा पर निकल पड़े. तो उन्होंने देखा कि समाज की
व्यवस्था असंतुलित और बहुत ही खराब हो गई हैं. जिसके कारण उच्च कोटि के
भारतीय ऋषि मुनि भी भिक्षा मांगने पर आतुर हो गये हैं. भिक्षा से ही उनका
जीवनयापन हो रहा हैं. इस परिस्थिति को देखकर शंकराचार्य को यह एहसास हुआ कि यह एक
ऐसी विकट स्थिति हैं. जिसमें साधु, संत तथा ऋषि - मुनि साधना को बिल्कुल भूल गएँ
हैं. अर्थात साधना का महत्व बहुत ही घट गया हैं, बड़े – बड़े सिद्ध ऋषि अब
अपने कर्मक्षेत्र को छोडकर, साधना को छोड़कर केवल भिक्षा मांगने पर विशेष ध्यान
देने लगे. यह सब देखकर शंकराचार्य को मन ही मन बहुत ही ग्लानी हुई. शंकराचार्य
के शिष्यों के अनुसार गुरु जी चाहते थे कि भारत का कोई भी व्यक्ति भूखा, गरीब,
बीमार, लाचार न हो, न ही वह अज्ञानता से पूर्ण जीवन जिए. शंकराचार्य संसार के
हर पुरुष को श्रेष्ठता पूर्ण जीवन जीते हुए देखना चाहते थे. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गरीबी दूर भगायें और धन कमायें ...
धनवर्षा से जुडी लक्ष्योत्त्मा साधना |
अपने इसी स्वप्न को पूर्ण करने के लिए
तथा समाज की व्यवस्था को सुधारने के लिए अपने अथक परिश्रम के साथ खोजबीन के बाद
कुछ दुर्लभ तथा गोपनीय साधनाओं का प्रतिपादन किया तथा अपनी इन साधनाओं से यह सिद्ध
कर दिखाया कि एक संत साधना का प्रयोग कर एक पूर्ण जीवन जी सकता हैं तथा यदि कोई आम
व्यक्ति भी किसी साधना के मार्ग पर चले तो वह भी आर्थिक रूप से पूर्ण समृद्ध हो
सकता हैं.
लक्ष्योत्त्मा साधना (Lakshyottma Sadhna)
शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित
लक्ष्योत्त्मा साधना से जुडी हुई एक कहानी प्रचलित है कि सर्वप्रथम इस साधना का
प्रयोग शंकराचार्य ने एक ब्राहमणी के घर पर किया. जैसे ही शंकराचार्य ने उस
ब्राह्मणी के घर में यह साधना सिद्ध की. तो उसके घर में धन की वर्षा होने
लगी. जिसे देखकर उस समय के सभी लोग अचंभित रह गये थे.
यदि आप भी दरिद्रता पूर्ण जीवन जी रहे
हैं तो आप अपने जीवन से दूर भगाने के लिए लक्ष्योत्त्मा साधना का प्रयोग कर सकते
हैं. यह साधना धन वर्षा के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता हैं. इस साधना का प्रयोग करने
वाले व्यक्ति को इस साधना का फल बहुत ही जल्द मिल जाता हैं तथा यह साधना बहुत ही
सरल तथा सटीक हैं.
शुभ समय तथा दिन (Good Time And Day) - इस उपाय को करने का सर्वश्रेष्ठ समय रात्रि
का माना जाता हैं. इसलिए इस साधना को आरम्भ रात्रि के समय करें. लक्ष्योत्त्मा
साधना को आप पूर्णिमा के दिन या रविवार के दिन करें.
विधि –
1.
लक्ष्योत्त्मा साधना को
शुरू करने के लिए रात्रि के 10 बजे से पूर्व स्नान कर लें. स्नान करने के
पश्चात सफेद रंग की धोती धारण कर लें और उसके बाद इस साधना को शुरू करें.
इस साधना का विधान 11 दिनों का हैं. इसलिए पूरे 11 दिनों तक निम्नलिखित
विधि के द्वारा इस साधना को पूर्ण करें.
2.
अपने समक्ष एक लकड़ी का
बाजोट लें और उस पर एक लाल रंग का आसन बिछा लें.
3.
अब इस पर एक ताम्र
पात्र पर केसर से श्री अंकित कर लें.
Dhanvarsha se Judi Lakshyottma Sadhna |
4.
इसके बाद लक्ष्योत्त्मा
यंत्र को स्थापित कर लें.
5.
अब इस यंत्र के साथ में बायीं
और एक चावल की ढेरी बना लें और उस पर एक कमलगट्टे की माला स्थापित करें
और पुष्प, अक्षत, कुमकुम का प्रयोग कर इन दोनों की पूजा करें.
6.
इसके पश्चात् एक घी का
दीपक जलाएं और धूप जलाकर निम्नलिखित मन्त्र का जाप कर देवी का ध्यान
करें.
मन्त्र –
अरुणकमलसंस्था तद्रजः पुंजवर्णा,
करकमल ध्रुतेष्टामितिमाम्बुजाता ।
मणिमुकुट विचित्रालंकृता कल्पजालै;
सकल भुवंमाता सततं श्रीः श्रीयै नमः ॥
7.
इस मन्त्र का जाप करने के
बाद एक और मन्त्र की 21 बार कमलगट्टे की माला से जाप करें.
मन्त्र – ॐ श्रीं श्रीं
महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नमः
इस साधना का पूर्ण फल
प्राप्त करने के लिए रोजाना दिन में एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करें तथा
ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें. यदि आप लक्ष्योत्त्मा साधना को पूर्ण
निष्ठा, विश्वास तथा श्रद्धा के साथ पूर्ण प्रमाणिक सामग्री तथा पूर्ण विधि –
विधान से करेंगें तो आपको इस साधना का फल अवश्य प्राप्त होगा.
आदि गुरु शंकराचार्य तथा लक्ष्योत्त्मा साधना के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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