स्वामी विवेकांनद जयंती तथा
युवा दिवस
स्वामी विवेकांनद जयंती हर
वर्ष उनकी याद में मनाई जाती हैं तथा इसी दिन को राष्ट्रिय युवा दिवस के
रूप में भी मनाया जाता हैं. इस दिन को युवा दिवस के रूप में इसीलिए मनाया जाता हैं.
क्योंकि विवेकानंद जी भारत देश के एक सच्चे देशभक्त, महान चिंतक, दार्शनिक विचारों
से परिपूर्ण एक युवा सन्यासी थे तथा इन्हें युवाओं का एक आदर्श व्यक्ति मानते थे.
विवेकानन्द जी युवाओं के
लिए एक आदर्श व्यक्तित्व ऐसे ही नहीं बने. विवेकानंद जी में युवाओं के अन्दर एक नई
ऊर्जा व शक्ति का संचार करने की ताकत थी. इसके अलावा इन्होने कई ऐसे महत्वपूर्ण
कार्य किये हैं. जिनके कारण ये युवा वर्ग के प्रेरणा स्त्रोत बन गये.
स्वामी विवेकानन्द एक
महत्वपूर्ण व्यक्तित्व
1.
स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने सम्पूर्ण जीवन में विभिन्न स्थानों
पर घूम – घूम कर भारत की संस्कृति का तथा धर्म का प्रचार – प्रसार किया.
2.
स्वामी विवेकानन्द जी के
पास अदभुत वाणी थी जिसका प्रयोग उन्होंने उस वक्त किया जब भारत देश पर अंग्रेजों
का आधिपत्य (शासन) था. ऐसे समय में विवेकानंद जी ने अपनी जीवंत वाणी का प्रयोग किया
और देश के लोगों में एक नई चेतना का प्रसार किया. उन्हें अंगेजों के विरुद्ध खड़े होने के लिए
प्रेरित किया या हम यह कह सकते हैं कि एक तरह से विवेकानंद जी ने सोई हुई भारत की
जनता में एक नई उमंग का प्रसार किया. जिसके कारण ही भारत देश स्वतन्त्र हो पाया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गुरु गोबिंद सिंह जयंती ...
Swami Vivekanand Jyanti ya Yuva Divas |
3.
युवा देश की शक्ति - विवेकानंद जी का मानना था कि देश का युवा वर्ग देश का भविष्य
हैं. युवाओं के हाथ में देश को उन्नति की राह पर ले जाने की शक्ति होती हैं. बस
जरूरत हैं तो उन्हें जगाने कि तथा उनमे एक नई उमंग प्रसारित करने कि जिससे उन्हें
अपने कर्तव्यों का तथा जिम्म्मेदारियों का अहसास हो जाये.
विवेकनद जी के विचारों में
ऐसी ही एक क्रांति थी, तेज था. जिससे वो युवाओं के विचारों में एक सकारात्मक चेतना
भर देते थे.
विश्व धर्म सम्मेलन
“शिकागो” में विवेकानंद जी का योगदान
11 सितम्बर 1883 को
अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन में
विश्व के प्रसिद्ध देश के अनेक धर्मों का पालन करने वाले बुद्धिजीवी एकत्रित हुए थे.
इस सम्मेलन में भारत से विवेकानंद जी गये थे. विवेकानन्द जी भारत देश के पहले
नागरिक थे. जिन्होंने विदेश में जाकर अपनी संस्कृति, दर्शन का प्रचार हिंदी भाषा
में किया. विवेकानंद जी ने अपने भाषण की शुरुआत भाइयों एवं बहनों शब्दों से
की ही थी कि उस सम्मेलन में तालियों की गड़गड़ाहट होने लगी.
इस सम्मेलन में
विवेकानंद जी ने भारतीय धर्म, दर्शन पर अपने विचार इस प्रकार प्रकट किये तथा
प्रचार किया कि विदेश में आज भी उनकों याद किया जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गुरु नानक जयंती ...
विवेकनन्द जी के कुछ
अमूल्य वचन
1.
“ उठो, जागो और तब तक मत रुकों
जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाओ. ”
2.
“अनुभव ही शिक्षक हैं.” विवेकनद जी के
अनुसार अनुभव ही एक शिक्षक हैं. इसलिए जब तक मनुष्य जीता हैं उसे अपने अनुभवों को
शिक्षक समझ कर उनसे शिक्षा लेते रहना चाहिए.
3. विवेकान्द जी के अनुसार “ज्ञान स्वयं में वर्तमान हैं मनुष्य केवल उसका अविष्कार करता हैं.”
4.
“ मानव देह ही सर्वश्रेष्ठ
देह हैं ” अर्थात संसार में मनुष्य
ही सर्वोच्च प्राणी हैं.
5.
“ किसी की निंदा न करें. ” अर्थात हमें किसी की कभी निंदा या बुराई नहीं करनी चाहिए. यदि हम अपने हाथ
किसी की सहायता करने के लिए बढ़ा सकते हैं तो अवश्य बढ़ाने चाहिए.
6.
हम जितना बाहर जायेंगे तथा
दूसरों का भला करेंगें उतना ही हमारा ह्रदय शुद्ध होगा तथा उसमें परमात्मा बसेंगे.
स्वामी
विवेकानंद जी के बारे में या युवा दिवस के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत
नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Swami Vivekanand Jyanti |
Swami Vivekanand
Jyanti ya Yuva Divas, स्वामी विवेकानंद जयंती या
युवा दिवस, Yuva Divas, Swami
Vivekanand Jyanti, Vivekanand Ji ke Amulya Vachan, Shikago Sammelan Mein
Vivekanand Ji ka Yogdan, Extraordinary Personality
YOU MAY ALSO LIKE
- सुपर कार खरीदने के लिए समर्थ कैसे हों
No comments:
Post a Comment