कृष्ण जन्म की कथा (Story of Krishna Birth)
शास्त्रों के अनुसार कृष्ण
जी की माँ देवकी तथा उनके पिता का विवाह होने के बाद कंस देवकी का भाई अपनी बहन को
उसके ससुराल छोड़ने के लिए जा रहा था. तभी राह में बादल गरजने लगे, तेज हवाएं चलने
लगी और आकाश से एक भविष्यवाणी हुई कि कंस की मृत्यु देवकी के संतान के हाथों से
होगी. उस दिन से ही कंस जो की बहुत ही अत्याचारी था. उसने देवकी तथा वासुदेव को
अपने महल के कारागार में बंद कर दिया तथा जब भी देवकी को कोई संतान होती वह उसे
मार देता था. लेकिन कृष्ण का जन्म होने पर वह उन्हें नहीं मार पाया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT कृष्ण जन्माष्टमी ...
Krishan Janm Katha |
कहा जाता हैं कि जब कृष्ण
का जन्म हुआ तो वासुदेव तथा देवकी के पैरों की बेड़ियाँ अपने – आप खुल गई और कंस के
महल के दरवाजे भी खुल गये तथा बंदीगृह के पहरेदार गहरी निंद्रा में सो गये. इस समय
में वासुदेव अपनी इस संतान को बचाने के लिए घनघोर अँधेरे में, भारी वर्षा में किसी
तरह यमुना को पार करते हुए अपने मित्र नन्द के घर गये और कृष्ण जी को यशोदा के पास
लेटाकर उनकी कन्या को अपने साथ लेकर वापिस कंस के बंदीगृह में आ गये. अगले दिन जब
कंस की आंख खुली तो उसे एक और संतान होने की खबर मिली. उसने इसे भी मारने का
प्रयास किया और इस कन्या को जमीन में पटक दिया. लेकिन इस बार वह इस कन्या को मरने
में असफल हुआ. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT गणेश चतुर्थी ...
श्री कृष्ण जन्म कथा |
कृष्ण ने बाल्यकाल में ही
विभिन्न चमत्कार दिखने शुरू कर दिए थे और कंस के द्वारा भेजे गये कई दैत्यों को भी
मारकर भगा दिया तथा अंत में कंस का वधकर दिया.
जन्माष्टमी की पूजा तथा
व्रत (Janmashtami Worship And
Fast)
कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव
बहुत ही विशेष होता हैं. इस दिन बच्चे – बड़े स्त्री सभी व्रत रखते हैं. यदि इस
व्रत को पूरे विधि – विधान से किया जाए तो इस विशेष दिन का विशेष फल आपको प्राप्त
हो सकता हैं. कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा तथा व्रत की विधि का वर्णन नीचे किया गया
हैं -
1.
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन
जल्दी उठ जाएँ. अपने दैनिक कार्य समाप्त कर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर
लें.
श्री कृष्णा जन्माष्टमी
|
2.
इसके बाद एक तांबे का लोटा
लें और उसमें फूल, अक्षत तथा फल डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें और सभी देवताओं
का आवाहन करें.
3.
सूर्य देव को अर्घ्य देने
के बाद संकल्प लें कि “मैं कृष्णजन्माष्टमी व्रत कुछ विशेष फल आदि तथा अपने पापों
से मुक्ति पाने के लिए करूँगा.”
4.
संकल्प लेने के पश्चात्
देवकी के पुत्र जन्म के लिए घर के मंदिर के पास एक प्रसूति – ग्रह का निर्माण
करें.
5.
पूरे दिन किसी भी प्रकार के
अन्न – जल को ग्रहण न करें तथा रात्रि को मंदिर में कृष्ण जी के दर्शन करने जाएँ.
6.
कृष्ण जी का जन्म रात्रि को
12 बजे हुआ था. इसलिए रात को बारह बजे कृष्ण जी का जन्म करायें.
7.
इसके बाद कृष्ण जी की
प्रतिमा का दूध, घी, गंगाजल, शहद आदि से अभिषेक करें.
Janmashtami ki Pooja |
8.
इसके बाद कृष्ण जी को खीरे,
पंजीरी, माखन – मिश्री का भोग चढाएं और कृष्ण जी की आरती करें.
9.
आरती करने के बाद एक तांबे
के लोटे में जल, पुष्प तथा अक्षत डालें और चन्द्रमा को जल चढाएं.
10.
जल चढाने के बाद सबसे पहले
कृष्ण जी को चढाएं गये भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें तथा इसके बाद व्रत में
सेवन किये जाने वाले व्यंजन खांए.
कृष्ण
जन्माष्टमी तथा अन्य धार्मिक त्यौहारों के बारे में जानने के लिए आप तुरंत नीचे
कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
Janmashtami ka Vrat |
Shree Krishan Janm
Katha or Poojan Vidhi, श्री कृष्ण जन्म कथा और
पूजन विधि, Shree Krishna Birth
Story, Krishnjnmashtmi ki Kahani, Janmashtami ka Vrat, Janmashtami
ki Pooja, Shree Krishan Janmashtami, श्री कृष्णा
जन्माष्टमी
YOU MAY ALSO LIKE
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
No comments:
Post a Comment