अज़ान की शुरुआत :
ऐसा कहा जाता है कि अज़ान को सबसे पहले रसूलुल्लाह (
Rasoolullah ) जी ने
हज़रत हुसैन रादिअल्लाह ताला अन्हु के जन्म पर उनके कानों में कहा था. साथ ही
उन्होंने अपनी पवित्र लार को भी उनके मुंह में डाला था और उनके लिए दुआ की थी. तभी
से इस समुदाय के लोग हर नवजात शिशु के जन्म पर उसके कान में अज़ान पढ़ते है.
नवजात शिशु को अज़ान का महत्व :
इस समुदाय के लोग मानते है कि जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके दुनिया
में आने की ख़ुशी में उसे अल्लाह के ज़िक्र को सुनाने से उसपर अल्लाह का आशीर्वाद और
कृपा हमेशा बनी रहती है. इसलिए परिवार के किसी पुरुष सदस्य के द्वारा उसके दायें
कान में अज़ान और बायें कान में तकबीर ( Iqamah ) सुनाया जाता है. ये काम उसके जन्म के
तुरंत बाद कर दिया जाता है. CLICK HERE TO KNOW HOW TO DO PRAY ...
Navjaat Shishu ko Azan Kaise Den |
नोट : अगर घर में पुरुष नही है तो घर की बड़ी महिला या कोई प्रियजन भी इस
रिवाज को निभा सकता है. किन्तु अगर घर का पुरुष ये सुनाये तो इसे बहुत अच्छा माना
जाता है.
मुख्य बाते :
-
अज़ान सुनते वक़्त सुनाने वाले का मुंह किबला (
Qibla ) की
तरफ होना चाहियें. किबला एक दिशा है जो की मक्का के काबा की तरफ होती है. इस समुदाय के
लोग ईश्वर से प्रार्थना करते वक़्त भी इसी दिशा की तरफ मुंह करके बैठते है.
-
बच्चे को अपने पास इस तरह लेटना चाहियें जिससे
उसका दायाँ कान आपके चेहरे की तरफ हो.
-
अज़ान सुनाने वाला व्यक्ति आजान को धीरे से उसके
कानों में प्रार्थना की तरह पढ़ें.
-
इसके बाद बच्चे के बायें कान को अपनी तरफ करें और
उसके कान में तकबीर ( Iqamah ) पढ़ें.
नवजात शिशु को अज़ान कैसे दें |
बच्चे को अज़ान देने का सही तरीका :
स्टेप 1 : बच्चे को अज़ान देने से पहले व्यक्ति को खुद को
पवित्र करना होता है ताकि वो सच्चे और शुद्ध तन मन से परमेश्वर को याद और पुकार
सके. इसके लिए उसे अपने चेहरे, हाथों, पैर, माथे, कोहनियों और नाक को अच्छी तरह से
साफ़ करना चाहियें.
स्टेप 2 : उसके बाद उस अज़ान सुनाने वाले व्यक्ति को किबला
की तरफ मुंह करके बैठ जाना चाहियें और परमेश्वर को याद करना चाहियें. साथ ही उसे
कुछ देर शांत रहकर अपनी एकाग्रता बनानी चाहियें और ये सोचना चाहियें कि वो कितने
खास काम को करने जा रहा है, इस काम का क्या मतलब है, ये कार्य उसके लिए क्या महत्व
रखता है साथ ही उसे ईश्वर पर अपना विश्वास बनाये रखना चाहियें.
स्टेप 3 : इसके बाद व्यक्ति को बच्चे को लेकर, उसके दाये
कान को अपनी तरफ करके लिटा लेना चाहियें और अपने कान पर ऊँगली रखते हुए अज़ान अदा
करनी चाहियें.
How to Azan for New Born Baby |
1.
Allahu Akbar ( 4 बार बोलें ) : हे अल्लाह, आप सबसे महान, कृपालु और दया
के सागर है. आपसे ऊँचा कोई नही.
2.
Ashhadu an la ilaha illallah ( 2 बार बोलें ) : हे ईश्वर, हर जगह आप
ही है, सब कुछ आपका ही है और आप ही सब कुछ है. आपके सिवा कुछ भी नही.
3.
Ash hadu anna Muhammadan rasul allah ( 2 bar
bolen ) : हे अल्लाह, मै
इस बात को स्वीकार करता हूँ कि मुहम्मद आपका दूत है.
4.
Hayya Ala al – salah ( 2 बार बोलें ) : हे ईश्वर मै आपकी शरण में हूँ आप मेरी
प्रार्थना को स्वीकार करें.
5.
Hayya Ala al – falah ( 2 बार बोलें ) : हमे सद्बुद्धि और कामयाबी दें और भाईचारे
की राह पर चलायें.
6.
Assalatu khayru min an – naum ( 2 बार बोलें ) : सोने से अच्छा है कि
हम आपकी प्रार्थना करें. ये लाइन केवल फज्र ( Fajr ) के वक़्त ही बोली जाती है, साथ ही अगर आप
सुन्नी ( Sunni ) है तो ही इसका इस्तेमाल करें.
अज़ान और इकामत |
Hayya – al Khair al amal ( 2 बार बोलें ) : हम अच्छाई, अच्छी बात और अच्छे कार्यों को तरफ
शीघ्र ही आगे बढ़ें. इस लाइन का इस्तेमाल शिया ( Shia ) करते है.
7.
Allahu Akbar ( 2 बार बोलें ) : अल्लाह आप सबसे महान
है.
8.
La ilaha illallah (1 बार बोलें ) : आपके अलावा कोई अन्य ईश्वर नही है.
स्टेप 4 : अज़ान अदा करने के बाद व्यक्ति बच्चे को उसके
बायें कान को अपनी तरफ करके उसे लिटा लें और उसके बाएँ कान में इकामा या तकबीर अदा
करें. इसे प्रार्थना की अंतिम पुकारा कहा जा सकता है. इकामा को आजान से धीमी आवाज
में बोलना चाहियें.
किसी भी समुदाय के नवजात शिशु के जन्म से जुड़े रीति रिवाजों और
प्रथाओं को निभाने के तरीको को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी
हासिल कर सकते हो.
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