कालसर्प दोष के प्रकार तथा
वासुकी कालसर्प दोष
कालसर्प दोष का योग
जब किसी व्यक्ति की कुंडली
के लग्न भाव में राहु ग्रह स्थित हो, सप्तम भाव में केतु स्थित हो तथा शेष ग्रह इन
दोनों ग्रहों के एक ओर स्थित हो तो कालसर्प दोष का योग बनता हैं.
ऐसे ही अगर किसी की कुंडली
के तीसरे भाव में राहु तथा नवमें भाव में केतु विराजमान हो तो कालसर्प दोष का दुसरा
योग बनता हैं. इसी प्रकार यदि राहु ग्रह चतुर्थ, पंचम, छठे, सप्तम, अष्टम, नवमें,
दशमें, ग्यारहवें, तथा बारहवें भाव में स्थित हो तथा इसके अनुरूप ही केतु ग्रह
नवमें, दशमें, एकादश, बारहवें, लग्न, दुसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें तथा छठे भाव में
स्थित हो और शेष ग्रहों की स्थिति इनके इर्द – गिर्द हो तो भिन्न – भिन्न प्रकार
के कालसर्प दोष के योग बनते हैं. कुल मिलाकर 144 प्रकार के कालसर्प दोष के योग
बनते हैं.
जिस प्रकार राशिफल जानने के
लिए बारह प्रकार की मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु,
मकर, कुम्भ तथा मीन राशियां होती हैं और कुंडली में बारह प्रकार के ही भाव होते
हैं. जैसे – लग्न, धन, पराक्रम, सुख, संतान, रोग, गृहस्थ, आयु, भाग्य, कर्म, लाभ
तथा व्यय भाव होते हैं. उसी प्रकार कालसर्प दोष के योग के मुख्य 12 प्रकार होते
हैं. कालसर्प दोष के बनने पर मनुष्य को इन बारह योगों के अलग – अलग परिणामों
का सामना करना पड़ता हैं. आज हम आपको कालसर्प योग के इन बारह प्रकारों में से पहले
योग वासुकी कालसर्प दोष के बारे में तथा उसके परिणामों के बारे में बतायेंगे. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POST ...
Kaalsarp Dosh ke Prakar Or Vaasuki Kaalsarp Dosh |
वासुकी कालसर्प दोष – जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु तीसरे भाव में
अर्थात पुरुषार्थ में स्थित हो, केतु की स्थिति नवमें भाव अर्थात भाग्य भाव में हो
तथा शेष ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में स्थित हो तो “वासुकी कालसर्प दोष” के योग
का निर्माण होता हैं. इस योग के बनने पर व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का
सामना करना पड़ता हैं. जिनका वर्णन निम्नलिखित किया हैं –
वासुकी कालसर्प दोष के
परिणाम –
1.
कुंडली में इस योग के बनने
पर व्यक्ति को अपने ही परिवार से सम्बन्धित परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं तथा
घर के सदस्यों के द्वारा लगातार अपमान सहना पड़ता हैं.
2.
इस योग से पीड़ित व्यक्ति के
गृहस्थ जीवन में उतार – चढाव चलता रहता हैं. इसके अलावा इस योग के बनने पर पति –
पत्नी में लगातार झगडा, तनाव, कलह – क्लेश होने की स्थिति बनी रहती हैं.
3.
वासुकी कालसर्प दोष के होने
पर व्यक्ति का भाग्य उसका अधिक साथ नहीं देता तथा उसके हर कार्य में समस्या
उत्पन्न होती रहती हैं.
4.
इस योग से पीड़ित व्यक्ति की
धर्म, पूजा – पाठ आदि में रूचि कम होती हैं तथा उम्र के एक विशेष स्तर पर पहुंच कर
इनमें नास्तिक भावना उजागर होने लगती हैं.
5.
इस योग से पीड़ित व्यक्ति को
नौकरी या स्वयं के व्यापर में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं तथा इनके उन्नति
के रास्ते में हमेशा कोई न कोई बाधा उत्पन्न होती रहती हैं. नौकरी करने वाले
व्यक्तियों के मन में हमेशा नौकरी को खोने की या नौकरी से निकाल दिए जाने की शंका
रहती हैं.
वासुकी कालसर्प दोष के योग
को शांत करने के उपाय –
1.
वासुकी कालसर्प दोष से
पीड़ित व्यक्ति को इस दोष से मुक्ति पाने के लिए कृष्ण जी की साधना करनी चाहिए.
कृष्ण जी पूजा – अराधना करने से इस दोष से पीड़ित व्यक्ति पर इसके अशुभ प्रभावों का
असर कम पड़ता हैं.
2.
श्रावण मास में शिवजी की
पूजा करके भी इस दोष के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता हैं. इस उपाय को करने के लिए
श्रावण मास के शुरू होने पर रोजाना स्नान करने के बाद शिवजी के मंदिर में जाएँ तथा
निम्नलिखित मन्त्र की 11 माला का जाप करें. जाप करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र,
गाय का दूध मिला हुआ गंगाजल चढाएं तथा प्रत्येक सोमवार को शिवजी की उपासना करें और
व्रत करें. इस उपाय को करने से आपको इस दोष के अशांत प्रभावों से जल्द ही मुक्ति
मिल जायेगी.
मन्त्र - ऊँ नम: शिवाय
3.
इस दोष से मुक्ति पाने के
लिए व्यक्ति नव नाग स्त्रोत का पाठ भी कर सकता हैं. एक साल तक रोजाना नव नाग के
स्त्रोत का पाठ करने के बाद व्यक्ति को इस दोष के कारण होने वाली समस्याओं का भी
सामना नहीं करना पड़ता. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POST ...
कालसर्प दोष के प्रकार और वासुकी कालसर्प दोष |
4.
वासुकी कालसर्प दोष के
अशांत प्रभावों से बचने के लिए कुछ चीजों का प्रयोग कर आप इस उपाय को भी कर सकते
हैं. इस दोष के प्रभावों से बचने के लिए प्रत्येक हफ्ते में आने वाले बुधवार को एक
काला कपडा लें और उसमें एक मुट्ठी मूंग की डाल तथा उड़द की डाल डाल दें. अब राहु
ग्रह को शांत करने के लिए राहु के मन्त्र का जाप करें और इस कपडे को बांध कर
भिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्ति को दे दें. अगर आपको कोई भिक्षा ग्रहण करने वाला
व्यक्ति नहीं मिलता तो इस कपडे में बंधी दाल को खोलकर पानी में प्रवाहित कर दें.
लगातार 72 बुधवार को यदि आप इस उपाय को करंगें तो आपको इस दोष के अशुभ प्रभावों से
अवश्य मुक्ति मिल जायेगी.
5.
महामृत्युंजय मन्त्रों का
जाप करके भी आप इस दोष से छुटकारा पा सकते हैं. इसके लिए रोजाना इस मन्त्र का 11
बार जाप करें. इसके अलावा यदि आपकी कुंडली में राहु ग्रह की या केतु की महादशा चल
रही हो तो इन ग्रहों को शांत करने के लिए शनि देवता का शनिवार के दिन तेल से
अभिषेक करें तथा मंगलवार के दिन हनुमान जी को चौला चढाएं. इस दोनों उपायों को करने
से ये दोनों ग्रह शांत हो जायेंगे. जिससे वासुकी कालसर्प दोष का भी आप पर कम
प्रभाव होगा.
6.
इस योग से मुक्त होने के
लिए आप इस उपाय को भी कर सकते हैं. इसके लिए शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से व्रत
आरम्भ करें तथा काले रंग के वस्त्र धारण कर लें और 18 या तीन माला राहु के बीज मन्त्र
का जाप करें. अब एक बर्तन लें और उसमें जल, दूब तथा कुशा डालकर इस जल को पीपल के
पेड़ की जड में चढ़ा दें. प्रसाद के लिए मीठा चूरमा, मीठी रोटी या कोई मीठा पदार्थ
लें और उसको पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें और स्वयं भी इसका सेवन करें. रात होने पर एक
शुद्ध घी का दीपक जलाएं और उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दें. इस उपाय को करने से इस
दोष के कारण होने वाली सभी समयों से आपको मुक्ति मिल जायेगी.
काल
सर्प दोष के प्रकार तथा वासुकी कालसर्प दोष से मुक्त होने के अन्य उपायों को जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
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