होलिका दहन (छोटी होली) (Holika Dahan Or Chhoti
Holi)
होली भारत का प्रमुख त्यौहार हैं. होली से पहला दिन होलिका दहन या छोटी होली
कहलाता हैं. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता हैं.
प्रतिवर्ष होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं.
होलिका का अर्थ (Meaning of Holika) – होलिका शब्द की उत्पत्ति होलका से हुई हैं. संस्कृत भाषा
में इस शब्द का अर्थ भुना हुआ अन्न या अनाज माना जाता हैं.
होलिका दहन की कथा (Story of Holika Dahan) – भारत में वर्षों पूर्व
हिरण्यकश्यप नामक एक राजा था. जो ईश्वर में बिल्कुल विश्वास नहीं करता था तथा अपनी
प्रजा को किसी भी भगवान की पूजा करने से रोकता था. हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था.
जिसका नाम प्रहलाद था. वह भगवान श्री विष्णु जी का परम भक्त था. हिरण्यकश्यप के
बार – बार मना करने के बाद भी प्रहलाद ने ईश्वर की भक्ति करनी नहीं छोड़ी. जिसके
परिणामस्वरूप हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को दंड देने के लिए अपनी बहन होलिका की
गोद में इन्हें अग्नि में बैठा दिया. होलिका को ईश्वर से वरदान मिला था कि वह
अग्नि से नहीं जलेगी. लेकिन जब होलिका प्रहलाद को अग्नि में लेकर बैठी तो वह जल गई
और कृष्ण भक्त प्रहलाद बच गए. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT धन तेरस का महत्तव और पूजन विधि ...
Holika Dahan |
उस दिन के बाद से ही प्रतिवर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन के
दिन को मनाया जाता हैं.
होलिका दहन की पूजा (Pooja of Holika Dahan)
होलिका दहन की पूजा शहर एवं गाँव दोनों ही जगहों पर की जाती हैं. इस दिन की
तैयारी 40 दिन पहले ही इन दोनों स्थानों पर व्यक्ति करने लग जाते हैं. होलिका दहन
के लिए लोग गाँव तथा शहर के खुले मैदान में पेड़ की टहनी, पत्ते, उपले इकट्ठे करना
शुरू कर देते हैं.
पूजा विधि - होलिका दहन के दिन सुबह नहा कर सभी व्यक्ति जल, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा
सूत या धागा, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि पूजन सामग्री को
एकत्रित कर होलिका की पूजा करने के के लिए जाते हैं. होलिका को पूजने के लिए
व्यक्ति सूत को होलिका के चारों ओर लपेट देते हैं और तीन या सात बार होलिका की
परिक्रमा करते हैं. इसके बाद पूजा की सभी सामग्री एक – एक कर होलिका को अर्पित कर
देते हैं तथा इसके बाद सूर्य देवता की ओर मुख करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
होलिका की पूजा करने के बाद शाम को सभी व्यक्ति एकत्रित होकर होलिका जलाते हैं
और उसमें नई फसल जैसे - कच्चे आम, धान, गेहूं, नारियल, मूंग, मसूर तथा जौ आदि की
आहुति देते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT महापर्व मकर संक्रांति ...
होलिका दहन और छोटी होली |
इस दिन घरों में गोबर व खिलोनों का इस्तेमाल करके चार मालाएं बनाई जाती हैं.
ये चार मालाएं चार देवताओं का नाम लेकर बनाई जाती हैं और इन्हें साल भर अपने घर
में सम्भालकर रखा जाता हैं.
होलिका दहन के बाद महिलायें होली के गीत गाती हैं और सभी अपने घर के बड़े – बुजुर्गों के चरण स्पर्श करते हैं. होलिका दहन की राख को बहुत ही पवित्र माना जाता हैं. इसलिए होलिका दहन की राख को लोग अपने घर पर लाते हैं और उसे अगले दिन सुबह अपने शरीर पर लगाकर स्नान करते हैं. तो कुछ लोग इसका तिलक अपने माथे पर लगाते हैं. ऐसा माना जाता हैं कि होलिका दहन की राख को शरीर पर लगाने से व्यक्ति का शरीर पवित्र हो जाता हैं और उसके अंदर की सारी बुराइयाँ खत्म हो जाती हैं.
होलिका दहन या छोटी होली के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
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