गांधी जयंती (Gandhi Jaynti)
महात्मा गाँधी को भारत के राष्ट्रपिता के नाम से जाना जाता हैं. इनका
पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. इन्हें राष्ट्रिय आन्दोलन के प्रमुख
नेता के रूप में जाना जाता हैं. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को
गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिता का नाम करमचंद
गांधी था तथा इनकी माता का नाम पुतलीबाई था. इनका विवाह मात्र
तेरह वर्ष की आयु में जब ये स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब हो गया था. इनकी पत्नी
का नाम कस्तूरबा गांधी था. महात्मा गांधी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गुजरात
के स्कूल से प्राप्त की थी तथा मैट्रिक की परीक्षा “बम्बई यूनिवर्सिटी से पास की थी. इसके बाद गाँधी जी बैरिस्टर की
शिक्षा प्राप्त करने के लिए लन्दन गये और वहाँ से उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री
हासिल की.
एक आंदोलनकारी के रूप में गांधीजी (Gandhi ji As A Agitator)
गाँधी जी के द्वारा सबसे पहला सत्याग्रह बिहार के चम्पारण नामक स्थान
पर किया गया था. इस स्थान पर सत्याग्रह करने के बाद ही गांधीजी का उदय भारत के एक
राष्ट्रिय आंदोलनकारी के रूप में हुआ था. जब गांधीजी अपनी यात्रा समाप्त कर दक्षिण
अफ्रीका से वापिस भारत आये थे. तो उस वक्त चम्पारण के किसान ब्रिटिश अधिकारीयों के
द्वारा जबरन नील की खेती करवाने से परेशान थे. जिसके कारण किसान अपने जीवनयापन
करने के लिए भी अनाज नहीं उगा पाते थे और नील की खेती करने के कारण उनके खेत की
मिटटी भी बंजर हो जाती थी. यदि कोई किसान अंग्रेजों का विरोध करने का प्रयास करता
तो अंग्रेज नील न उगाने और विरोध करने पर उसके द्वारा दिए जाने वाले लगान की कीमत
बढ़ा देते थे. ऐसे समय में चम्पारण के लोगों को एक ऐसे नेतृत्वकर्ता की आवश्यकता थी
जो कानून की समझ रखता हो और उन्हें ब्रिटिश साकार के अत्याचारों से मुक्त करा सके.
गांधी जी जब दक्षिण अफ्रीका से वापिस लौटे तो उन्हें चम्पारण के किसानों की समस्या
की जानकारी मिली और उन्होंने किसानों को ब्रिटिश अधिकारीयों के जबरन नील की खेती
करवाने पर रोक लगाने की थान ली. जिसके लिए उन्होंने किसानों के साथ मिलकर
सत्याग्रह किया. गांधी जी ने इस सत्याग्रह में किसानों को उनके अधिकारों से अवगत
कराया और उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए विरोध करने के लिए भी जागरूक
किया. गाँधी जी के द्वारा सत्याग्रह करने पर पूरी ब्रिटिश सरकार परेशान हो गई और
उन्होंने गाँधी जी को चम्पारण छोड़कर जाने का आदेश भी दिया. लेकिन गाँधी जी ने हार
नहीं मानी और आख़िरकार किसानों को ब्रिटिश सरकार से उनकी जमीन वापिस दिला दी और
उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार अनाज की खेती करने का अधिकार दिलवाया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT भीमराव अम्बेडकर जयंती ...
Happy Gandhi Jaynti |
1919 का रोल्ट एक्ट (1919 Rolt Act)
सन 1919 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा काला कानून के नाम से रोल्ट
एक्ट पारित किया गया. जिसमें निर्दोष व्यक्तियों को भी नजरबंद कर दिया गया था.
इस एक्ट के पास होने पर पूरे भारत के लोगों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोश भरा
हुआ था. गांधी जी ने इस एक्ट का विरोध ब्रिटिश शासन के द्वारा उत्पादित वस्तुओं का
बहिष्कार करके किया. रोल्ट एक्ट का विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग
आन्दोलन शुरू किया. इस आन्दोलन में उन्होंने लोगों को विदेशी वस्तुओं का
प्रयोग न करने पर तथा हिन्दुस्तानी वस्तुओं जैसे – खादी तथा हाथ से बनी चीजों का
प्रयोग करने पर बल दिया. इस बिल के पास होने पर भारत की जनता ने भी गांधी जी का
भरपूर साथ दिया और लोगों ने सरकारी कार्यालयों में, स्कूलों में न जाकर पूरे भारत
में हड़ताल कर दी और गांधी का समर्थन दिया. गाँधी जी तथा भारत की जनता के द्वारा
किये गयी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कुछ ही दिनों में रोल्ट एक्ट वापिस ले लिया.
नमक कानून (Salt Law)
ब्रिटिश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को परेशान करने के लिए नमक की
कीमते बढ़ा दी थी तथा लोगों के द्वारा नमक का उत्पादन करने पर भी रोक लागा दी.
जिसका विरोध गाँधी जी ने 22 मार्च 1930 में 78 लोगों के साथ 241 मील की दांडी
यात्रा आरम्भ करके की थी. गाँधी जी ने इस यात्रा की समाप्ति 6 अप्रैल 1930 को
एक मुट्ठी नमक उठाकर नमक कानून को तोडकार हुई थी. गांधी जी के नमक कानून को तोड़ने
के बाद सभी लोगों ने नमक कानून को भंग किया. जिस पर ब्रिटिश सरकार नमक पर से
क़ानूनी अधिकार हटाने के लिए मजबूर हो गई और नमक को सार्वजानिक रूप से प्रयोग करने
की छुट दे दी. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT स्वामी विवेकानंद जयंती ...
गांधी जयंती की शुभकामनाएं |
इसी प्रकार गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नेतृत्व भी किया था. गांधी जी पहले ऐसे व्यक्ति थे. जिन्होंने नवम्बर 1930 को लन्दन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए थे. इसके साथ ही गाँधी जी ने भारत छोड़ों आन्दोलन का भी नेतृत्व किया था. 5 मार्च 1931 में गाँधी जी तथा ब्रिटिश अधिकारी के बीच भारत में शांति पूर्ण माहौल बनाने के लिए गाँधी – इरविन समझौता हुआ था.
गांधी जी के आदर्श (Ideal of Gandhi ji)
1. अहिंसा - गाँधी जी ने कई
सत्याग्रहों का तथा आंदोलनों का नेतृत्व किया. जिनमें वो हमेशा लोगों को अहिंसा के
मार्ग पर चलकर विजय हासिल करने के लिए प्रेरित कारते थे. गांन्धी जी हिंसा के पक्ष
में कभी खड़े नहीं हुए. इसलिए 13 अप्रैल 1919 में उन्होंने जलियावाला बाग
की भीषण घटना के विरोद्ध में भारतियों के द्वारा चौरी – चौरा नामक स्थानं
पर हिंसक प्रतिक्रिया देने पर सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापिस ले लिया
और लगातार पांच दिनों तक उपवास किया.
Gandhi Jaynti |
2. त्याग – गांधी जी हमेशा त्याग और
समर्पण की भावना को सर्वोपरी मानते थे. गांधी जी ने अपना जीवन जैन धर्म के 24
वें तीर्थकर भगवान महावीर के उपदेशों का अनुसरण करते हुए व्यतीत किया था. वो
भगवान महावीर की भांति सादा जीवन व्यतीत करते थे.
3. सत्य की राह – गांधी जी हमेशा सत्य बोलने
पर बल देते थे तथा अपने शिष्यों को भी सत्य बोलने की सिख देते थे. उन्होंने सत्य
को ही आधार बनाकर सत्याग्रह की नीव राखी थी. गांधी ने अपने जीवन में कई मुसीबतों
का सामना किया. लेकिन कभी सत्य के पथ को नहीं छोड़ा.
4. धर्म – गांधी जी सभी धर्मों को
एक समान मानते थे तथा सभी धर्मों का सम्मान करते थे और उनके प्रति अपनी आस्था
प्रकट करते थे.
5. शाकाहारी जीवन – गांधी जी हमेशा शाकाहारी
भोजन करते थे तथा दूसरों को भी शाकाहारी भोजन करने की शिक्षा देते थे.
गांधी जयंती कैसे मनाई जाती हैं
30 जनवरी 1948 के दिन गांधी जी की मृत्यु होने के पश्चात् 2
अक्टूबर गांधी जी के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष भारत के राष्ट्रपिता जिन्हें
प्यार से बापू के नाम से भी सम्बोधित किया जाता हैं. उनकी जयंती मनाई जाती
हैं. गांधी जी की समाधि नई दिल्ली में स्थित राजघाट पर हैं. प्रतिवर्ष इनकी
जयंती पर यहाँ प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्री आते हैं और इनके त्याग और समर्पण को
याद कर के इनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करती थे. गांधी जयंती के अवसर पर पूरे
भारत के सरकारी कार्यालयों, स्कूलों तथा कॉलेजों में अवकाश होता हैं. स्कूलों में
गांधी जयंती से एक दिन पहले विद्यार्थियों को गांधी जी के द्वारा देश के लिए किये
गये त्याग के बारे में बताया जाता हैं तथा उनसे गांधी जी के जीवन पर निबंध लिखवाया
जाता हैं.
गांधी जयंती तथा भारत के अन्य महापुरुषों की जयंती के बारे में जानने के लिए आप नीचे केमेंट करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
गांधी जयंती |
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