गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)
गणेश चतुर्थी का उत्सव विघ्नहर्ता गणेश जी के जन्म होने के उपलक्ष्य में मनाया
जाता हैं. गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था.
इसलिए प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार बड़े ही उत्साह से माना जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT महाशिवरात्रि की पूजा ...
Ganesh Chaturthi |
गणेश चतुर्थी की कथा (Story of Ganesh Chaturthi) – शास्त्रों के अनुसार एक
बार माता पार्वती स्नान करने से पहले अपने शरीर के मैल से एक बालक की प्रतिमा
बनाकर उससे जीवन प्रदान किया. इस बालक का नाम पार्वती ने “ गणेश ” रखा था. अपने
मैल से प्रतिमा बनाकर उसे जीवन प्रदान करने के बाद पार्वती ने उसे द्वारपाल बनाकर
बाहर खड़ा कर आदेश दिया कि “ जब तक मै अन्दर स्नान कर रहीं हूँ. तब तक किसी को भी
अन्दर आने मत देना. गणेश जी को आदेश देने के बाद पार्वती स्वयं स्नान करने के लिए
चली गई. पार्वती के अन्दर जाने के कुछ समय पश्चात् वहाँ पर शंकर जी आ गये और
उन्होंने अंदर जाने का प्रयत्न किया. लेकिन गणेश जी ने माता की आज्ञानुसार शंकर जी
को अन्दर न जाने दिया. इस बात पर शंकर जी बहुत ही क्रोधित हो गये और उन्होंने अपने
त्रिशूल से गणेश जी का धड़ अनके शरीर से अलग कर दिया. इसके बाद शंकर जी अन्दर चले
गये. शंकर जी के अन्दर जाने के पश्चात् पार्वती ने गणेश के बारे में पूछा. तब शंकर
जी ने बताया की उस बालक का सिर तो मैंने काट दिया. यह सुनकर पार्वती बहुत ही
क्रोधित हो गई. तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया और
शंकर जी से उस बालक को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की. सभी देवताओं के अनुरोध
करने के बाद शंकर जी ने एक गज (हाथी) के कटे हुए सिर को गणेश जी के शरीर से जोड़
दिया तथा गणेश जी को पुन:जीवित कर दिया. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT कृष्ण जन्माष्टमी ...
गणेश चतुर्थी |
गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi ka Mahtv)
भ्रादपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की प्रतिमा की पूजा – अर्चना
करने से जीवन से सारी बाधाएं तथा विपदाएं दूर हो जाती हैं तथा बहुत समय से रुके
हुए कार्य जल्द ही पूरे हो जाते हैं. इस दिन पूजा करने से श्री गणेश जी की आप पर
हमेशा कृपा बनी रहती हैं. गणेश जी को बुद्धि के देवता माना जाता हैं. इसलिए इस दिन
घर में सुख – समृद्धि बनाये रखने के लिए गणेश जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए. गणेश
जी को उनके जन्म दिवस पर प्रसन्न करने के लिए व्रत रखना चाहिए तथा उनके जन्म की
कथा सुननी चाहिए. गणेश जी की कथा सुनने से तथा उनका व्रत करने से व्यक्ति को
सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होती हैं. गणेश पूजा की विधि निम्नलिखित हैं –
गणेश पूजन विधि (Ganesh Pooja)
1. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह
स्नान करने के बाद एक चाँदी, सोने तथा तांबे की धातु से बनी हुई गणेश जी की
प्रतिमा लें या मिटटी और गोबर का इस्तेमाल कर स्वयं गणेश जी की मूर्ती निर्मित कर
लें.
Ganesh Chaturthi ki Pooja |
2. गणेश जी की प्रतिमा निर्मित
करने के बाद एक नया कलश लें और उसमें पानी भर लें. अब इस कलश का मुंह किसी साफ
कपडे से बांधने के पश्चात् मूर्ति को इस कलश के ऊपर स्थापित दें.
3. कलश पर मूर्ति को स्थापित
करने के बाद गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढाएं और गणेश जी की फूल, धूप –
अगरबत्ती, सुगन्धित इत्र, घी का दीपक जलाकर पूजा करें.
4. इसके बाद गणेश जी के समक्ष
कुछ चढावा चढाएं और 21 लड्डू का भोग लगायें. इन लड्डुओं में से पांच गणेश जी की
मूर्ति के समक्ष ही रहने दे तथा शेष लड्डू उठा लें और इन्हें ब्राह्मणों में
वितरित कर दें.
5. इसके बाद चन्द्रमा को
अर्घ्य दें और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ. भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों को अपनी
इच्छानुसार दक्षिणा दें.
गणेश चतुर्थी उत्सव कैसे मनाया जाता हैं (How to
Celebrate Ganesh Chaturthi )
वैसे तो गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे भरत में मनाया जाता हैं.
लेकिन मुंबई जैसे बड़े शहर में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से बनाया जाता हैं. गणेश
चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी की मूर्तियों को अपने घर में लाते हैं और उनकी स्थापना
करते हैं. फिर पूरे दस दिनों तक गणेश जी की प्रतिमा की दिन में दो बार पूजा की
जाती हैं. दसवें दिन गणेश जी की पूजा करने के बाद गणेश जी का विसर्जन करने के लिए
नाचते – गाते इनकी प्रतिमा को घाट पर या समुद्र में तट पर ले जाया जाता हैं तथा
मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता हैं.
Ganesh Chaturthi Visarjan Mahotsav Festival |
कुछ स्थानों पर गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की विशाल
मूर्ति को स्थापित करने के लिए पंडाल भी लगायें जाते हैं. इन पंडालों में सभी लोग
एकत्रित होकर कीर्तन करते हैं तथा जागरण करते हैं तथा दसवें दिन सामूहिक रूप से ही
गणेश जी की मूर्ती का विसर्जन कर देते हैं.
गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी के
बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
गणेश चतुर्थी विसर्जन महोत्सव |
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