बुद्ध पूर्णिमा (Buddh Purnima)
बुद्ध पूर्णिमा पूरे भारत
वर्ष में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता हैं. बुद्ध पूर्णिमा का यह पर्व बौद्ध
धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की याद में मनाया जाता हैं. गौतम बुद्ध भारत एक
ऐसे संत, महात्मा या महापुरुष थे जिनका जन्म और मृत्यु दोनों ही बुद्ध
पूर्णिमा के दिन ही हुई था. बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध समुदाय के लोग विशेष रूप
से मनाते हैं. बौद्ध समुदाय के लोगों के साथ – साथ पूरे भारत में यह पर्व बहुत ही
धूमधाम से माने जाता हैं.
जन्म (Birth) – गौतम बुद्ध का मूल
नाम सिद्धार्थ हैं. इनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन
कपिलवस्तु के निकट स्थान लुम्बिनी में हुआ था. इनके पिता का नाम राजा
शुद्धोदन था. ये शांक्यवंश के राजा थे. इनकी माता का नाम महामाया
था. ये कपिलवस्तु की महारानी थी.
गौतम बुद्ध को ज्ञान की
प्राप्ति (Gautama Buddha
Attained Enlightenment)
गौतम बुद्ध का जन्म एक
राजघराने में हुआ था. उन्हें धन, संपदा या ऐश्वर्य आदि किसी भी प्रकार के सुख की
कमी नहीं थी. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कैसे हुई इसका साक्ष्य हमें बौद्ध
ग्रंथों में मिलता हैं. बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध के विवाह के पश्चात्
एक दिन गौतम बुद्ध रथ पर अपने नगर का
भ्रमण करने के लिए निकले थे. जैसे ही गौतम बुद्ध रथ पर नगर भ्रमण के लिए आगे बढ़ने
लगे तो उन्हें राह में एक वृद्ध व्यक्ति दिखा, फिर एक रोगी व्यक्ति दिखा
और अंत में उन्होंने एक व्यक्ति के शव को देखा. मानव जीवन की इन
तीनों अवस्थाओं को देखकर गौतम बुद्ध को यह ज्ञात हो गया कि संसार केवल एक मिथ्या हैं. इस संसार से सभी व्यक्ति को एक न एक दिन सब
कुछ छोड़कर ईश्वर के पास जाना हैं. बौद्ध धर्म ग्रंथों के अनुसार मानव जीवन की
तीनों अवस्थाओं को देखने के बाद आगे बढ़ते हुए उन्हें एक तपस्वी दिखा. जिसके
चहरे पर पूर्ण रूप से शांति विद्यमान थी, जो संसार के सभी सुख और मोह - माया के
बंधन से मुक्त एक स्थान पर आसन लगाकर प्रभु की भक्ति में लीन था. इस संस्यासी को
देखने के पश्चात् ही बुद्ध ने ग्रह त्यागने का निश्चय किया और अपना राज – पाठ
त्याग कर ज्ञान प्राप्ति की राह पर निकल पड़े. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT महापर्व मकर संक्रांति ...
Buddha Purnima or Buddha Jayanti ki Hardik Shubhkamnayen |
गृहत्याग के पश्चात् गौतम
बुद्ध विभिन्न स्थानों पर जैसे – बिम्बिसार, उद्रक, आलार, तथा कालाम आदि
स्थानों पर ज्ञान प्राप्ति के लिए भटकने लगे. जब इन्हें इन स्थानों पर ज्ञान की
प्राप्ति नहीं हुई तो गौतम बुद्ध पटना के एक स्थान बोद्ध गया में गये और एक
वट वृक्ष (बोद्धि वृक्ष) के नीचे एक आसन लगाकर बैठ गये और यह संकल्प लिया की
भले ही शरीर में से प्राण निकल जाएँ. मैं तब तक इस आसन पर बैठा रहूँगा. जब तक की
मुझे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो जाती. सात दिन और सात रात्रि के बाद इस स्थान पर ही ईश्वर की
घोर तपस्या में लीन महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्रति हुई और उन्होंने तभी से बुद्ध
धर्म का प्रसार पूरे संसार में करने के लिए विभिन्न स्थानों पर लोगों को बौद्ध
धर्म के उपदेश दिए.
गौतम बुद्ध ने अपना पहला
उपदेश अपने दो शुद्र शिष्यों को सारनाथ में दिया था. महात्मा बुद्ध के द्वारा
दिए गये ये उपदेश बौद्ध ग्रंथों में “धर्मचक्र प्रर्वतन” के नाम से जाने
जाते हैं. इनके द्वारा दिए गये ज्ञान को इनके शिष्यों ने काशी, वाराणसी आदि
पवित्र स्थानों पर बौद्ध धर्म का प्रचार किया. बौद्ध धर्मं का प्रचार और प्रसार
करते हुए वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने देवरिया जिले के
कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया.
गौतम बुद्ध के अन्य नाम (Other Names of Gautama Buddha) – गौतम बुद्ध को सिद्धार्थ,
महात्मा बुद्ध, शांक्य वंश के सम्राट होने के कारण शांक्यमुनि आदिनामों
से जाना जाता हैं.
बुद्ध पूर्णिमा के विभिन्न
नाम ( Different
Names of Buddha Purnima) – बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही
गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था तथा इसी दिन इन्होने निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए इस
दिन को बुद्ध जयंती नाम से जाना जाता हैं. बुद्ध पूर्णिमा क्योंकि
वैशाख मास में मनाई जाती हैं इसलिए इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT महावीर स्वामी जयंती ...
बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं |
इसके अलावा इस दिन को सत्य
विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं. ऐसा माना जाता हैं कि बुद्ध
पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री कृष्ण के बचपन के
मित्र सुदामा दरिद्र होने के पश्चात् इसी दिन उनसे भेट करने के लिए द्वारिका आये
थे. सुदामा जी की दरिद्रता पूर्ण जीवन व्यतीत करने की बात सुनकर श्री कृष्ण जी ने
उन्हें इस सत्यविनायक व्रत करने के लिए कहा था. सत्य विनायक व्रत पूरे –
विधि विधान से करने के बाद सुदामा जी के जीवन से दरिद्रता दूर हो गई थी और उनका
जीवन सुखमय बन गया था.
गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु
का नौवाँ अवतार माना जाता हैं. इसके साथ ही यह भी माना
जाता हैं की वैसाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध के रूप में श्री विष्णु ने
दुबारा पृथ्वी पर जन्म लिया था. सत्य विनायक पूर्णिमा के दिन ही धर्मराज की
पूजा की जाती हैं. शास्त्रों के अनुसार इस दिन धर्मराज की पूजा करने से
देवताओं की कृपा हम पर बनी रहती हैं तथा अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में अकाल
मृत्यु का योग हैं तो यह योग व्यक्ति के जीवन से दूर हो जाता हैं.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन
स्नान (Buddha Purnima Bath)
बुद्ध पूर्णिमा के दिन
अधिकतर व्यक्ति पवित्र तीर्थस्थलों पर जाकर स्नान करते हैं. ऐसा माना जाता हैं कि
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन स्नान करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये सभी
अधर्म व पाप धुल जाते हैं. वैसाख पूर्णिमा के स्नान इसलिए भी किया जाता हैं
क्योंकि इस महीने में सूर्य मेष राशी में रहते हैं तथा चन्द्रमा तुला राशी में
रहते हैं. इस दिन स्थान करने से मनुष्य को पूरे वर्ष पवित्र नदियों में स्नान
करने का फल प्राप्त होता हैं.
Buddha Purnima |
बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाई
जाती हैं (How to Celebrate
Buddha Purnima)
बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम
बुद्ध के अनुयायी विभिन्न स्थानों पर इस दिन को अलग – अलग तरीके से मानते हैं.
जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं –
1.
श्रीलंका – इस दिन को श्रीलंका के व्यक्ति वेसाक उत्सव के रूप
में मनाते हैं.
2.
बौद्ध समुदाय – इस दिन बौद्ध समुदाय के व्यक्ति अपने घरों में दीपक
जलाते हैं और पूरे घर को फूलों से सजाते हैं और बुद्ध भगवान की अराधना करते हैं.
3.
बौद्ध गया – इस दिन बौद्ध गया के पवित्र स्थल जहाँ पर भगवान बुद्ध को
ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस दिन विशेष तैयारियां की जाती हैं. इस दिन इस भव्य
स्थल के दर्शन करने के लिए लोग दूर – दूर से यहाँ पर बुद्ध की प्रतिमा तथा बौद्धिवृक्ष
के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस दिन बौद्धि वृक्ष को फूलों से सजाया जाता हैं इस
वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं जाते हैं तथा इस वृक्ष की परिक्रमा की जाती हैं.
4.
इस दिन गरीबों को वस्त्र
दिए दान में दिए जाते हैं तथा उन्हें भोजन
कराया जाता हैं.
5.
इस दिन दिल्ली संग्रहालय
में से बुद्ध की अस्थियों को बौद्ध समुदाय के द्वारा पूजा करने के लिए बाहर
निकाल दिया जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती के बारे में अधिक
जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
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