बेर के आयुर्वेदिक प्रयोग (Aayurvedic Uses of Jujube)
बेर एक बहुत ही उपयोगी फल
हैं. यह शहर तथा गाँव हर स्थान पर पाया जाता हैं. यह बहुत ही आसानी से सभी जगहों
पर मिल जाता हैं तथा यह अन्य फलों की तुलना में बहुत ही सस्ता भी हैं. इसलिए इसकी
गिनती तीसरे दर्जे के फलों में की जाती हैं.
बेर के पेड़ की ऊंचाई कुछ
ज्यादा नहीं होती तथा ये झाड़ीदार होते हैं. बेर के पेड़ की डालियों पर छोटे – छोटे
लेकिन नुकीले काँटे लगे होते हैं. बेर के पेड़ पर फूल नहीं होते, इस पर केवल छोटे –
छोटे सुपारी के आकार के बेर लगे होते हैं.
बेर की तीन किस्में ( Three Types of Jujube )
1.
जंगली बेर (Wild Jujube)
– जंगली बेरों को “काठी” बेर के नाम से
भी जाना जाता हैं. जंगली बेरों का आकार गोल होता हैं तथा इसके अंदर बेर की अन्य दो
किस्मों के मुकाबले गूदा कम होता हैं. इसका स्वाद खाने में खट्टा होता हैं. इसलिए
लोगों के द्वारा बेर की इस किस्म को अधिक पसंद किया जाता हैं.
2.
झरबेर (Damson) – बेर की इस किस्म को “ कनी
” बेर के नाम से भी जाना जाता हैं. झरबेर के पेड़ पर पत्तों की संख्या कम होती
हैं तथा काँटों की सख्या अधिक होती हैं. इसके वृक्ष पर बेरों की झड़ी लगी होती हैं.
महाराष्ट्र में इसकी एक छोटी किस्म को “ बोराटी ” के नाम से भी जाना जाता
हैं.
3.
पेबन्दी बेर (Ban Jujube)
– यह बेर की तीसरी किस्म हैं. पेबन्दी बेर अन्य
दो बेरों की किस्मों से काफी बड़े और स्वादिष्ट होते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT बेर के औषधिय प्रयोग ...
Ber ke Aayurvedic Upyog |
बेर के अलग – अलग नाम (Jujube Different – Different Name)
बेर को विभिन्न भाषाओं में
अलग - अलग नामों से जाना जाता हैं. जैसे – संस्कृत भषा इसके लिए बदरी
शब्द का प्रयोग किया जाता हैं. हिंदी भाषा में इसे बेर के नाम से ही
जाना जाता हैं तथा यह बेर के नाम से ही अधिक प्रसिद्ध भी हैं. गुजरात में
इसके लिए बोरडी शब्द का प्रयोग किया जाता हैं. मराठी भषा में यह बोर
कहलाता हैं. बंगला भाषा में इसे कुल तथा बोगरी के नाम से जाना जाता
हैं. तेलगु भषा में इसे रेग्चेट्टू खा जाता हैं. तमिल भषा
में इसे इलडे तथा कल्लारी के
नाम से जाना जाता हैं. फारसी भषा में बेर के लिए कुनार शब्द का
प्रयोग किया जाता हैं. अरबी भाषा में इसे सीदर, नंबक शब्द से जाना
जाना जाता हैं. अंग्रेजी भाषा में इसके लिए अंग्रेजी के शब्द पलम का
प्रयोग किया जाता हैं. बेर का लेटिन नाम जिजिफस जुजुबा हैं.
बेर के गुण (Jujube Quality)
बेर का स्वाद खट्टा तथा
मीठा होता हैं. अधिक मीठे बेरों में गुणों की संख्या भी अधिक होती हैं. मीठे बेर
को खाने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती हैं, रक्त शुद्ध होता हैं तथा प्यास
बुझती हैं. खट्टे बेरों को खाने से खांसी होती हैं. पके हुए बेरों को खाने से बहुत
सी बिमारियां ठीक हो जाती हैं. जैसे – अतिसार, रक्तदोष, श्रम तथा शोष आदि. पके बेर
मधुर, उष्ण, कफ नाशक, पाचक तथा रुचिकर होता हैं. बेर की तासीर ठंडी होती हैं.
इसलिए यह पित्त को नष्ट करने के लिए उपयोगी होता हैं.
बेर में फास्फोरस की कुछ
मात्रा विद्यमान होती हैं. इसलिए इसे खाने से शरीर और दिमाग मजबूत होता हैं. बेर
का सेवन करने से बाल तथा शरीर की हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं. बेर को खाने से
व्यक्ति की भूख बढती हैं. इसे खाने से मर्दाना ताकत भी बढती हैं, आँखों की रौशनी
के लिए भी यह बहुत ही उपयोगी होता हैं. बेर का इस्तेमाल करने से पाचन तंत्र के आंत
के कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं. खून के दस्तों से राहत पाने के लिए भी यह बेहद
उपयोगी होता हैं. इसे खाने से वमन की शिकायत भी दूर हो जाती हैं. यदि बेर के पेड़
के पत्तों को गिलटी पर लगाया जाये तो गिलटी कुछ ही समय में पक जाती हैं और व्यक्ति
को गिलटी के रोग से छुटकारा मिल जाता हैं.
बेर को खाने के बाद क्या – क्या
सावधानी बरतनी चाहिए
आयुर्वेदानुसार हमेशा मीठे
और पके हुए बेरों का ही सेवन करना चाहिए. बेर खाने के तुरंत बाद कभी – भी पानी
नहीं पीना चाहिए. क्योंकि बेर खाने के तुरंत बाद पानी पीने से बेर के लाभकारी
तासीर का प्रभाव शरीर पर नहीं होता तथा बेर को पचने में भी समय लगता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT फालसे एक उपयोगी फल के रूप में ...
बेर के आयुर्वेदिक उपयोग |
छोटे, बड़े, सूखे व पके हुए
बेर के फायदे (Small, Dry,
Large And Ripe Berry Benefits
1.
बड़े बेर (Large Plum) – बड़े बेर मधुर, ठंडे, वीर्य की वृद्धि करने वाले होते हैं. ये बेहद
स्वादिष्ट होते हैं. बड़े बेर स्निग्ध, मलावरोधक भी होते हैं.
2.
छोटे बेर (Small Plum) – छोटे बेरों का स्वाद खट्टा तथा मधुर होता हैं. खट्टे बेर
गर्मी के दिनों में बहुत ही लाभकारी होते हैं. क्योंकि गर्मी के दिनों में इसे
खाने से प्यास कम लगती हैं.
3.
सूखे बेर ( Dry Jujube)
– सूखे बेर आकार में छोटे होते हैं. इसे खाने से
शरीर में ऊष्मा उत्पन्न होती हैं. इसे खाने से शरीर के पित्त का नाश होता हैं, गैस
की समस्या से भी मुक्ति मिलती हैं तथा तृष्णा नष्ट होती हैं.
4.
पके बेर (Ripe Jujube)
– पके हुए बेर का गूदा बहुत ही मधुर होता हैं.
इसे खाने से शरीर की दाह, श्वास की बिमारी, गैस की बिमारी, उल्टी तथा पित्त की
बिमारी से मुक्ति मिल जाती हैं.
बेर के
आयुर्वेदिक प्रयोग के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी
हासिल कर सकते है.
Aayurvedic Use and Treatment of Jujube |
Ber ke Aayurvedic
Upyog, बेर के आयुर्वेदिक उपयोग, Aayurvedic Use and Treatment of Jujube, Ber ke Gun or Teen
Kismen, Chhote Bade Pake Tatha Sukhe Ber ke Fayde, Ber ka Sevan Karne ke Bad Savdhani,
Ber ke Vibhinn Naam.
YOU MAY ALSO LIKE
- रविदास जयंती मुबारक हो
बेर के,औषधिय गुण बताऐ
ReplyDeleteप्रिय आगंतुक, बेर के औषधीय गुणों को जानने के लिए आपको निम्न लिंक पर जाना पड़ेगा वहां आपको सभी आयुर्वेदिक और देशी गुण मिलेंगे बेर के --
Deletehttp://www.jagrantoday.com/2015/12/ber-ke-aushdhiya-pryog-medicine-use-of.html
संपर्क के लिए धन्यवाद
जागरण टुडे टीम
Borjari
ReplyDelete