बच्चों को
अनुशासित करें
हर माता पिता के
मन में ये बात हमेशा रहती है कि वो अपने बच्चो को किस प्रकार अनुशासित, आज्ञापालक
और बड़ों का आदर करना सिखा सकते है. ये काम बहुत महत्वपूर्ण है किन्तु साथ ही
मुश्किल और पेचीदा भी है. किन्तु इसकी महत्वता को जानते हुए भी बहुत से लोग अपनी
इस जिम्मेदारी को नही निभा पाते. इसका कारण बदलता समाज, माता पिता का व्यस्त होना
और संकुचित सोच होना है. संकुचित सोच से अर्थ है कि आजकल माँ बाप सिर्फ यही सोचते
है कि बच्चो को पढ़ाने लिखने, उन्हें अच्छा खाना और अच्छे कपडे देने से ही उनकी
जिम्मेदारी खत्म हो जाती है. ये वहीँ माँ बाप है जो बाद में जीवन भर अपने बच्चे की
अनुशासनहीनता की शिकायत करते रहते है. इसीलिए आजकल हर बहुत से अच्छे बच्चे है जो बिलकुल
अनुशासन का पालन नही करते और सबसे उल्टा बोलते है. CLICK HERE TO KNOW HOW TO DO SURYA NAMASKAR ...
Bacchon ko Control Kaise Karen |
बच्चो को अनुशासन
सिखाने के लिए लगभग सभी एक ही रास्ता अपनाते है और वो है मार पीट, डांटना धमकाना
और सजा देना इत्यादि. किन्तु इससे बच्चे अनुशासन नही सीखते बल्कि वे ढीठ हो जाते
है. कुछ दिनों तक तो वो मार पीट की वजह से आपकी सारी बातें मानने लग जाते है
किन्तु जब उनको आपकी मारपीट की आदत हो जाती है और उसका डर खत्म हो जाता है तब
क्या? वो पहले से भी ज्यादा अनुशासनहीन हो जाता है. किन्तु इसी की जगह अगर आप
बच्चे को सदभावना, प्रेम और समझदारी से उसे समझायें तो वो आपकी बात हमेशा याद रखता
है. चाहे वो उस वक़्त आपकी बात ना माने किन्तु जैसे ही उसे आपकी बात समझ आ जाती है
देखना वो हमेशा के लिए आपका आज्ञाकारी हो जाता है, साथ ही आपकी इज्जत भी करता है. तो
आओ जानते है कि किस प्रकार आप बच्चे को अनुशासन सिखा सकते हो. CLICK HERE TO KNOW HOW TO DO YOGASAN AND PRANAYAM ...
बच्चों को नियंत्रित कैसे करें |
इस गलती से बचे :
जैसाकि हमने ऊपर बताया है
कि गुस्से में आकर बच्चे को मारपीट के साथ ना सुधारने की कोशिश करें. इस बात को
सदैव याद रखें कि हर व्यक्ति समय के साथ और अपने अनुभवों से ही सिख लेता है. तो आप
उन्हें उनकी गलती का परिणाम दिखाए या बताये ताकि उसे अपनी गलती का अनुभव हो और वो
अपनी गलती से सिख सकें. इसके साथ ही आप उन्हें सही और गलत का भी फर्क दिखाएँ. इससे
उसके मन में आपके लिए आदर बढ़ता है और वो आप पर विश्वास करने लगता है.
सजा और सबक में
फर्क समझें : अगर आप बच्चे को
उसकी हर छोटी छोटी गलती के लिए सजा दे रहे है तो इसका अर्थ है कि आप उसपर अपना
गुस्सा निकल रहें है. अगर सजा से सब ठीक होते तो जेलों में कोई अपराधी ही नही होता
वैसे आपको बता दें अपराधियों को जेल में रखने के बाद उन्हें परिश्रम करना सिखाया
जाता है ताकि वे जेल से निकलने के बाद अपने पुराने जीवन को भूलकर अपने नये जीवन को
परिश्रम के साथ ख़ुशी से व्यतीत कर सकें. इसी तरह आप भी अपने बच्चो को सजा के रूप
में परिश्रम दे और उन्हें सबक दें कि उनकी गलतियों से वो क्या सबक ले सकते है. अगर
आप उन्हें सजा देते है तो वो डर की वजह से आपसे बातों को छुपाने लगेंगे और झूठ
बोलना सिख जायेंगे.
How to Control Children |
ज्यादा रोक टोक न
करें : ऐसे अनेक माता पिता है जो
बच्चो को हर बात के लिए टोकते रहते है, अगर वो खेलने जाए तो उन्हें मना कर दिया
जाता है, दोस्तों के साथ घुमने जाएँ तो रोक दिया जाता है, अगर गलती से फिल्म देखने
जाने के लिए बोल दिया जायें तो फिर तो महाभारत शुरू हो जाती है. इन बातों पर रोक
टोक करना समझ नही आता क्योकि ये सब तो बच्चे के लिए जरूरी है क्योकि खेलेगा तो
उसका स्वास्थ्य ठीक रहेगा, बाहर जायेगा तो लोगो की समझ आयेगी और फिल्म देखने जाएगा
तो अपने जीवन के प्रति सकारात्मक रहेगा. हाँ आप इनकी अति को रोकने के लिए तो
उन्हें जरुर बोल सकते है. अगर आप उनकी हर बातों पर उन्हें रोक रहे है तो इसका अर्थ
है कि आपको अपने बच्चे पर विश्वास नही है तो उनपर विश्वास रखें और उनके साथ ऐसा
रिश्ता बनायें जिसमे सिर्फ प्रेम और सम्मान हो.
बच्चो को भी
सम्मान दें : हर बच्चा अपने
आसपास के माहौल से सीखता है और उसके मन में वही व्यवहार रहता है जो उसके साथ किया
जाता है तो आप भी अपने बच्चे के आसपास ऐसा माहौल रखें जहाँ सभी एक दुसरे को सम्मान
देते हो, साथ आप अपने बच्चे से भी अच्छी तरह बात करें इससे बच्चा भी अच्छे व्यवहार
के लिए प्रेरित होकर सबकी इज्जत करता है. इच्छे ना सिर्फ आपके बच्चे की बल्कि आपकी
भी अच्छी छवि बनती है.
Healthy Parents Children Relationship |
नकारात्मकता से
बचें : हर माँ बाप चाहते है कि
उनके बच्चे का मन ठीक और एकाग्र रहे ताकि वो अपने लक्ष्यों को पाने में सफल हो सक
किन्तु ऐसा तभी हो सकता है जब बच्चा सकारात्मक हो और उसमें पूर्ण विश्वास हो. इसकी
शुरुआत आप घर से ही करें और बच्चे को न कहने पर मजबूर ना करें. क्योकि ना का अर्थ
ही नकारात्मकता से है. आप उनके कार्यक्षमता और मनोस्थिति को जानकर ही उसे किसी
कार्य को करने के लिए कहें. इससे बच्चा अपने कार्यो को भी पूर्ण करेगा और उसका
आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. साथ ही बच्चे और आपके बीच के संबंधों में भी मजबूती
आएगी.
ऊपर दिए गया कुछ
ऐसे उपाय है जो बच्चे के पालन पोषण या उनको अनुशासित करने में बहुत लाभदायक होते
है. इन उपायों को अपनाकर आपके बच्चे ना सिर्फ समझदार और आज्ञाकारी बनते है बल्कि
वे अपने जीवनयापन के लिए भी समर्थ हो पाते है और अपने आत्मसम्मान के साथ अपने
लक्ष्यों की तरफ बढ़ते है. इसलिए हमेशा कोशिश करने की आप अपने बच्चो का सही
मार्गदर्शन करें और उनके लिए प्रेरणा बने. जब आपके बच्चे आपमें एक अनुशासित और
समझदार व्यक्ति देखते है तभी वे भी अनुशासित होते है और यही अनुशासित होने का सही
और सरल तरीका है.
बच्चों को
अनुशासित और आज्ञाकारी बनाने के अन्य उपायों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट
करके जानकारी हासिल कर सकते है.
बच्चों को संस्कार |
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Mera khoya huva pyar vapan pana chata hu pandit ji plz bataye kya karu maine help me
ReplyDeleteClassroom me bachcho ko kaise control kre
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