योग
योग को धर्म,
आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा सा प्रायोगिक विज्ञान माना जाता है, जो जीवन
को जीने की कला सिखाता है. इसे एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति के रूप में देखा जाता है.
योग के बारे में कहा जाता है कि ये व्यक्ति को सभी धर्म के खूंटो से मुक्त कर जीवन
की सरल राह दिखता है. जिस तरह से पर्वतो में हिमालय श्रेष्ठ है उसी प्रकार समस्त
दर्शनों, विधियों, नीतियों, नियमों, धर्मो और व्यवस्थाओं में योग श्रेष्ठ है.
योग शब्द के दो
अर्थ होते है –
- जोड़
जब तक व्यक्ति
स्वयं से नही जुड़ सकता तब तक वो समाधि तक नही पहुँच सकता. इसके अलावा योग को 4
भागो में बांटा जाता है.
1.
ज्ञानयोग
2.
भक्तियोग
3.
धर्मयोग
4.
कर्मयोग
इसके अलावा हठयोग
भी है और एक है राजयोग जिसे पतंजलि का योग कहा जाता है.
पतंजलि के राजयोग
का ही सबसे अधिक प्रचलन और महत्व है, इसे अष्टांग योग के नाम से भी जाना
जाता है. अष्टांग योग अर्थात योग के आठ अंग. पतंजलि ने योग की समस्त आठ विद्याओं
को श्रेणीबद्ध कर अपने में समाहित कर लिया है और इसीलिए इसे श्रेष्ठ माना जाता है.
ये आठ अंग निम्नलिखित है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
योगा क्या है |
·
यम
·
नियम
·
आसन
·
प्राणायाम
·
प्रत्याहार
·
धारणा
·
ध्यान
·
समाधि
योग से लाभ :
आत्मचित स्वस्थ
कर समाधि दिलाता है : अगर आप भी योग से
लाभ उठाना चाहते हो तो आप भी अपने शरीर को और अपने मन को बदलो. आपका मन बदलेगा तो
आपकी बुद्धि बदलेगी और बुद्धि बदलेगी तो आत्मा स्वस्थ होकर आत्मचित हो जाएगी. जब
आपका आत्मचित स्वस्थ हो जाएगा तभी आपको समाधि प्राप्त होती है. तो योग करने के लिए
सबसे पहले बदलाव जरूरी है.
योग चिंता भय का
निरोध : वे व्यक्ति जिनके
मन मस्तिष्क में हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है, उन्हें हमेशा भय, संशय और चिंता
लगी रहती है. इस वजह से इन्हें अपने जीवन में सिर्फ संघर्ष ही नजर आता है और इनके
जीवन का आनंद विलुप्त हो जाता है. अगर ये व्यक्ति योग को अपनाते है तो इन्हें अपने
जीवन की हर समस्या का निरोध मिल जाता है और इनका चित शांत हो जाता है.
योग से मानसिक शक्ति का विकास |
अचेत मन पर काबू
: चित से अभिप्राय बुद्धि,
अहंकार और मन नामक वृति के क्रियाकलापों से है. हम इसे अचेत मन भी कह सकते है.
दुनिया में सभी इस चित पर कब्ज़ा करना चाहते है और इसीलिए ये सब तरह तरह के नियमो,
क्रियाओं, कांडो, ग्रह नक्षत्रो और ईश्वर के प्रति भय के भाव के साथ जीते है.
पतंजलि कहती है कि इस चित को ही खत्म करें.
योग से सिख : योग की एक खास बात ये भी है कि ये न तो विश्वास
करना सिखाता है और न ही संदेह, साथ ही इन दोनों के बीच की अवस्था के तो योग बहुत
ज्यादा खिलाफ है. योग के अनुसार अगर आपमें जानने की क्षमता है तो आप इसका उपयोग
करो. ये कहता है कि आपकी आँखे देखने के लिए है तो इनसे वो चीजें देखो जो सामान्य
नही है, आपके कान है तो इससे अनाहद ( ध्वनी जो किसी
संघात से जन्मी हो ) को सुनो, इसे
ज्ञानीजन ॐ भी कहते है. इस ॐ को ही आमीन, ओमीन और ओंकार कहा जाता है.
योग से शरीर और
मन का रूपांतरण : योग के अनुसार
शरीर और मन का कभी दमन नही करना चाहियें बल्कि इसका रूपांतर करना चाहियें. इसका
रूपांतर ही व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाता है. अर्थात अगर आपको लगता है कि आप
अपनी आदतों को छोड़ नही पा रहे हो तो आप उससे चिंतित न होकर अपनी आदतों में योग को
भी शामिल कर लें. आपके न चाहते हुए भी आपको इसके लाभदायक परिणाम ही मिलेंगे.
What is Yoga |
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