सभी तंत्र बाधाओं का इलाज
धूमावती साधना द्वारा किया जा सकता है यह इसमें रामबाण की तरह काम करती है. इस
साधना के लिए सही समय अमावस्या की रात्रि है. साधना में जप करने से पहले काले रंग
का वस्त्र धारण कर ले और दक्षिण दिशा की तरफ अपनी दृष्टी रखे. ऐसा करते हुए जप
करते रहे. जप करने का सही समय रात के 9 से 4 बजे तक का होता है. यही समय जप के लिए
बिलकुल उचित माना जाता है.
जाप करने से पहले और जाप
करने के बाद गुरु मंत्र की १ माला का जाप करे.
तांत्रिक बाधाओं की काट धूमावती साधना |
जप करने से पहले हाथ में जल ले. इसके बाद आपको जो भी समस्या
है उसे दूर करने के लिए माता से उसके लिए प्रार्थना करे और हाथ में जल अवश्य होना
चाहिये.
इसके बाद एक बिलकुल सुखा नारियल ले और उसे अपने सामने रख ले
और उस पर एक प्रकार का सिन्दूर लगाये जो हनुमान जी की पूजा अर्चना में प्रयोग होता
है. काले रंग का धागा ले और उसे अपनी कमर में 3 बार लपेट ले.
इसके बाद आपको रुद्राक्ष से बनी माला ले और इस माला का १०८
बार एक मंत्र के साथ जाप करे जो इस प्रकार है
॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥
जप करने के बाद धागे को काट ले और काटने के लिए सिर्फ केंची
का ही इस्तेमाल करे इससे सुविधा रहती है. इसके बाद जो नारियल चढ़ाया हुआ है उसे कटे
हुए धागे के पास रख दे. इसके बाद आग जला दे और काली मिर्च और सिन्दूर ले. सरसों का
तेल लेकर काली मिर्च और सिन्दूर में मिला दे और एक मंत्र का जाप करते हुए इन तीनो
की १०८ बार आहुति दे. मन्त्र इस प्रकार है :
॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा ॥
इसके बाद जो धागा हमने केंची से काटा हुआ है उसे नारियल पर
लपेट दे. ऐसा करने के बाद इस नारियल को पहले सिर से लगाये और फिर पाँव से लगाये
ऐसा तीन बार करे और इसके बाद फिर इस नारियल को पहले पाँव पर लगाए और फिर सिर पर
लगाये इसको प्रक्रिया को भी तीन बार करे. इसके बाद आपको जो भी समस्याएँ या बाधा है
उन्हें दूर करने के लिए माता धूमावती से प्रार्थना करे. प्रार्थना करने के बाद जिस
नारियल पर आपने धागा लपेट कर रख दिया है उसको आग में डाल दे. फिर क्षमा याचना के लिए
अपने दोनों हाथ जोड़कर एक बार फिर प्रार्थना करे. इसके बाद एक नारियल ले जो पानी से
भरा हुआ हो उस नारियल को तोड़ ले और उसका पानी निकाल ले और पानी को हवन में डाल दे.
इस नारियल का प्रयोग खाने के लिए नहीं करे इसे बाहर फैक दे. यह सब करने के बाद
आपको नहा लेना चाहिए. जहाँ आपने जाप किया है अगर वहां आपको जगह मिल जाती है तो
वहीँ सो जाये. आग के ठंडा होने का इन्तजार करे और ठंडा होने के बाद इसको प्रवाहित
करने के लिए किसी नदी या तालाब के पास ले जाये और प्रवाहित कर दे. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Tantrik Badhaaon ki Kaat Dhumawati Sadhna |
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