प्रार्थना
प्रार्थना
मनुष्यों द्वारा अपनाया गया वो जरिया है जिससे मनुष्य निरंकार ईश्वर और देवी
देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा, कृतज्ञता और समर्पण के भाव को व्यक्त करते है.
प्रार्थना को अर्चना, वंदना, आराधना और उपासना भी कहा जाता है. प्रार्थना को वो
क्षण माना जाता है जब हम अपने दिल को प्रभु के सामने खोलते है. प्रार्थना को करने
के लिए आप प्रभु के सामने नम्रता से बैठ जायें और उसके ध्यान में इतने मग्न हो
जायें कि वो अपना सारा प्यार और दया आपके ऊपर नियोछावर कर दें और उसका प्रेम आपमें
समा जायें. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Prarthna kaise Karen |
सच्ची प्रार्थना
:
हममें से कितने
ऐसे लोग है जो सृजनहार के सामने सच्चे मन से प्रार्थना करने के लिए बैठते है और
अपने मन को शीतल कर उसको समर्पित करते है? ऐसे बहुत ही कम लोग है जो प्रभु के
सामने अपने मन के द्वार को खोलकर बैठते है, ऐसे लोग सांसारिक विचारों और कार्यो
में अपने मन को उलझायें रखते है. इन लोगो को आप ढोंगी बोल सकते हो क्योकि ये सिर्फ
प्रभु की भक्ति और प्रार्थना का सिर्फ दिखवा करते है. आपने ऐसा देखा होगा कि जब
कोई प्रार्थना कर रहा हो और तभी कोई व्यक्ति आ जायें तो उस प्रार्थना करने वाले
व्यक्ति का ध्यान उस व्यक्ति की तरफ चला जाता है जो आया है. जबकि सच्ची प्रार्थना
करने वाले व्यक्ति को तो इस बात का पता भी नही चलता कि उसके आसपास क्या हो रहा है
और ना ही कोई उसके ध्यान को भंग कर पाता है. वे प्रभु में इतने मग्न होते है कि
उन्हें अपनी ही सुध नही रहती.
व्यक्ति को इस
बात का हमेशा ध्यान रखना चाहियें कि सांसारिक मोह और विचार हमे हमारी प्रार्थना और
ईश्वर से दूर करते है. ऐसे विचार मन पैदा करता है. मन और आत्मा का भी गहरा संबंध
है. जहाँ आत्मा परमात्मा का ही एक हिस्सा है वहीँ मन काल का अंश माना जाता है. ये
काल सम्पूर्ण ब्रह्मांड को चलता है और इसीलिए मन नही चाहता कि हम ईश्वर से मिल
सके. ये हमे प्रभु की ओर जाने से रोकता है जिसके लिए ये हमे हमारे कार्यो में उलझा
देता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
प्रार्थना कैसे करें |
अगर आपके साथ भी
कुछ ऐसा ही हो रहा है और आप प्रार्थना में अपना मन नही लगा पाते हो या आपका मन
अस्थिर रहता है तो आपके लिए सबसे उत्तम है कि आप ध्यान करें क्योंकि ध्यान से मन
में भक्ति भाव पैदा होता है. इसके लिए आप अपने घर के खली और शांत हिस्से का ही
चुनाव करें. कुछ लोग ऐसे भी है जो ध्यान में बैठने के साथ साथ भक्ति गीत और
प्रार्थना भी गाते है. आप प्राणायाम भी कर सकते हो क्योकि कुछ ऐसे प्राणायाम है
जिन्हें करने से आपको आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और आपका मन आपके काबू में आता है
जैसेकि केवली कुम्भक प्राणायाम.
प्रार्थना करें :
हर धर्म में
ईश्वर के प्रति अपने प्रेम को दिखने के लिए प्रार्थना का प्रचलन है और इसीलिए सभी का
प्रार्थना करने का तरीका भी अलग है किन्तु तरीके चाहे कितने भी हो सबका अर्थ एक ही
है ईश्वर के प्रति समर्पण भाव और उसपर विश्वास. विश्वास कि परमेश्वर आपके हर दुःख
में आपके साथ है और उसकी कृपादृष्टि हमेशा आप पर है. ईश्वर के प्रति प्रार्थना
करने से मन को और तन को शांति का आभास होता है और हमारा मन स्वीकार करता है कि कोई
शक्ति तो है जो हमे रोशन करती है.
प्रार्थना करने के लिए आप सबसे पहले अपने घर के ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ एकांत हो. अब आप यहाँ खड़े होकर भी प्रार्थना कर सकते हो और चाहो तो
आप ध्यान मुद्रा में बैठ जायें. अब आप अपने हाथो को अपनी छाती के पास नमस्कार की
अवस्था में लायें. आप आँखें बंद कर लें और अपने मन और मस्तिष्क को शांत करने की
कोशिश करें. आप अपने शरीर को शिथिल कर लें और अपने इष्ट देव का ध्यान करें. आप
अपने साँसों की क्रिया को सामान्य रखें और इस अवस्था में कम से कम 15 मिनट तक रहने
की कोशिश करें.
प्रार्थना का
महत्व :
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प्रार्थना में
व्यक्ति अपनी श्रद्धा भाव को रखने के साथ अपनी कुछ इच्छाओं को भी रखता है और माना
जाता है कि ईश्वर से सच्ची प्रार्थना के जरिये जो भी माँगा जाता है वो आपको जरुर
प्राप्त होता है.
How to Do Pray |
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प्रार्थना
व्यक्ति के अहम को दूर करके सदभाव और भाईचारे की तरफ ले जाती है.
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प्रार्थना मन को
शांति देकर मन से सभी कुपित विचारों को हटाती है. जिससे हमारे शरीर को बल मिलता
है.
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क्योकि प्रार्थना
से मन को शांति मिलती है तो इससे आप अपने क्रोध पर नियंत्रण पा लेते हो. ये आपके
चेहरे पर एक ऐसी चमक लाता है जिससे आपका व्यक्तित्व सबसे अलग दिखता है.
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प्रार्थना मन को
पवित्र कर इसमें ज्ञान का दीपक जलती है.
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प्रार्थना करने
से शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जिससे शरीर स्वस्थ, पवित्र, तरोताजा
और सुकून से भर जाता है. इससे शरीर निरोगी भी रहता है.
Pray to God |
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प्रार्थना हमे
सबसे साथ अच्छा व्यव्हार करना सिखाती है और इसीलिए इसको वो शक्ति माना जाता है जो
हमे पराक्रम देती है.
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अगर आप नियमित
रूप से रोज 15 से 20 मिनट अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हो तो जल्द ही आप अपने
अराध्य से जुड़ जाते हो और आपे संकट दूर हो जाते है.
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ये मनुष्यता
सिखने का अच्छा रास्ता है और इसे संगठन का भी एक जरिया माना जाता है. जिससे हम
दुसरो पर भरोसा करना सीखते है.
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व्यक्ति को
तनावपूर्ण रखने में भी प्रार्थना का अहम स्थान है. इससे व्यक्ति अपने ऊपर लादे बोझ
को हल्का महसूस करता है.
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प्रार्थना वो पथ
है जिसपर चलकर आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है.
प्रार्थना से जुडी किसी भी सहायता और प्रार्थना करने के अन्य तरीको को जानने
के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते है.
प्रार्थना का महत्व |
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आदरणीय सादर नमस्ते प्रणाम
ReplyDeleteमै आर्धिक रूप से परेशान रहता हूँ किर्पया मुझे बताये की धन के लिए प्रार्थना किस प्रकार की जाये
मेरा emai id dsb11254@gmail.com
Bagwan ashirwad se he hum sub logo ko Sub Kush milta hai ya sub kush usi ka Hari Om Nmo Shivai Nmo Har Har Mahadev Bollo
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