खांसी की चिकित्सा
खांसी गले के एक ऐसा रोग है
मानो ज्यादा समय तक हो जाये तो फांसी के समान ही लगने लगती है. खांसी अन्य रोगों
के साथ और गंभीर होती है. जैसे किसी को बुखार हुआ हो तो खांसी भी हो जाती है.
आयुर्वेद में इस रोग की चिकित्सा के तरीके भी निजात किये हुए है.
आयुर्वेद में खांसी के
प्रकारों की जिक्र है जो इस तरह से है :
1.
वातज
2.
पित्तज
3.
कफज
4.
उरक्षत जन्य कास
या खांसी
5.
क्षयकास ( धातुक्षय
होने से होने वाली खांसी ). CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Ayurvedic Treatment for Dry Cough |
वातज में खांसी के प्रकार
इस तरह से होती है कि उनका दर्द शरीर के कुछ हिस्सों में होता है जैसे हृदय में
दर्द, इसके साथ शरीर के बाकी हिस्सों में भी बहुत दर्द होता है जैसे कि कनपटी,
पसली, उदार, और सर में. इस प्रकार की खांसी में मुख सुख जाता है. ठीक से बोलने में
भी परेशानी होती है और खांसी सुखी होती है बिना कफ वाली होती है.
पित्तज प्रकार की खांसी में
लक्षण विपरीत होते है. इस प्रकार की खांसी में साइन में दर्द होता है, खांसी होने
पर बुखार भी महसुस होता है. मुह हमेशा कडवा रहता है. खाने में स्वाद का अनुभव भी
नहीं होता. कभी कभार उल्टी भी हो सकती है.
मुह पर पीलापन आ जाता है.
कफज खांसी में सर में बहुत
दर्द रहता है, व्यक्ति खाने में रूचि नहीं लेता है, हर समय शरीर भारी भारी सा लगता
है. खांसी के साथ मुंह से कफ गिरता है जो बहुत ही बुरा लगता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Khaansi ki Chikitsa |
उरक्षत जन्य कास में खांसी
के कारण फेफड़ो में घाव हो जाते है. इस तरह की खांसी में छोटे छोटे काम करने से
जिनमे थोडा परिश्रम करना पड़ता उनमे भी खांसी बार बार उठती है, जैसे की अधिक वजन
उठाने से, ज्यदा देर तक पैदल चलने से, अधिक मैथुन करने से. शुरुआत में खांसी सुखी
होती है परन्तु ज्यादा देर तक रहने से खांसी के साथ खून निकलने लगता है. इसके कारण
ऐसा अनुभव होता है जैसे शरीर में सुई चुभ रही हो. इसके अलावा सरे शरीर में दर्द
रहता है जैसे गले में, हृदय मे, इसके साथ ही बुखार और प्यास का अनुभव भी होता है.
गले में घरघराहट होती है.
क्षयकास
में शरीर काफी कमजोर हो जाता है, शरीर के ज्यादातर अंगो में दर्द रहता है. बुखार
भी कभी कभी हो जाता है, खांसी सुखी होती है और कभी कभी जोर से खांसने पर कफ की जगह
पर खून भी निकल आता है. इसमें शरीर में काम कारने की शक्ति काफी कम हो जाती है और
शरीर टुटा सा रहता है.
हम आपको एक लाभकारी योग के
बारे में बताने जा रहे है जो सभी प्रकार की खांसी में लाभकारी होती है इस प्रकार
है :
सत मुलहठी, वंशलोचन व्
छोटी इलायची के 10 – 10 ग्राम दाने ले, अब इनमे दालचीनी, कीकर का गोंद, कतीरा
गोंद, लेकर इनकी 5 – 5 ग्राम मात्रा लेकर व् इनके साथ छोटी पीपल 2 ग्राम लेकर
बारीक कूट ले. अब इनको छान ले और इसमें शहद मिलकर रख दे. अब इस बनी हुयी दवाई के लिए
शीशे या कांच दोनों में से कोई भी हो उसमे रख ले. इस औषधि को आप दिन में तीन से
चार बार इस्तेमाल करे और इसके मात्र केवल 2 से 3 ग्राम तक ही ले. इससे आप पुरानी
से पुरानी खांसी का इलाज मिनटों में कर सकते है. और कसी भी प्रकार की सुखी खांसी
में तो यह बहुत ही असर् दारक है. तो अब आपको किसी भी प्रकार की खांसी से डरने की
जरुरत नहीं है. आप इसका इलाज स्वयं ही कर सकते है.
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