पुर्नजन्म के
संकेत – मनुष्य की मृत्यु
के 13 दिन बाद उसके अगले जन्म के बारे में जानकारियां मिल सकती है जैसेकि उसका
अगला जन्म कब और कहाँ होगा. इसके लिए आपको उस मनुष्य की पुण्य चक्र को बनवाना
होगा. इसे आप उस मनुष्य की मृत्यु के समय बनवा सकते है उसे भी कुंडली ही कहा जाता
है और उसी का नाम पुण्य चक्र है.
जातक – पारिजात में
मृत्युपरांत गति के बारे मे भी बताया गया है, उसके अनुसार अगर मनुष्य के मरण काम
में लग्न में सूर्य या मंगल हो तो उसकी गति मृत्यलोक में होगी, यदि लग्न में मरण
काल में लग्न में गुरु हो तो जातक की गति देवलोक में होती है, लग्न में अगर
चंद्रमा या शुक्र है तो उसकी गति पितृलोक में होगी और यदि लग्न में बुध या शनि हो
तो नर्क लोक में जाता है. लेकिन जातक के बाहरवें स्थान में शुभ ग्रह हो, द्वादशेश
ग्रह बलवान होकर शुभ ग्रह से दृष्टि हो तो जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ
ही अगर जातक की जन्म कुंडली में गुरु और केतु का संबंध द्वादश भाव से हो तो इससे
भी जातक के मोक्ष प्राप्ति के योग बनते है. किन्तु जातक के बाहरवें भाव में शनि,
राहू या केतु की युति अष्टमेश के साथ हो, तो जातक को नर्क की प्राप्ति होती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
पुर्नजन्म के संकेत |
ज्योतिष शास्त्र
के अनुसार जन्मपत्रिका का प्रेत आत्माओ से बहुत गहरा संबंध होता है. जन्मपत्री में
गुरु, शनि और राहू की स्थिति से जातक की आत्मा के पूर्व जन्म के कर्म के आधार पर
प्राप्त फल या प्रभाव को बतलाती है. शनि के पहले घर और शनि के बाद के घर में राहू
की उपस्थिति या दोनों की युति और इनके साथ गुरु के होने की दृष्टी या प्रभाव जातक
पर प्रेत आत्माओ के प्रभाव को बढ़ा देती है.
Sign of Reincarnation
आपकी जन्म
पत्रिका को गुरु, शनि और राहू किस तरह से प्रभावित करते है इस बारे में कुछ उदहारण
निम्नलिखित है –
·
लग्न में गुरु की
स्थित होंना जातक के पूर्वजो की आत्मा का आशीर्वाद या फिर दोष दिखाता है. इन जातको
को अकेले में या फिर जब वे पूजा कर रहे होते है तो उन्हें अपने पूर्वजो का आभास भी
होता है. इन जातको को अमावस्या के दिन दूध का दान करना चाहिए.
·
अगर जातक के
दुसरे और आठवे स्थान में गुरु स्थित है तो ये स्थिति बताती है कि जातक अपने पूर्व
जन्म में या तो संत था या फिर संत की परवर्ती का था, इसके साथ ये भी पता चलता है
कि उसकी कुछ अतृप्त इच्छाओ के पूरा न होने पर उस जातक को दुबारा जन्म लेना पड़ा है.
इन जातको का एक संपन्न घर में जन्म होता है. साथ ही ये अपने पुर्नजन्म में धार्मिक
प्रवृति के जीवन को बिताते है. इन जातको का जीवन साधारण होता है लेकिन इनका पूरा
जीवन सुखमय स्थिति में व्यतीत होता है और अंत में ये जातक एक अच्छी और सम्मानित
मृत्यु को प्राप्त होते है.
·
गुरु का तीसरे
स्थान पर होने का अर्थ है कि जातक के पूर्वजो में से कोई स्त्री सती हुई थी और
उनका आशिर्वाद इन जातको पर हमेशा होता है. इसी वजह से इन जातको का पूरा जीवन सुख
शांति से भरा होता है और इनके जीवनकाल में इन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना
नहीं करना पड़ता.
PunarJanam ke Sanket |
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