मॉडेम और उसके प्रकार
मॉडेम ( Modulator – Demodulator ) का इस्तेमाल डाटा को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर तक
भेजने या पाने के लिए किया जाता है, जिसके लिए ये टेलीफोन लाइन्स का इस्तेमाल करता
है. कंप्यूटर नेटवर्क डिजिटल मोड पर काम करता है. जबकि कंप्यूटर की एनालॉग तकनीक
फ़ोन लाइन से मेसेज को पाती है. मॉडेम का Modulator कंप्यूटर से और बाकी के
डिजिटल डिवाइस से जा रहे डिजिटल सिग्नल को ठीक करता है और उन्हें एनालॉग सिग्नल तक
पहुंचता है जो टेलीफोन लाइन की कॉपर वायर के जरिये आते है. फिर उन इनकमिंग सिग्नल
को Demodulate करता है और उन्हें फिर डिजिटल सिग्नल में बदल दिया जाता है
ताकि डिजिटल डिवाइस उसे समझ सके. इसके अलावा एक कंप्यूटर मॉडेम फ़ोन की ध्वनि को भी
इस्तेमाल करके काम करता है और उसे कंप्यूटर की भाषा में बदल देता है. अगर आसान
भाषा में कहें तो मॉडेम के Modulator को आप sender कह सकते हो क्योकि ये पहले लाइन के जरिये डाटा को सिग्नल
में बदलता है जबकि मॉडेम के Demodulator को receiver कहा जा सकता है क्योकि ये सिग्नल को दुबारा डिजिटल डाटा
में बदलता है.
मॉडेम कैसे काम करता है?
जब भी किसी एनालॉग फैसिलिटी
का इस्तेमाल दो डिजिटल यंत्रो के बीच डाटा के संचार के लिए किया जाता है तो उन्हें
DTE ( Data Terminal Equipment ) कहा जाता है. मॉडेम तभी काम करता है जब दोनों डिजिटल
यंत्रो में मॉडेम का इस्तेमाल किया जा रहा हो. DTE या तो कोई कंप्यूटर हो
सकता है या फिर कोई टर्मिनल. मॉडेम ( जहाँ से सिग्नल को प्रसारित किया जा रहा है ) DTE द्वारा बनाये डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में बदल देता
है. अब वो मॉडेम ( जो सिग्नल प्राप्त कर रहा है ) इन एनालॉग सिग्नल
को डिजिटल सिग्नल बना कर DTE को दे देता है.
इन दोनों मॉडेम के बीच के
काम करने के तरीके को एक टेलीफोन सर्किट कहा जा सकता है. अगर आप एक स्विच टेलीफोन
सर्किट का इस्तेमाल कर रहे हो तो आपके मॉडेम को लोकल टेलीफोन के साथ जुड़ना होना.
ताकि जब भी दो मॉडेम के बीच डाटा को भेजा जाये तो दोनों मॉडेम इन टेलीफोन के सहारे
एक दुसरे से जुड़ सके. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Modem and Its work |
मॉडेम के प्रकार :
मॉडेम कई तरह के होते है
लेकिन उन्हें काम करने के तरीके और उनके फीचर को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन
भागो में बांटा जाता है.
1.
Directional
Capacity : Half duplex modem and full duplex modem
2.
Connection
to the line : 2 – wire modem and 4 – wire modem
3.
Transmission
mode : asynchronous modem and synchronous modem
·
Half Duplex and Full Duplex Modem :
Half Duplex :
1.
ये एक समय में सिर्फ
एक ही तरफ से प्रसार के लिए अनुमति देता है.
2.
अगर किसी संवाहक को
मॉडेम की लाइन पर पकड़ा जाता है तो इस सिग्नल के आने की जानकारी सीधे DTE के पास जाती है.
3.
जब तक डाटा आ रही है
तब तक मॉडेम DTE को आगे सिग्नल भेजने की अनुमति नही देता है.
Full Duplex :
1.
ये डाटा को दोनों
तरफ से काम करने और डाटा को प्रसार करने की अनुमति देता है.
2.
इसीलिए इसमें दो
संवाहक लाइन होती है, पहली भेजने के लिए और दूसरी पाने के लिए.
3.
इनके डाटा के संचार
के लिए मॉडेम 2 वायर या फिर 4 वायर का होता है.
4.
4 वायर मॉडेम
कनेक्शन में तारो का एक जोड़ा संवाहक के आने के लिए होता है और दूसरा जोड़ा संवाहक
के जाने के लिए.
Modem or uske Karya |
·
2 – wire
Modem :
-
2 वायर मॉडेम एक ही तार को संवाहक के आने और जाने के लिए इस्तेमाल
करता है.
-
2 वायर कनेक्शन की
कीमत 4 वायर कनेक्शन से कम होती है.
-
2 वायर कनेक्शन में
डाटा का संचार टेलीफोन की मदद से किया जाता है.
-
2 वायर कनेक्शन में Half duplex mode of Transmission का इस्तेमाल इन्कमिंग और आउटगोइंग के लिए आसानी से किया
जाता है. ये सिर्फ एक फ्रीक्वेंसी पर काम करता है.
-
लेकिन Full duplex mode of Transmission के लिए दो ट्रांसमिशन चेंनेल का होना बहुत जरुरी है. पहला
जो डाटा को प्रसारित कर सके और दूसरा जो डाटा को ले सके. ये दो फ्रीक्वेंसी पर काम
करता है.
·
Asynchronous
Modem:
-
ये मॉडेम डाटा की
बाइट ( Bytes ) को स्टार्ट और स्टॉप बिट की मदद से आसानी से संभल लेता है.
-
मॉडेम और DTE के बीच में कोई अलग
अलग टाइमिंग नही होती.
-
इस मॉडेम में पल्स
को स्टार्ट करने के लिए इंटरनल पल्सेस की टाइमिंग को Synchronized किया जाता है.
·
Synchronous
Modem :
-
ये डाटा के लगातार
बहाव को आसानी से संभल सकता है लेकिन इसको कुछ क्लॉक सिग्नल की जरूरत पड़ती है.
-
डाटा की हर बिट को
क्लॉक सिग्नल के द्वारा synchronized किया जाता है.
-
डाटा बिट को
प्रसारित करने के लिए और डाटा बिट को पाने के लिए इनमे अलग अलग क्लॉक का इस्तेमाल
होता है.
-
डाटा के Synchronous transmission के लिए, DTE अपनी इंटरनल क्लॉक का इस्तेमाल कर सकता है.
मॉडेम के लाभ :
-
इसका इस्तेमाल
इन्टरनेट कनेक्शन के लिए किया जाता है.
-
ये डिजिटल सिग्नल को
एनालॉग सिग्नल में बदल सकता है.
-
मॉडेम डाटा के संचार
के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे प्रचलित साधन है.
-
ये टेलीफोन की लाइन
से दो कंप्यूटर को आसानी से जोड़ सकता है.
-
इसकी कीमत भी अधिक
नही होती.
मॉडेम के नुकसान :
-
इसके काम करने की
गति इसकी कीमत पर निर्भर रहती है.
-
ये सिर्फ LAN और इन्टरनेट के बीच
ही काम करता है.
-
ये इंटरमीडिएट ( Intermediate ) प्रकिर्या को नही समझता.
-
इसके कनेक्शन के लिए
आपको RJ11 जैक की जरूरत होती है तभी ये डाटा का संचार कर पता है.
नोट : मॉडेम हमेशा जोड़े में इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह मॉडेम एक विधुत से
संचालित ब्रिज ( Bridge ) की तरह दो संसारो को जोड़ता है – डिजिटल सिग्नल के संसार
को और एनालॉग सिग्नल के संसार को.
मॉडेम और उसके कार्य |
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