इष्ट देव चुनें
हर व्यक्ति अपनी
कामनाओं की पूर्ति और सुख समृद्धि पाने के लिए देवी देवताओं की पूजा, यज्ञ
अनुष्ठान करता है. किन्तु फिर भी उन्हें अपेक्षित लाभ नही मिलता, ना उनका कल्याण
होता है बल्कि उनके कष्ट और परेशानियाँ बढ़ने लगती है. इस स्थिति में लोग नासमझी
में कोई अनिष्ट कर देते है और अपने भाग्य में विकारो को आमंत्रित करते है. ये
स्थिति लोगो के मन में ये प्रश्न उठती है कि सबका कल्याण करने वाले देवता लोगो का
इस तरह से अनिष्ट कैसे कर सकते है. इसका उत्तर आपके पूजन, आपके कार्यो और गुणो से मिलता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
किस भगवान या देव की पूजा करें |
उदहारण के लिए सोचे
कि आप पूजा तो लक्ष्मी जी की कर रहे हो किन्तु अपने स्वास्थ्य का बिलकुल ध्यान नही
रखते और आपको कोई बीमारी घेर लेती है. इस तरह आप अस्पतालों में चक्कर लगते फिरते
हो आपकी लक्ष्मी जी की पूजा व्यर्थ हो जाती है. इसी तरह समझे कि आपका स्वभाव
क्रोधी और शीघ्र उत्तेजित होने वाला है और आप पूजा भी काली माँ और भैरव जी की कर
रहे हो, तो इस तरह भी आपकी पूजा व्यर्थ हो जाती है. चंचल परवर्ती के लोगो को देवी
दुर्गा जी की पूजा नही करनी चाहियें क्योकि ऐसा करने से उनकी चंचलता और सक्रियता
बढ़ जाती है और वे अपनी शांति को खो देते है. माना जाता है कि भावुक व्यक्तियों को
सरस्वती देवी की पूजा नही करनी चाहियें. इन सब बातो को देखने से पता चलता है कि हर
देवता सभी फलो की प्राप्ति के लिए उपयुक्त नही होता, अगर एक ही देवता आपको हर तरह
से सुख और शांति दे पाता तो इतने तरह के विभिन्न देवताओं की जरूरत ही नही होती.
देवताओं की पूजा से
संबंधित एक बात ये भी कही जाती है कि आप जिस देवी या देवता की पूजा करते हो, उसका
अर्थ है कि आप उस देवी या देवता को अपने अंदर बुला रहे हो. एक मत ये भी है कि सभी
देवी देवता मानव शरीर में ही वास करते है उनमे से आप जिस देव की पूजा करते हो उसकी
शक्ति बढ़ जाती है और वो आपके शरीर की सारी उर्जा का संचालन करने लगता है. अगर आप
ऐसे देव की पूजा करते हो जो पहले से ही आपकी कुंडली में हावी है तो इससे उस देव की
शक्ति इतनी अधिक हो जाती है कि उसके प्रभाव विनष्टकारी हो जाते है. उदहारण के लिए
अगर आपका स्वभाव पहले से ही क्रोधी है और आप काली माता की पूजा करने लगते हो तो
आपका क्रोध इतना बढ़ जाता है कि उसके अनर्थकारी परिणाम आपके सामने होते है. ऐसा
माना जाता है कि इस स्थिति में जातक आत्महत्या कर सकता है, जेल जा सकता है और इस
स्थिति में इनके लिए कलह कटुता तो सामान्य बात होती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Isht Dev ka Chunav kaise Karen |
इस बात से ये पता
चलता है कि हर देवी या देवता प्रकृति और ब्रह्माण्ड के सिर्फ एक निश्चित गुण और
उर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. तो जब आप उस निश्चित गुण के प्रतिनिधि देवी या
देवता की मंत्रो और पूजन विधि से पूजा करते हो तो उसके गुण में एक विशेषता आ जाती
है और उस गुण की अति होने से आपको हानि होने लगती है. तो आपको सिर्फ उस गुण वाले
देवी या देवता की पूजा करनी चाहियें जिसके गुण की आपको जरूरत हो, ताकि आपको अधिक
से अधिक लाभ प्राप्त हो सके.
आपने देखा होगा कि
ज्योतिष शास्त्र में जब किसी रत्न, ताबीज या अंगूठी आदि का चुनाव करना होता है तो
अनेक तरह की सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है. किन्तु जब व्यक्ति कोई पूजा या
अनुष्ठान करता है तो वो किसी तरह की सावधानी नही बरतता, इसका परिणाम ये होता है कि
वो परिश्रम भी करता है और उसे लाभ भी प्राप्त नही होता. अतः निष्कर्ष ये निकलता है
कि व्यक्ति को पूजा करने के लिए उस देवी या देवता को चुनना चाहियें जिसके गुण की
आपमें कमी हो नाकि उसकी जिसका गुण आपमें पहले से ही समाहित हो.
Kis Bhagwan ya Dev ki Pooja Karen |
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To bhir kis ki puja kre
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