अंगूर एक ऐसा फल ही जो शायद
ही किसी को पसंद न हो. अंगूर का साइज भले ही देखने में छोटा हो परन्तु यह स्वाद,
पोष्टिकता में और फलों की तुलना में काफी गुणों से युक्त है. अंगूर से लगभग हर एक
मनुष्य परिचित जरूर होगा. अंगूर काफी उपयोगी फल है तथा इसका प्रयोग रोगी भी करते
है , रोगों से मुक्त होने के लिये क्योकि यह सभी मनुष्यों के अनुकूल सिद्ध होता
है.
अंगूर के पोधे को प्रमुख रूप से
समशीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेश में लगाया जाता है किन्तु उष्ण कटिबंधीय प्रदेशो में
भी इसकी खेती की जाती है. यह द्राक्षा कुई का फल है. अंगूर के पोधो की बेल होती है
जिसे लकड़ी के मचान के सहारे लगाया जाता है. इस बेल पर अंगूर के
गुच्छे लगे होते है. अंगूर के दो रंग होते है एक हरा रंग तथा दूसरा काला रंग.
अंगूर की पांच प्रकार की किस्मे होती दो प्रकार के अंगूर काले में पाए जाते है ततः
तिन प्रकार के अंगूर हरे रंग में पाए जाते है. अंगूरों से ही मुन्नका भी बनाया
जाता है . मुनक्का बनाने के लिए अंगूरों को पोधो से अलग नही किया जाता बल्कि
अंगूरों को पोधो पर ही पकने दिया जाता है तथा पोधे पर ही उसे सुखाकर मुनक्का बना
लिया जाता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Khatte Meethe Anguron ke Laabh |
अंगूर के लिए अलग - अलग भाषा में अलग – अलग
नाम है. इसे संस्कृत में द्राक्षा कहा जाताहै तथा हिंदी में इसे अंगूर के नाम से
जाना जाता है जो शायद और नामों से लोकप्रिय भी है. मराठी में इसे द्राक्ष कहा जाता
है तथा गुजरती में दराख नाम से लोग जानते है. बंगला में अंगूर से ही मिलता हुआ
शब्द आंगुर प्रयोग किया जाता है. तेलगु में इसे द्राक्षापाण्डू नाम से जाना जाता
है. कन्नड़ में संस्कृत से ही मिलता हुआ शब्द द्राक्षे नाम से लोग जानते है तमिल
में – कोडीमडी तथा फारसी में हिंदी भाषा में प्रयोग किया जाने वाला शब्द अंगूर ही
प्रयोग किया जाता है. अंग्रेजी में अंगूर के लिए इंग्लिश शब्द ग्रेप प्रयोग किया
जाता है. वैसे इसका लेटिन नाम – वोईटिस विनिफेरा है.
अंगूर मनुष्य के शरीर के लिए बेहद ही
लाभप्रद फल है. यह हमारे शरीर को बलदायक बनता है. इसको खाने से हमारे शरीर के खून
में वृद्धि होती है.अंगूर को खाने से हमारे शरीर की शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है.
यह फल वीर्यवर्धक तथा रक्त शोधक है. अंगूर गले को तृप्ती देने वाला तथा गले को
तरावट देने वाला फल है. इस फल को खाने से शरीर की प्यास भी बुझती है. अंगूर माँ के
दूध से भी ज्यादा पोष्टिक फल है तथा यह अत्यधिक पाचक भी है. दूध को पीने से किसी –
किसी मनुष्य के पेट में कब्ज भी हो जाती है परन्तु अंगूर का फल खाने से कभी कब्ज
होने का भय नही होता. स्वस्थ रहने के लिए यह मनुष्य के शरीर के लिए अत्यधिक
पोष्टिक फल है तथा यह अधिक सुपाच्य भी है. कुछ ऐसे रोग होते है जिनमे कुछ भी खान –
पीने की सलाह व्यक्ति को नही दी जाती ऐसि स्थिति में अंगूर बहुत ही उपयोगी सिद्ध होते है ऐसि बीमारी में
अंगूर तथा मुनक्का का सेवन करने में कोई भी परेशानी नही होती , बल्कि इसके सेवन
करने से रोग से जल्दी ही मुक्ति मिलती है. अंगूर और फलों की तुलना में बहुउपयोगी
फल है इसका प्रयोग किसी भी प्रकार से किया जा सकता है. इसका प्रयोग स्वस्थ व बीमार
व्यक्ति दोनों ही कर सकते है.
अंगूर
का प्रयोग करना आयुर्वेदिक दृष्टी से काफी लाभप्रद है. अंगूर खाने से शरीर
में शांति मिलती है. यह ज्वर,तृष, दाह, श्वास आदि कष्टों को शरीर से खत्म कर देता
है. यह शरीर के मांस में वृद्धि भी करता है. अंगूर का रस बहुत ही मधुर होता है. य नेत्रों की ज्योति को बढ़ाने में भी सहायक
होता है.
पके हुए अंगूर स्वाद में बहुत ही मीठे
तथा दस्तावर होते है. यह शरीर को शीतलता प्रदान करता है. पके हुए अंगूर पुष्टिदायक
होते है. कच्चे अंगूर की तुलना में पके हुए अंगूरों में काफी गुण होते है. ताजे व
मीठे अंगूरों से छाती के बहुत से रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. पके हुए अंगूर
को खाने से शरीर का रक्त भी साफ हो जाता है.
खट्टे मीठे अंगूरों के लाभ |
अंगूर में विभन्न प्रकार के पोषक
तत्वों की मात्रा भी विद्यमान होती है जिससे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता मिलती
है. अंगूर में आद्रता की मात्रा 72.8 से लेकर 77.2 प्रतिशत विद्यमान होती है. भस्म
की मात्रा अंगूर में 0.36 से लेकर करीब 0.64 प्रतिशत होता है. अंगूरों में अम्लता
0.23 से 0.53 प्रतिशत तक होती है.अंगूर में शर्करा की मात्रा 15.69 से 18.60
प्रतिशत होती है.अंगूर में 82 ग्राम पानी की मात्रा होती है.0.8 ग्राम तक प्रोटीन
की मात्रा होती है. 0.4 ग्राम वसा अंगूर में होती है तथा 2.8 ग्राम रेशा होता है.
जो की एक स्वस्थ संतुलित आहार का सूचक है. अंगूर में विटामिन ए के साथ –साथ
विटामिन बी और विटामिन की की मात्रा भी विद्यमान होती है. अंगूर में इन सब पोषक
तत्वों के इलावा कुछ र्स्र्यनो की मात्रा भी विद्यमान होती है. अंगूर में शरीर में
पानी की मात्रा को पूरा करने के लिए ग्लूकोस भी होता है.अंगूर में गोंद की कुछ
मात्रा होती है. इसमें कषाय द्रव भी सम्मिलित होता है टार्टरिक ,साइट्रिक , और
मोलिक असिड भी होता है. सोडियम और पोटेशियम क्लोराइड जसे महत्वपूर्ण रसायन भी
विद्यमान होते है. अंगूर में पोटेशियम सल्फेट , टार्टरेट ऑफ लाइम , फिटकरी , लौहो
, मैग्नीशियम भी होता है. अंगूर में बहुत ही काम मात्रा में ऐब्युमिन तथा एसिड
टार्टरेट ऑफ पोटाशियम विद्यमान होता है.
अंगूरों को केवल फल के रूप में ही
नही खाया जाता बल्कि इसे पकाकर इससे किसमिस और मुनक्का भी बनाया जाता है. जिन्हें
हम सूखे मेवे के रूप में भी प्रयोग कर सकते है. ऐसा माना जाता है की अंगूर मुनक्का
की युवा अवस्था है तो किसमिस अंगूर की वृद्धा अवस्था है. मुनक्का तथा किसमिस में
अंगूर की भांति विभिन्न प्रकार के रसायण तथा पोषक तत्व शामिल होते है. जो की शरीर
की शक्ति, ऊर्जा में बढ़ोतरी के लिए लाभप्रद होती है. मुनक्का में केल्शियम ,मैग्नीशियम
, पोटेशियम और लौहो जैसे आवश्यक तत्व विद्यमान होते है. मुनक्का में अंगूर की ही
भांति गोंद की तथा शर्करा की मात्रा भी होती है.अंगूर , क्स्मिस एवं मुनक्का में
सभी तत्व समान मात्रा में पाए जाते है तथा एक के न होने पर उसकी जगह हम दुसरे का
सेवन कर सकते है.जैसे मुनक्का की जगह पर किसमिस या अंगूर को भी खाया जा सकता है
क्योकि तीनो में शरीर को हृष्ट – पुष्ट रखने की क्षमता होती है.
Benefits of Grapes in Hindi |
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