टॉन्सिल, कंठमाला (गिल्टी)
को दूर करने के उपाय
टॉन्सिल गले में होने वाली
बीमारी हैं. इस बीमारी के होने पर गले में सूजन आ जाती हैं. टॉन्सिल की बीमारी की
शुरुआत मौसम के परिवर्तन के कारण होती हैं. टॉन्सिल की बीमारी ख़ासी – जुखाम की
बीमारी के कारण भी हो जाती हैं. यह बीमारी ज्यादा दिनों तक होने पर एक भयंकर
बीमारी का रूप धारण कर लेती हैं. इस लिय इस बीमारी को बढने न दे तथा समय रहते ही
इसका ईलाज कराये. टॉन्सिल की बीमारी को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपायों को भी
अपनाया जा सकता है. जो की निम्नलिखित हैं.
1.
टॉन्सिल की बीमारी
को दूर करने के लिए सूखे हुए अंजीर से बने लेप के उपयोग किया जा सकता हैं. सूखे
हुए अंजीर से लेप बनाने के लिए एक बर्तन में पानी उबालने के लिए रख दे. उस पानी
में सूखे हुए अंजीर को पानी में डाल कर थोड़ी दर तक उबाल लें. पानी को उबालने के
बाद पानी में अंजीर को अच्छी तरह से मसल ले. अब इस लेप को गले पर लगाये. आपके गले
की सुजन ठीक हो जाएगी, तथा जल्दी ही यह बीमारी खत्म हो जाएगी.
2.
सरसों के बीज, सहिजन
के बीज, सन के बीज, जौ, अलसी, मूली के बीज आदि को मिलाकर लेप तैयार करके उसे गले
पर लगाने से टॉन्सिल की बीमारी ठिक हो जाती हैं. इसके लिए सभी बीजों की समान मात्रा
में ले लें. अब इन सभी को खुब बारीक़ पीस लें, और लेप तैयार कर लें. अब इस लेप को
अपने गले की टॉन्सिल पर लगाये. आपके गले की सूजन खत्म हो जाएगी.
3.
जलकुम्भी की भस्म का
प्रयोग करने से पुराने से पुराने टॉन्सिल की बीमारी को ठीक किया जा सकता हैं. इसके
लिए थोड़ी सी जलकुंभी की भस्म लें. अब इस भस्म में 10 या 12 बूंद सरसों के तेल की
डाले और अच्छे से मिलाकर लेप बना ले. फिर इस लेप को अपने गले पर लगा लें. इस लेप
को लगाने से आपके गले की टॉन्सिल बहुत ही जल्दी ठीक हो जाएगी. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Tonsils Ayurvedic Remedies |
4.
केले के छिलकों से
भी टॉन्सिल की बीमारी ठीक हो जाती है. इसके लिए केले के छिल्को को अपने गले में
बांध लें. केले के छिलकों को गले में बांधने से गले की सूजन में राहत मिलेगी.
5.
प्याज के पुल्टिस
बांधने से भी कंठमाला की बीमारी ठीक हो जाती हैं. इसके लिए प्याज को घी में भुन
लें. भुने हुए प्याज की पुल्टिस बनाकर गले में बांध लें. आपके गले की टॉन्सिल की
बीमारी तीन या चार दिन में ही खत्म हो जाएगी.
6.
कंठमाला की बीमारी
को दूर करने के लिए लस्सी व आक के जड की लेप के प्रयोग करने से बहुत ही लाभ होता
है. इसके लिए चार या पांच दिन की खट्टी – बासी लस्सी लें. थोड़ी सी आक की जड लें,
और इसे पीस लें. अब आक की पीसी हुई जड़ के चुर्ण को लस्सी में मिला दें. लेप तैयार
हो जायेगा. अब इस लेप को गले पर लगायें. इस लेप को लगाने से गले का सारा कफ खत्म
हो जायेगा तथा गले का दूषित रक्त भी बाहर निकल जायेगा. इस लेप को प्रयोग करने से
गले की गिल्टियों में भी राहत मिलती है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Kanthmala ke liye Ayurvedic Chikitsa |
7.
मीठी लस्सी और सोंठ
का उपयोग करने से भी टॉन्सिल की बीमारी ठीक हो जाती है. इसके लिए एक गिलास लस्सी
लें. थोड़ी सी सोंठ ले और उसे पीस लें . अब सोंठ के चुर्ण को लस्सी में मिलाकर इसका
सेवन करे. गले की कंठमाला ठीक हो जाएगी. इस लस्सी को पीने से गले को ठंडक भी
मिलेगी.
8.
छाज लस्सी को ही
कहते है. इसका इस्तेमाल कई तरह से टॉन्सिल की बीमारी में किया जा सकता हैं.
टॉन्सिल की बीमारी से राहत पाने के लिए थोड़ी सी छाज लें. तीन या चार काली मिर्च
लें. काली मिर्च को पीस कर इसका चुर्ण बना लें. अब काली मिर्च को छाज में डाल मिला
कर लेप बना लें. अब इस लेप को गले पर लगाए. गले की टॉन्सिल की बीमारी में लाभ
होगा, तथा गले की गिल्टियाँ ठीक हो जाएगी.
कंठमाला के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा |
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Muja Actor banana hai main kya karu koi upaye batoo muja
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