ग्रहों की युति
जब दो ग्रह एक ही
राशि में हो तो इसे ग्रहों की युति कहा जाता है. साथ ही जब दो ग्रह एक दुसरे से
सातवें स्थान पर या 180 डिग्री पर होते है तो उन्हें उन ग्रहों की प्रतियुति कहा
जाता है. अगर अशुभ गृह की युति या प्रतियुति होती है तो उनका प्रभाव भी अशुभ ही
होता है. साथ ही शुभ गृह की युति और प्रतियुति शुभ प्रभाव देती है. शास्त्रों के
अनुसार ग्रहण से अभिप्राय आँखों से ग्रह ( वास्तु ) का ओझल हो जाने से होता
है. ग्रहण को दो प्रकार से बताया गया है, पहला पूर्ण ग्रहण जिसमे ग्रह पूरी तरह से
आँखों से ओझल को जाता है और दूसरा है आंशिक ग्रहण. इस स्थिति में ग्रह का कुछ
हिस्सा ही आँखों से ओझल होता है. अगर ग्रहों की बात की जाए तो हर ग्रह दुसरे ग्रह
से बहुत दूर होता है. बुध ग्रह सूर्य से लगभग 3 करोड़ 60 लाख मील दूर होता है, उसी
प्रकार शुक्र गृह सूर्य से 6 करोड़ 70 लाख मील दूर होता है और हमारी पृथ्वी गृह सूर्य
से 9 करोड़ 30 लाख मील दूर होती है. इसी प्रकार चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दुरी
2 लाख 40 हज़ार किलोमीटर है. जिस तरह सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है, उसी
प्रकार चन्द्रमा पृथ्वी के चारो और परिक्रमा करता है, और इसी वजह से चन्द्रमा, बुध
और शुक्र तीनो सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाते है. देखा जाए तो सभी ग्रह सूर्य
का चक्र लगाते रहते है और इसी वजह से सूर्य सभी ग्रहों के मध्य में स्थित है और जब
ये सभी ग्रह सूर्य का चक्र लगा रहे होते है तो एक स्थिति ऐसी उत्तपन होती है कि
सूर्य दो ग्रहों के मध्य आ जाता है. किन्तु ध्यान रहे की सूर्य कभी भी पृथ्वी और
चन्द्रमा के बीच नही आता, बल्कि चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है. इसी
स्थित को ग्रहण या युति कहा जाता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Grahon ki Yuti Kya hai |
जब दो ग्रहों के
बीच युति होती है तो इनकी अपनी रोशनी का दोनों तरफ प्रभाव पड़ता है. उसे व्रत कहा
जाता है. सभी ग्रहों में सूर्य गृह सबसे बड़ा ग्रह होता है. इसका व्रत 170,
चन्द्रमा का 120 और अन्य ग्रहों का 70 मिनट होता है. आमतौर पर दो मित्र ग्रहों की
युति होती है किन्तु कुछ जगह ऐसे भी है जो आपस में शत्रु होते है और उनकी युति के
प्रभाव भी बुरे होते है. जब कोई भी ग्रह सूर्य के साथ युति बनता है या सूर्य के
निकट भी आता है तो उसे सूर्य ग्रहण माना जाता है, इसे अस्त विकल भी कहा जाता है.
इस स्थिति में सूर्य के साथ युति बनाने वाला ग्रह कमजोर हो जाता है. जबकि चंद्र के
साथ युति बनाने पर इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है और इसके साथ युति बनाने वाल ग्रह
शक्तिशाली हो जाता है.
एक तरफ अनेक
ज्योतिषी ग्रहों के ग्रहण को अच्छा और फलित मानते है वहीँ दूसरी तरफ कुछ ज्योतिषी
ऐसे है जो सिर्फ सूर्य और चंद्र की युति को ही शुभ मानते है बाकी सभी ग्रहों की
युति को वे अशुभ बताते है. हर ग्रह और उनकी युति के अलग अलग परिणाम होते है और
उन्ही को आज हम आपको यहाँ समझाने की कोशिश कर रहे है. तो आइये देखते है अलग अलग
ग्रहों की युति और प्रतियुति के प्रभाव :
सूर्य की अन्य
ग्रह से युति :
- सूर्य – गुरु : जब ये दोनों एक युति में होते है तो इससे आपके
मान सम्मान में वृद्धि होती है, साथ ही इससे उच्च शिक्षा, दूरस्थ प्रवास और बौधिक
क्षेत्र में असाधारण यश प्राप्त होता है.
- सूर्य – शुक्र : ये योग आपको कला के क्षेत्र में विशेष फल
दिलाता है. इस योग में आपके विवाह और प्रेम संबंधो में भी नाटकीय स्थितियां उत्तपन
होती है.
- सूर्य – बुध : इस योग से व्यक्ति का व्यवहार कुशल हो जाता है.
साथ ही व्यक्ति के व्यापार और व्यवसाय में भी उन्नति होने लगती है. इन्हें कर्ज
आसानी से मिल जाता है और ये आसानी से अपने कर्ज को उतर भी देते है.
- सूर्य – मंगल : इन ग्रहों की युति से जातक की इच्छाएं बहुत बढ़
जाती है, साथ ही इनकी इच्छाशक्ति भी बढ़ जाती है और ये युति जातक को साहसी भी बनता
है. ऐसे जातक हर क्षेत्र में अपनी योग्यताओ को श्रेष्ठ सिद्ध करता है.
- सूर्य – शनि : इस योग को अत्यंत ही अशुभ योग माना जाता है क्योकि
इस योग से बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में देर से सफलता मिलती है और सफलता को
पाने के लिए उन्हें बहुत मेहनत भी करनी पड़ती है. इन ग्रहों की युति होने से पिता
और पुत्र के बीच के संबंध में वैमनस्य की कमी होती है और इनका भाग्य भी कभी इनका
साथ नही देता.
- सूर्य – चन्द्र : अगर इन दोनों में चन्द्रमा शुभ योग में है तो आपका मान सम्मान बढेगा, इसके
अशुभ होने से ये आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है.
चन्द्र – मंगल : यह योग व्यक्ति को जिद्दी बना देता है, साथ ही
व्यक्ति की महत्वाकांक्षी बना देता है. इनसे आपको यश की प्राप्ति तो जरुर होती है
किन्तु ये आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इससे आपको रक्त से सम्बंधित रोग हो
सकता है.
Grahon ki Yuti Kya hai |
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कृक लग्न मे चंद्रमा के साथ शनि के प्रभाव और उपाय
ReplyDeletechandra+ketu ki yuti ka fal
ReplyDeleteGuruji mere kundli Mae 12 house Mae tula rashi Mae shukra .bush.guru.rahu.surya ek sath Bethe hae pleas reply
ReplyDeletesukra aur surya ka yuti dhan bhab me hae singh lagna bale ke liye bataye
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