ध्यान के प्रकार :
ध्यान को उनके करने की विधि
और उनके ध्यान लगाने वाले केंद्र के अनुसार कई भागो में बांटा गया है जो
निम्नलिखित है -
- भृकुटी ध्यान ( Third Eye Meditation ) : इसे तीसरी आँख पर ध्यान केन्द्रित करने वाला ध्यान माना
जाता है. इसके लिए व्यक्ति को अपनी आपको को बंद करके, अपना सारा ध्यान अपने माथे
की भौहो के बीच में लगाना होता है. इस ध्यान को करते वक़्त व्यक्ति को बाहर और अंदर
पुर्णतः शांति का अनुभव होने लगता है. इन्हें अपने माथे के बीच में ध्यान
केन्द्रित कर अंधकार के बीच में स्थित रोशनी की उस ज्वाला की खोज करनी होती है जो
व्यक्ति की आत्मा को परमात्मा तक पहुँचाने का मार्ग दिखाती है. जब आप इस ध्यान को
नियमित रूप से करते हो तो ये ज्योति आपके सामने प्रकट होने लगती है, शुरुआत में ये
रोशनी अँधेरे में से निकलती है, फिर पीली हो जाती है, फिर सफ़ेद होते हुए नीली हो
जाती है और आपको परमात्मा के पास ले आती है.
- श्रवण ध्यान ( Listening / Nada Meditation ) : इस ध्यान को सुन कर किया
जाता है, ऐसे बहुत ही कम लोग है जो इस ध्यान को करके सिद्धि और मोक्ष के मार्ग पर
चलते है. सुनना बहुत ही कठिन होता है क्योकि इसमें व्यक्ति के मन के भटकने की
संभावनाएं बहुत ही अधिक होती है. इसमें आपको बाहरी नही बल्कि अपनी आतंरिक आवाजो को
सुनना होता है, इस ध्यान की शुरुआत में आपको ये आवाजे बहुत धीमी सुनाई देती है और
धीरे धीरे ये नाद में प्रवर्तित हो जाती है. एक दिन आपको ॐ स्वर सुनाई देने लगता
है. जिसका आप जाप भी करते हो. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
ध्यान के विभिन्न प्रकार |
- प्राणायाम ध्यान ( Breath Focus Meditation ) : इस ध्यान को व्यक्ति अपनी
श्वास के माध्यम से करता है, जिसमे इन्हें लम्बी और गहरी साँसों को लेना और छोड़ना
होता है. साथ ही इन्हें अपने शरीर में आती हुई और जाती हुई साँसों के प्रति सजग और
होशपूर्ण भी रहना होता है. प्राणायाम ध्यान बहुत ही सरल ध्यान माना जाता है किन्तु
इसके परिणाम बाकी ध्यान के जितने ही महत्व रखते है
- मंत्र ध्यान ( Mantra Meditation ) : इस ध्यान में व्यक्ति को अपनी आँखों को बंद करके ॐ मंत्र का
जाप करना होता है और उसी पर ध्यान लगाना होता है. क्योकि हमारे शरीर का एक तत्व
आकाश होता है तो व्यक्ति के अंदर ये मंत्र आकाश की भांति प्रसारित होता है और
हमारे मन को शुद्ध करता है. जब तक हमारा मन हमे बांधे रखता है तब तक हम इस ध्वनि
को बोल तो पाते है किन्तु सुन नही पाते लेकिन जब आपके अंदर से इस ध्वनि की साफ़
प्रतिध्वनि सुनाई देने लगती है तो समझ जाना चाहियें कि आपका मन साफ़ हो चूका है. आप
ॐ मंत्र के अलावा सो-ॐ, ॐ नमः शिवाय, राम, यम आदि मंत्र का भी इस्तेमाल कर सकते
हो.
- तंत्र ध्यान ( Tantra Meditation ) : इसमें व्यक्ति को अपने मस्तिष्क को सिमित रख कर, अपने अंदर
के आध्यात्म पर ध्यान केन्द्रित करना होता है. इसमें व्यक्ति की एकाग्रता सबसे अहम
होती है. इसमें व्यक्ति अपनी आँखों को बंद करके अपने हृदय चक्र से निकलने वाली
ध्वनि पर ध्यान लगता है. व्यक्ति इसमें दर्द और सुख दोनों बातो का विश्लेषण करता
है.
- योग ध्यान ( Yoga Meditation ) : क्योकि योग का मतलब ही जोड़ होता है तो इसे करने का कोई एक
तरीका नही होता बल्कि इस ध्यान को इनके करने की विधि के अनुसार कुछ अन्य ध्यानो
में बांटा गया है. जो निम्नलिखित है -
Dhyan ke Vibhinn Prkar |
·
चक्र ध्यान ( Chakra Meditation ) : व्यक्ति के शरीर में
7 चक्र होते है, इस ध्यान को करने का तात्पर्य उन्ही चक्रों पर ध्यान लगाने से है.
इन चक्रों को शरीर की उर्जा का केंद्र भी माना जाता है. इसको करने के लिए भी आँखों
को बंद करके मंत्रो ( लम, राम, यम, हम आदि ) का जाप करना होता है. इस ध्यान में ज्यादातर हृदय
चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है.
·
दृष्टा ध्यान ( Gazing meditation ) : इस ध्यान को ठहराव भाव के साथ आँखों को खोल कर किया जाता
है. इससे अर्थ ये है कि आप लगातार किसी वास्तु पर दृष्टी रख कर ध्यान करते हो. इस
स्थिति में आपकी आँखों के सामने ढेर सारे विचार, तनाव और कल्पनायें आती है. इस
ध्यान की मदद से आप बौधिक रूप से अपने वर्तमान को देख और समझ पाते हो.
·
कुंडलिनी ध्यान ( Kundalini Meditation ) : इस ध्यान को सबसे
मुश्किल ध्यान में से एक माना जाता है. इसमें व्यक्ति को अपनी कुंडलिनी उर्जा को
जगाना होता है, जो मनुष्य की रीढ़ की हड्डी में स्थित होती है. इसको करते वक़्त
मनुष्य धीरे धीरे अपने शरीर के सभी आध्यात्मिक केन्द्रों को या दरवाजो को खोलता
जाता है और एक दिन मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. इस ध्यान को करने के कुछ खतरे भी
होते है तो इसे करने के लिए आपको एक उचित गुरु की आवश्यकता होती है.
Types of Meditations |
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Hello sir psychology typ ans de pls dhyan ki prakar
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