बाँझपन
माँ बनाना हर
स्त्री का सपना होता है, पर कुछ महिलाये इस सुख से वंचित रह जाती है या फिर बहुत
देर से ग्राभधारण करती है. इस स्थिति में वे बहुत निराश हो जाती है और समाज भी उन
पर ताने मारने लगता है. जब कोई स्त्री किसी कारणवश गर्भ धारण नही कर पाती तो उस
स्थिति को बांझपन कहते है. बाँझपन, प्रजनन की एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण किसी
महिला के गर्भधारण के विकृति आ जाती है. गर्भधारण एक जटिल प्रक्रिया है जो कई बातो
पर निर्भर होती है. जैसीकि पुरुष द्वारा स्वस्थ शुक्राणु तथा महिला द्वारा स्वस्थ
अंडो का उत्पादन, अबाधित गर्भ नलिकाएं ताकि शुक्राणु बिना किसी रूकावट के अंडो तक
पहुँच सके, मिलने के बाद अंडो को निषेचित करने के की शुक्राणु की क्षमता, निषेचित
अंडो की महिला के गर्भाशय में स्थापित होने की क्षमता और गर्भाशय की स्थिथि. इसके
अलावा गर्भ के पुरे समय तक जारी रखने के लिए गर्भाशय का स्वस्थ होना और गर्भ में
बच्चे के विकास के लिए महिला के होरमोन का अनुकूल होना. अगर इनमे से किसी एक में
भी कोई विकृति आ जाती है तो महिला में इसका परिणाम बांझपन हो सकता है.
ज्योतिष शास्त्र
में भी जिस स्त्री की कुंडली में बांझपन का योग होता है उसे मातृत्व से वंचित रहना
पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में किसी भी स्त्री की कुंडली में बांझपन के योग तब बनते
है जब उनके गर्भ से सम्बंधित ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं होती है. इन्ही ग्रहों
को ध्यान में रख कर ज्योतिष शास्त्र में बांझपन को दूर करने के उपाय भी मिलते है.
तो आओ जानते है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बांझपन से मुक्त होने के क्या उपाय है
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Banjhpan Yog Kyon hota hai |
बाँझपन के ज्योतिषीय
कारण और उपाय :
-
अगर किसी स्त्री
की कुंडली के पंचम भाव का स्वामी सप्तम में या फिर सप्तमेश भाव का स्वामी सभी तरह
के क्रूर ग्रहों से युक्त है तो उस स्त्री को बाँझपन होने की सम्भावना होती है. इन
स्त्रियों को पंचम और सप्तम ग्रह में युक्त इन क्रूर ग्रहों के उपचार के लिए
इन्हें दूध का सेवन कराना चाहिए.
-
अगर स्त्री के
पंचम भाव में राहू है और उस पर शनि की दृष्टी भी है. साथ ही सप्तम भाव पर मंगल और
केतु की नजर है और शुक्र अष्टमेश हो तो स्त्री को संतान को पैदा करने में समस्याओ
का सामना करना पड़ेगा. इन स्त्रियों को हरिवंश पुराण का जाप करना चाहिए.
-
अगर स्त्री के
सप्तम भाव में सूर्य और शनि नीच का हो तो उस स्थिति में भी स्त्री को संतान
प्राप्ति में समस्या उठानी होगी.
-
साथ ही अगर किसी
स्त्री की कुंडली का पंचम भाव बुध से पीड़ित हो या सप्तम भाव में शत्रु राशी या नीच
का बुध हो तो स्त्री संतान को पैदा करने में असमर्थ होती है.
बांझपन के कुछ आम
कारण :
जरूरी नही है कि बाँझपन सिर्फ ग्रह दोष या कुंडली में अशुभ भाव के होने से ही
होता है. बाँझपन के कुछ आम कारण भी हो सकते है जैसेकि – CLICK HERE TO READ SIMILAR POSTS ...
बाँझपन योग क्यों होता है |
-
Ovulation समस्या
-
Tubal रूकावट
-
उम्र सम्बंधित
कारक
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गर्भाशय में
समस्या
-
क्षय रोग मतलब
टीबी
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पुरुष Hypospadias
-
पिछले युक्ताक्षर
का Tubal
-
पुरुष सम्बन्धी
बंध्यता
बाँझपन के घरेलू
उपचार :
बांझपन से बचाव
के कुछ घरेलू उपाय है जिनसे आप बाँझपन जैसी समस्या को दूर कर सकते हो.
1.
बाँझपन से पीड़ित
स्त्रियों को रोज गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच शहद और निम्बू का रस मिलकर पीना
चाहिए.
2.
इन्हें दूध की
जगह दही का उपयोग अधिक करना चाहिए.
3.
इन्हें ज्यादा
नमक, मिर्च – मसाले, तले भुने पदार्थ, चीनी, चाय और मैदे से बनी चीजों का सेवन नही
करना चाहिए.
4.
अगर ये स्त्रियाँ
कब्ज की बीमारी से पीड़ित है तो इन्हें अपना इलाज जल्द करना चाहिए.
5.
आप ऐसी सब्जियों
और फलो का सेवन करे जिनमे विटामिन सी और विटामिन ई की मात्रा अधिक हो जैसेकि
निम्बू, संतरा, आंवला, अंकुरित गेहू आदि.
6.
इन स्त्रियों को
सर्दियों के दिनों में दूध में 5 – 6 लहसुन की कली को मिला कर पीना चाहिए. इससे
स्त्रियों का बांझपन बहुत ही जल्दी दूर होता है.
7.
आप जामुन के
पत्तो का काढ़ा बना कर उसमे शहद मिला कर प्रतिदिन पियें आपको जरुर लाभ मिलेगा.
8.
इसके अलावा आप
बरगद के पेड़ की जड़ो को छाया में सुखा कर उसे पीस लें और उसका पाउडर बना लें. फिर
आप इसे तीन दिन लगातार रात के समय दूध के साथ लें. लेकिन ध्यान रहे कि इस क्रिया
को आप तब ही करें जब आपकी माहवारी समाप्त हो चुकी हो.
9.
स्त्री के बाँझपन
के रोग को ठीक करने के लिए आप 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण बना कर घी के साथ कम से कम 3
महीनो तक लेते रहे. इससे भी स्त्रियाँ गर्भधारण के योग्य हो जाती है.
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