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Ayurved mein Anjir ke Mahattav | आयुर्वेद में अंजीर का महत्तव | Importance of Fig in Ayurveda

1.       शरीर में रक्त की वृद्धि के लिए पके हुए अंजीर का सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है. रक्त की अंतर में वृद्धि के लिए दो पके हुए अंजीर को छिल ले. अब इन्हें दो प्यालो में डाल दे. अब इन प्यालो में बराबर मात्त्रा में श्क्कर डाल दे. अब इन प्यालो को रात को ओस में रख दे. सुबह उठकर इन प्यालो में रखे हुए अंजीर को खुब चबा  - चबा कर खाए. लगातार 15 दिन ऐसे ही ओस में रखे हुए अंजीर का सेवन रोजाना करने से शरीर में रक्त की पूर्ति होती है. तरह शरीर कि गर्मी भी खत्म हो जाती है. 

2.       महिलाओ के शरीर में मासिक धर्म के कारण कमजोरी का आभास होने लगता है. उनका शरीर जल्दी ही थक जाता है. कम परिश्रम के काम में भी जल;दी ही थकावट होने लगती है. आलसी सा स्वभाव हो जाता है. इन सब रोगों से छुटकारा पाने के लिए महिलाओ को रोजाना सुबह 5 या 6 अंजीर को खान चाहिए खुच ही दिनों में उनके शरीर की सारी कमजोरी भी खत्म हो जायेगी तथा अन्य रोगों से भी छुटकारा मिलेगा. 

3.       अंजीर के सूखे फलों का तो विभन्न बीमारी से मुक्ति पाने के लिए प्रयोग किया जाता ही है. रोगों से मुक्ति पाने के लिए अंजीर के फल का आचार भी बनाया जाता है. अंजीर के आचार को खाने से शरीर की त्वचा से संबधित रोगो से छुटकारा मिलता है. इसे इसे खाने से शरीर की गर्मी भी कम हो जाती है. अंजीर के आचार का सेवन करने से सभी प्रकार के वीर्य रोग ठीक हो जाते है. जैसे- पित्त विकार ,रक्त विकार,बवासीर का रोग तथा कब्ज आदि बीमारियाँ ठीक हो जाती है. अंजीर का आचार काफी आसान है. इसे बनाने के लिए एक या दो अंजीर के फल को ले. दो या चार बादाम तथा सफेद मुसली को ले. थोड़ी – थोड़ी मात्रा में अभ्रक भस्म , केसर, चिरौंजी , पिस्ते को ले और इन्हें पीसकर उसमे अपनी इच्छा अनुसार चीनी को डाल कर कुछ दिनों के लिए एक डिब्बे में  बंद कर दे. जब आचार अच्छी तरह से तैयार हो जाये तो इसका सेवन रोजाना दिन में एक बार अवश्य करे. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Ayurved mein Anjir ke Mahattav
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4.        अत्यधिक ठंड पड़ने पर अक्सर मुंह तथा जीभ फटने लग जाते है. मुंह तथा जीभ के फटने पर अंजीर के पत्तो की राख बहुत ही उपयोगी होती है. जब जीभ या मुंह फटने लग जाये तो अंजीर के पत्तो की राख को लगाना चाहिए इसे लगाने से तुरंत ही लाभ हो जायेगा. 

5.       कुछ लोगो की आँखों में मोतियाबिंद की बीमारी हो जाती है. इस रोग के हो जाने पर आँखों से कम दिखाई देता है. आसे रोग से निवारण के लिए अंजीर का दूध बहुत ही उपयोगी होता है. अंजीर के दूध को रोजाना सोते हुए लगाने से मोतियाबिंद की बीमारी ठीक हो जाती है. तथा इससे आँखों की रोशनी भी बढ़ने लगती है.

6.       किसी – किसी आदमी के शरीर में सम्भोग सकती कम हो जाती है. जिसके का कारण आदमी के शरीर में नपुसंकता के लक्षण पनपने लगते है. इन लक्षणों को कम करने के लिए अंजीर के दो या तिन फलों का रोजाना सेवन करना चाहिए. अंजीर को दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है. अंजीर के साथ रोजाना अंजीर का सेवन करने से जल्द ही नपुसंकता दूर हो जाएगी. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
आयुर्वेद में अंजीर का महत्तव
आयुर्वेद में अंजीर का महत्तव
7.       कुछ व्यक्तियों के मुंह पर चहरे पर मुहांसे निकल जाते है. मुहांसों के कारण चहरे की सुन्दरता खराब हो जाती है. तथा इससे कुछ लोग ज्यादा परेशान हो जाते है. मोतियाबिंद की बीमारी की तरह ही अंजीर के दूध को मुंह पर लगाने से चहरे के मुहांसे ठीक हो जाते है, तथा इसके साथ ही साथ चहरे की सुन्दरता में भी वृद्धि होती है. अंजीर के दूध का चहरे पर प्रयोग करने से चहरा साफ – सुंदर एवं आकर्षक हो जाता है. अंजीर के दूध को रोजाना सोने से पहले चहरे पर लगाना से अत्यधिक लाभ होता है. 

गर्भावस्था के दिनों में अंजीर का सेवन करना बहुत ही लाभदायक होता है. गर्भावस्था में अंजीर को खाने से लाभ तो होता ही है. इसके आलावा जो स्त्री गर्भधारण करना चाहती है.उन्हें भी अंजीर का सेवन करना चाहिए. अंजीर का सेवन करने से गर्भधारण करने की शक्ति बढती है.  
 
Importance of Fig in Ayurveda
Importance of Fig in Ayurveda

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