What is Beej or Seed Mantra | Beej Mantra ko Samjhiye | बीज मंत्र को समझिए


बीज का मतलब होता है सीड ( SEED ), और बीज से ही हर चीज़ का जन्म होता है जैसेकि हर वृक्ष बीज से ही निकलता है, और मनुष्य का बीज वीर्य होता है, उसी तरह बीज मंत्र को हर मंत्र के जन्मदाता के रूप में देखा जाता है. बीज मंत्र को ही वेद मंत्र का  छोटा रूप माना जाता है. सभी कार्यो का विस्तार भी बीज से ही जुड़ा होता है. बीज मंत्र का ज्यादातर तांत्रिक लोग अपने प्रयोजनों में करते है.


कहा जाता है कि पारब्रह्म का घर मनुष्य / जीवात्मा होता है, वैसे ही शब्द ब्रह्म आवाज में रहते है. गायत्री मंत्र के तीनो चरणों में एक एक बीज समाहित होता है, प्रथम - भू:, द्वितीय - भुव: और तृतीय – स्वः. इनके अलावा ॐ भी एक बीज ही है. साथ ही हर अक्षर का भी अपना एक बीज होता है, जिससे उनकी शुरुआत या जन्म हुआ होता है. उसी बीज की वजह से ही उस अक्षर के मतलब का अर्थ होता है, अथार्त बीज में ही उस अक्षर का अर्थ समाहित होता है. इसीलिए ही तो गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र जैसे प्रसिद्ध मंत्रो में भी एक या एक से ज्यादा बीजो की उपासना होती है. नीचे आपको 24 अक्षरों के 24 बीज दिए गये है. 


1.      

2.       ह्रीं

3.       श्रीम्

4.       क्लीम्

5.       हों

6.       जूं

7.       यं

8.       रं

9.       लं

10.   वं

11.   शं

12.   सं

13.   एं

14.   क्रोम्

15.   हुम्

16.   ह्रीं

17.   पं

18.   फं

19.   टम्

20.   ठम्

21.   डम्

22.   ढम्

23.   श्रं

24.   ल्रम्
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बीज मंत्र  को समझिए
बीज मंत्र  को समझिए

इन सब बीजो का इस्तेमाल व्यह्व्रतियो के बाद और मंत्रो के भाग के पहले किया जाता है. जैसे की गायत्री मंत्र में तत्सवितु: से पहले भू: भुव: स्वः का इस्तेमाल किया जाता है क्योकि गायत्री मंत्र में उनके लगाने का स्थान उसी को माना जाता है. इसके अलावा इनको प्रचोदयात् के बाद भी लगाया जाता है, क्योकि इस दशा में उन्हें सम्पुट कहा जाता है. यदि आप जाना चाहते है कि बीज का इस्तेमाल कहाँ और सम्पुट का इस्तेमाल कहाँ होता है तो आप किसी विद्वान से मिलिए, वो आपको बताएगा कि इनको कैसे इस्तेमाल करे. इनका इस्तेमाल इतनी सतर्कता से इसलिए होता है क्योकि बीज तंत्र का विधान, तंत्र विधान के अंतर्गत आता है.
 
What is Beej or Seed Mantra
What is Beej or Seed Mantra

जिस प्रकार से 24 अक्षरों के 24 अलग बीज होते है, उसी प्रकार इन् 24 बीजो के 24 अलग अलग यन्त्र भी होते है. इन्हें अक्षर यन्त्र या फिर बीज यन्त्र के नाम से भी जाना जाता है. जब भी तांत्रिक कार्यो में पूजा होती है तो उनकी पूजा प्रतिक में चित्र प्रतिक की भांति किसी धातु पर बनाये गये यन्त्र की प्रतिष्ठापना की जाती है. साथ ही जिस तरह प्रतिमा की पूजा होती है उसी प्रकार उस यंत्र की भी पूजा होती है, जिसे पंचोपचार या षडोपचार पूजन भी कहा जाता है. जो स्थान दक्षिणमार्गी साधनों में प्रतिमा पूजा का है वही स्थान यंत्र को वाममार्गी उपासना या उपचार में प्राप्त है. यंत्रो में गायत्री यंत्र बहुत ही प्रसिद्ध है. इन 24 यंत्रो को 24 अक्षरों से जुडी शक्ति के प्रतिक प्रतिमा के रूप में देखा जाता है.  
 
Beej Mantra ko Samjhiye
Beej Mantra ko Samjhiye

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